निषाद कुमार पैरालिम्पिक्स
निषाद कुमार हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं उन्होंने अगस्त 2021 में पैरा ओलंपिक में भारत का नाम रोशन किया। आपको बता दें कि निषाद कुमार के हाथ नहीं है पर फिर भी उन्होंने कठिन परिश्रम और लगन से अपनी किस्मत लिखी है। इस पोस्ट में हम आपसे साझा करेंगे निशांत कुमार के बारे में जानकारी।
निषाद कुमार जीवन परिचय
निषाद कुमार – हाई जंप कैटेगरी
निषाद कुमार के पिता जी का नाम रशपाल कुमार है
निषाद कुमार की माता जी का नाम पुष्पा देवी है
निषाद कुमार के पिताजी व्यवसाय से राजमिस्त्री हैं और निषाद कुमार की माताजी ग्रहणी है
निषाद कुमार की एक बड़ी बहन है
निषाद कुमार की बहन का नाम रमा देवी है
Nishad kumar hometown
निषाद कुमार हिमाचल प्रदेश के जिला उन्नाव के छोटे से गांव बदाऊं के रहने वाले हैं निषाद कुमार ऐज – 22 वर्ष
nishad kumar olympics
हिमाचल प्रदेश के निषाद कुमार ने ना केवल हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया बल्कि पूरे भारत का नाम विश्व भर में रौशन कर दिया है। उन्होंने यह कारनामा खेल दिवस के अवसर पर किया आपको बता दें 29 अगस्त 2021 को खेल दिवस था। खेल दिवस मेजर ध्यानचंद को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर भी कहते हैं निषाद कुमार ने बीते रविवार को हिमाचल प्रदेश को पहला सिल्वर मेडल दिलाया उन्होंने टीम-47 हाई जंप कैटेगरी में यह कारनामा किया। टोक्यो पैरा ओलंपिक खेल में भारत का यह दूसरा ओलंपिक मेडल निषाद से पहले टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना बेन पटेल ने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया था। भाविना बेन पटेल ने टेबल टेनिस क्लास फोर एकल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता।
निषाद कुमार जंप
निषाद कुमार ने टी-47 हाई जंप कैटेगरी में 2.09 मीटर के साथ पैरालंपिक में दूसरा स्थान हासिल किया और सिल्वरमेडल प्राप्त कि
निषाद कुमार का संघर्ष
निषाद कुमार के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं और उनकी माता एक ग्रहणी है। निषाद कुमार को बचपन से ही खेलों का काफी शौक था पर घर की आर्थिक व्यवस्था बहुत ज्यादा अच्छी ना होने के कारण वह कभी बड़े लेवल पर खेद नहीं पाए उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई भी दसवीं तक की है निषाद कुमार सरस्वती विद्या मंदिर से अपनी बेसिक शिक्षा प्राप्त की है। आपको बता दें कि निषाद कुमार मैं पांचवी कक्षा से ही हाई जंप मैं अधिक रूचि होने के कारण हाई जंप की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी थी। यह उनकी लगन और मेहनत ही है जिसकी बदौलत उन्होंने आज अपने माता-पिता का नाम रोशन किया, अपने गांव का नाम रोशन किया, हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया और भारत का नाम रोशन किया है।