हमारे देश में क्रिकेट को धर्म से कम नहीं माना जाता और ये कहना गलत नहीं होगा की विराट कोहली आजकल के मॉडर्न क्रिकेट धर्म गुरु हैं। जैसे पहले सचिन के बगैर क्रिकेट अधूरा सा लगता था वैसे ही आज के दौर में विराट के बगैर क्रिकेट अधूरा सा है। आज हम जानेंगे की विराट ने एकाएक t20 से सन्यास लेने का फैसला क्यों किया।
विराट कोहली t20 कैप्टेंसी डेब्यू
विराट ने 2008 में क्रिकेट डेब्यू किया था और जल्द ही 2014 में वे भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान बन गए थे और मेल खाती बात यह है की 2014 में महेंद्र सिंह धोनी ने भी अचानक से ही टेस्ट क्रिकेट कप्तानी से सन्यास ले लिया था। अब विराट भी वही करने जा रहे हैं बस फॉर्मेट चेंज है टेस्ट की जगह t20 कप्तानी है। विराट टेस्ट कप्तान बनने के तीन साल बाद ही 2017 में एकदिवसीय कप्तान भी बन गए थे और जल्द ही t20 कप्तानी भी उन्होंने हांसिल कर ली थी। विराट के अंतराष्ट्रीय सफर और रिकार्ड्स की जानकारी की लिए यहाँ क्लिक करें विराट कोहली बायोग्राफी एंड रिकार्ड्स।
विराट कोहली रिटायरमेंट न्यूज़
विराट कोहली के रिटायरमेंट की खबरों की वजह से सारा क्रिकेट जगत हैरान है और लोग तथा मैगज़ीन्स यह सवाल पूछ रहे हैं की डिड विराट कोहली रिटायर? हैस विराट कोहली रिटायर्ड? विल विराट कोहली रिटायर? और ये सवाल उठने लाज़मी हैं क्योंकि किसी को यकीन ही नहीं हो रहा की विराट रिटायर हो होने वाले हैं। पर कुछ लोग ग़लतफ़हमी का शिकार भी हुए हैं और सोच रहे हैं की विराट ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में से ही सन्यास ले लिया है तो उन लोगों को हम बता दें की विराट ने महज़ t20 क्रिकेट की कप्तानी से सन्यास लिया है और वो भी वह t20 वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद रिटायर होंगे। वे टी ट्वेंटी क्रिकेट और बाकी सभी क्रिकेट फॉर्मेट में खेलना जारी रखेंगे एक बैट्समैन की तरह। विराट के अनुसार उन्होंने ज़्यादा थकान और पूरी तरह से बल्लेबाज़ी पर फोकस करने के लिए t20 कप्तानी से सन्यास लिया है। आज हम इसी बात का विश्लेषण करेंगे की आखिर किंग कोहली ने सन्यास क्यों लिया वो भी अचानक से बिना किसी रिटायरमेंट प्लान के।
विराट कोहली रिटायरमेंट प्लान
विराट कोहली के एकाएक रिटायर होने की वजह के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं पहला उनका करंट फॉर्म का खराब होना और दूसरा वो कप्तानी को लेकर भी काफी दबाव महसूस कर रहे थे। इन दोनों कारणों को हम विस्तार से जानेंगे। और इनके आलावा भी कुछ और कारण हैं जिनमे रवि शास्त्री तथा धोनी के नाम शामिल हैं।
विराट कोहली का मौजूदा फॉर्म ख़राब
विराट का मौजूदा फॉर्म निराशाजनक रहा है और उन्हें एक्सपर्ट्स की आलोचना का सामना भी करना पड़ा है। हालांकि विराट का ख़राब फॉर्म भी कुछ खिलाडियों के ज़िन्दगी भर का अच्छा फॉर्म होता है पर विराट का स्टैण्डर्ड इतना हाई है की उनसे एक्सपेक्टेशंस भी काफी हाई हो जाती हैं। आपको बता दें की विराट ने हाल ही में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे तेज़ 23000 रन बना कर सचिन के रिकॉर्ड को तोडा था और वे इस समय सभी क्रिकेट फॉर्मेट को मिला कर कुल 70 अंतराष्ट्रीय शतक लगा चुके हैं इस तरह से हम कह सकते हैं की विराट कोहली के शतक टोटल 70 हो चुके हैं।
अब जो खिलाडी इतने ज़बरदस्त अंदाज़ में खेलता हो तो उसके प्रदर्शन पर सबकी निगाह हमेशा बानी रहती है और इस वक्त जो बात सामने आ रही है वो यह है की विराट ने 2019 से लेकर अब तक यानि 2021 तक एक भी अंतरष्ट्रीय शतक नहीं लगाया है यानि टेस्ट, वनडे, टी ट्वेंटी इन सभी क्रिकेट फॉर्मेट में उनका बल्ला पिछले दो साल से खामोश है। 70 शतक लगाना कोई आसान काम नहीं है और वो भी इतनी जल्दी पर यही बात उन पर भारी पड़ती नज़र आ रही है और लोगों के गले नहीं उतर रही की विराट जैसा खिलाडी पिछले 1.5-2 साल से शतक से महरूम कैसे रह गया।
एक्सपर्ट्स, दर्शक, कमेंटेटर्स, और पूर्व तथा प्रेजेंट दिग्गज खिलाडियों का मानना है की अगर विश्व में कोई खिलाडी सचिन के 100 शतकों का विश्व रिकॉर्ड तोड़ सकता है तो इस समय वो सिर्फ विराट कोहली है। और यह बात विराट भी जानते हैं शायद इसलिए उन्होंने यह बड़ा फैसला लेना शुरू कर दिया है की उनकी असली पहचान तो एक बल्लेबाज़ की है और कप्तानी उनकी बल्लेबाज़ी को प्रभावित कर रही है। यदि आपको याद हो तो विराट से पहले अपने समय में सचिन भी कप्तान बने थे और उन पर भी अधिक दबाव आया और उनकी बल्लेबाज़ी ख़राब होने लगी थी तभी सचिन ने भी उस दौर में फैसला लिया था की वे कप्तानी को अलविदा कहेंगे और पूरा फोकस बैटिंग पर करेंगे जिसका नतीजा हम सब देख रहे हैं। आज विराट से लेकर सभी बल्लेबाज़ों के सामने कोई चुनौती है तो वो है सचिन के बल्लेबाज़ी के अनगिनत रिकॉर्ड तोडना जो कोई आसान काम नहीं लगता। पर विराट ने यह देख लिया है और हम उम्मीद करेंगे की कप्तानी के दबाव से बहार निकलकर विराट जल्द ही ना सिर्फ सचिन के 100 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ें बल्कि नए रिकॉर्ड बनाएं और एक नया इतिहास लिखें।
विराट की कप्तानी की असफलता की कहानी
विराट जितने अच्छे बल्लेबाज़ हैं शायद उतने अच्छे कप्तान नहीं साबित हुए। इस पहलू को साधारण नज़र या फैन की नज़र से देखने की बजाय एक एक्सपर्ट की नज़र से देखेंगे तो आपको पता लग जाएगा। सबसे मुश्किल कप्तानी का दौर सौरव गांगुली का था क्योंकि वे उस समय लगातार एक्सपेरिमेंट करते थे और उनके पास उतनी ताकतवर सेना भी नहीं थी। उनके पास मात्र एक सचिन थे हालांकि सौरव खुद भी अच्छे बल्लेबाज़ रहे पर वे बाउंसी पिच पर असफल होते थे तथा वाल के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ की एक बड़ी कमज़ोरी यह थी की वे टिक तो जाते थे पर तेज़ी से रन नहीं बना पाते थे और उस दौर में पूरी इंडियन बैटिंग लाइन अप इन तीनो के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती थी। फिर सौरव गांगुली उर्फ़ दादा ने कई एक्सपेरिमेंट किये तथा नए लड़कों को चांस दिया जिसमे से एक युवराज सिंह भी थे इस तरह से उन्होंने एक एक कर कई नए खिलाडी भारत को दिए जिन्होंने आगे भारत का नाम रोशन किया।
सौरव गांगुली का दौर इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने सेलेक्टर्स के विपरीत भी टीम चुनी है और एक्सपेरिमेंट का दौर शुरू किया था। उनके बाद बारी आयी धोनी की जिन्होंने टीम को नई बुलंदियों तक पहुँचाया क्योंकि उनको कुछ मदद तो सौरव की वजह से पहले ही मिल चुकी थी और उनके साथ सचिन और सेहवाग जैसे दिग्गज खिलाडी भी मौजूद थे। पर धोनी एक पारदर्शी या यूँ कह लीजिये एक जौहरी की तरह दुनिया के सामने आए और सौरव से 2 नहीं बल्कि 4-5 कदम आगे निकले क्योंकि धोनी के पास दूर की नज़र सीनियर्स का अनुभव तथा तालमेल भी था और दादा ने सब अकेले किया था। धोनी की कप्तानी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की सुनील गावस्कर से लेकर विव रिचर्ड्स तक अपनी ड्रीम इलेवन में स्टीव वाघ या रिकी पोंटिंग जैसे दिग्गज कप्तानों की बजाय धोनी को कप्तान बनाना पसंद करते हैं। और फिर दौर आया मॉडर्न क्रिकेट का यानि मॉडर्न मास्टर विराट कोहली की कप्तानी का उन्होंने बहुत अच्छी कप्तानी भी की।
अब यहाँ गौर करने लायक बात है की विराट को अब तक की सबसे दमदार टीम मिली हुई है पर उसके बावजूद भी वे एक भी बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीत पाए। बड़ा टूर्नामेंट मतलब ICC का कोई भी ख़िताब उनके पास नहीं है जबकि धोनी पूरे विश्व में एक ऐसा कप्तान है जिसने ICC का कोई ख़िताब नहीं छोड़ा। विराट ने ना तो वर्ल्डकप जिताया, न t20 वर्ल्डकप जिताया ना ही हाल ही में समाप्त हुआ टेस्ट वर्ल्ड कप जीत पाए। और अभी हाल ही में इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज़ भी हार चुके हैं हालांकि उन्होंने अपनी कप्तानी में एक के बाद एक कई मैच ज़रूर जिताए हैं पर वो टीम धोनी ने बना के दी थी और उसमे भी विराट ने जीता हुआ वर्ल्ड कप ख़राब सिलेक्शन और बैटिंग आर्डर की वजह से हरवा दिया था।
आपको याद होगा जब रवि शास्त्री पहली बार भारतीय क्रिकेट कोच बने थे अनिल कुंबले की जगह पर तो उसके बाद एक दिवसीय वर्ल्ड कप हुआ था जिसमे रोहित और शिखर धवन ने तहलका मचा दिया था और रोहित एक के बाद एक 5 शतक लगाकर चोटिल हो गए और टीम से ही बहार हो गए थे। पर धवन ने हार नहीं मानी और ज़बरदस्त प्रदर्शन जारी रखा। इस सीरीज़ के एक एक महत्वपूर्ण मैच में कोहली ने बड़ी गलती ये की थी की उन्होंने धोनी को बहुत नीचे बल्लेबाज़ी के लिए भेजा जब की चेसिंग स्कोर काफी कम था और उस मैच में पंत को चुना गया था जो की ख़राब शॉट खेल कर अपना विकेट भेंट कर आये थे। हालांकि इसके तुरंत बाद कोहली रवि शास्त्री से बहस करते नज़र आए थे जिसे सारी दुनिया ने देखा था पर गलती तो हो चुकी थी और भारत इस मैच को हारने के बाद वर्ल्ड कप से ही बहार हो गया था।

इसके आलावा आईपीएल की बात करें तो ज़रा गौर से देखिये और समझिये कोहली के पास विश्व का सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ ऐ बी डिविलियर्स है उनके होते हुए भी आईपीएल ट्रॉफी में कोहली का सूखा है यहाँ तक की कोहली खुद भी विश्वस्तरीय बल्लेबाज़ हैं और एक्सपर्ट्स के मुताबिक डिविलियर्स के बाद कोहली का नंबर आता है पर विस्फोट के लिए उनके पास डिविलियर्स के बाद गेल थे पर इन दोनों के होते हुए भी कुछ नहीं कर पाए। कोहली पहले से ही आईपीएल कप्तान रहे हैं और उन्हें 12 आईपीएल मौके भी मिल चुके हैं। इसके विपरीत धोनी की चेन्नई टीम एक बार दो साल के लिए बैन भी हो चुकी है पर धोनी की टीम तकरीबन हर आईपीएल में फाइनल्स में पहुँच जाती है और उनके पास तो कोई डिविलयर्स जैसा खिलाडी भी नहीं है। धोनी तो सुरेश रैना से भी डिविलयर्स जैसा थोड़ा बहुत काम करवा लेते हैं यानी उन्हें खिलाडियों से प्रदर्शन निकलवाना आता है। वहीँ बात करें तो रोहित शर्मा अब तक आईपीएल के सबसे सफल कप्तान हैं और उनके पास भी कोई ऐसा खतरनाक बालेबाज़ी क्रम नहीं है। इनको छोड़ें तो एक नज़र राजस्थान रॉयल्स पर भी डालें जिनके पास तो इन तीनो टीमों की तुलना में काफी साधारण खिलाडी हैं पर वो भी आईपीएल जीत चुके हैं।
T20 वर्ल्ड कप 2021
नवंबर में टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप है और विराट पर सेलेक्टर्स का लगातार प्रेशर बढ़ रहा था। विराट को भी अंदाज़ा लग गया की यदि उनकी कप्तानी में ये टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप भी हार गए तो उन्हें कप्तानी से निकाल दिया जाएगा इसलिए भलाई इसी में है की पहले ही कप्तानी छोड़ दी जाए ऐसा माना जा रहा है। विराट पर प्रेशर चारों ओर से बनने लग गया और आपने देखा होगा अखबारों में भी आयदिन उनकी कप्तानी पे सवाल उठाए जा रहे हैं जिससे विराट के भीतर एक काल्पनिक प्रेशर बनने लगा और विराट ने एक अहम् फैसला लिया की टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप खत्म होते ही वे कप्तानी छोड़ देंगे जिससे फायदा ये होगा की वे बिना टेंशन के t20 वर्ल्ड कप में खेलेंगे और हो सकता है की वो इस वर्ल्ड कप में सबकी बोलती बंद कर दें। जी हाँ अब आप इंतज़ार कीजिये T20 वर्ल्डकप 2021 लाइव देखने का और रेडी रहिये विराट कोहली का रौद्र रूप देखने के लिए क्योंकि ये खिलाडी अब किसी को बख़्शने वाला नहीं है।
तीनो क्रिकेट फॉर्मेट में अलग कप्तान बी सी सी आई
बी सी सी आई लगातार तीनो क्रिकेट फॉर्मेट में अलग कप्तान बनाने की चर्चा कर रहा था ताकि विराट का वर्क लोड भी कम किया जा सके। विश्व क्रिकेट में इस तरह का चलन पहली बार 1997 में आया था जब पहली बार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने मार्क टेलर का प्रेशर कम करने के लिए स्टीव वाघ को एकदिवसीय कप्तान बनाया था। टेलर एकदिवसीय तथा टेस्ट मैच कप्तान थे पर बदलाव करते हुए स्टीव वाघ को एक दिवसीय कप्तानी सौंपी गयी और इसके परिणाम स्वरूप स्टीव की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने 1999 में एकदिवसीय वर्ल्डकप जीता था। इस समय दुनिया की तमाम टीम इसी फॉर्मूले पर चल रही है और उनके हर क्रिकेट फॉर्मेट का कप्तान अलग है, कई देशों की तो टेस्ट टीम के 7-8 खिलाडी भी अलग होते है। इस समय भारत ही एक ऐसा देश है जिसमे हर फॉर्मेट का कप्तान एक ही है और वो है विराट कोहली। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के इस फैसले से विराट का वर्क लोड भी कम होगा और वो पूरी तरह बल्लेबाज़ी पर ध्यान दे सकेंगे।
विराट के बाद कप्तान कौन
विराट कोहली 32 साल के हो चुके हैं और अब ये पूछा जा रहा है की कोहली के बाद कप्तान कौन बनेगा। तो ऐसे में सबसे बड़ा नाम निकल कर आ रहा है रोहित शर्मा यानि “डैडी हंड्रेड” के विशेषज्ञ। डैडी हंड्रेड का मतलब है एक दिवसीय मैच में 200 रन बनाना पर रोहित ने ये कारनामा 1 नहीं 2 नहीं बल्कि 3 बार किया है जो की टूट पाना काफी मुश्किल नज़र आता है। पर रोहित कप्तान बन भी गए तो महज़ 2-3 साल के लिए ही बनेगे क्योंकि उनकी उम्र 34 हो चुकी है और 36-37 साल तक रिटायर होने की दहलीज़ पर होंगे।
आपको बता दें की इस समय 3 नाम कप्तानी की रेस में हैं पहले रोहित दूसरे के एल राहुल और तीसरे ऋषब पंत ये तीनो नाम t20 कप्तानी की रेस में हैं। विराट की चिट्ठी के हिसाब से तो रोहित कप्तान बनते दिख रहे हैं क्योंकि विराट ने चिट्ठी में लिखा है की उनकी चर्चा रवि भाई यानि रवि शास्त्री और रोहित से हो चुकी है। लेकिन अगर bcci लॉन्ग रन के हिसाब से चुनाव करता है तो राहुल के चांस ज़्यादा दिखते हैं क्योंकि वे इस समय 29 वर्ष के हैं तथा पंत तो महज़ 23 वर्ष के हैं इसलिए पंत को और अनुभव लेने के लिए छोड़ा जा सकता है और के एल रोल को मौका मिल सकता है। वैसे भी राहुल पंत से ज़्यादा कंसिस्टेंट हैं और साथ ही काफी खतरनाक बल्लेबाज़ भी हैं।
अगर आप क्रिकेट गौर से देखते और समझते हैं तो एक बात आपको दिख गयी होगी या बाद में दिख जाएगी की के एल राहुल विराट कोहली का एडवांस वर्ज़न हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राहुल विराट की तरह निरंतर रन बनाने में सक्षम हैं और वो भी विराट से ज़्यादा तेज़ गति से बल्कि दोगुनी गति से कहना गलत नहीं होगा। अब गौर कीजिये राहुल कितनी बार किस पोजीशन पर खेलने आते हैं और जब भी आते हैं तो रन बनाते हैं यदि उनका आर्डर पहले और तीसरे नंबर पर फिक्स कर दिया जाए तो वे नजाने कितने नए रिकॉर्ड बना देंगे। राहुल के कुछ असफल पारियों का कारण उनका बैटिंग आर्डर फिक्स ना होना है। पर अब कुछ वर्षों से वे टॉप आर्डर पर आते हैं और यही सिलसिला जारी रहा तो वे कुछ खास और कुछ बड़ा ज़रूर करेंगे।
क्या रवि शास्त्री का रिटायरमेंट है विराट के फैसले के पीछे
इस t20 वर्ल्ड कप के खत्म होते ही रवि शास्त्री भी रिटायर हो जाएंगे क्योंकि उनका वर्किंग पीरियड पूरा हो जाएगा। और ऐसा देखा गया है की विराट और उनके रवि भाई यानि शास्त्री जी के अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। अतः यह मुमकिन है की दोनों एक साथ ही सन्यास लेने का प्लान पहले ही बना चुके हों। और यह भी माना जा रहा है की रवि भाई के बहार होते ही विराट के लिए समस्या हो सकती है।
धोनी बने टीम इंडिया के मेंटर क्या धोनी हैं विराट के सन्यास की वजह
पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को हॉल ही में टीम इंडिया का मेंटॉर बनाया गया है और इस बात से यह साफ़ है की BCCI को यह लगने लगा है की कोहली अकेले भारत को कोई बड़ी ट्रॉफी नहीं जिता सकते हैं इसलिए धोनी के रिटायर होने के बाद भी क्रिकेट के मैदान में उन्हें दूसरी पारी खेलने के लिए भेज दिया गया है। और धोनी जहाँ होते हैं वहां कुछ कड़े और बड़े फैसले होते हैं यह बात तो कोहली भी जानते हैं। तो अब आप लोग भी अपनी सीट बेल्ट बांध लें और तैयार हो जाएं टीम इंडिया की कुछ नयी उड़ान देखने के लिए।
Sir mujhe criket बहुत pasand hai lekin hamare yaha girl ka cricket nahi hota mere ko cricket khelna hai kaya aap meri madad kar sakte hai
रिचा, ख़ुशी हुई की आपको क्रिकेट खेलना पसंद है हम आपकी सिर्फ इतनी मदद कर सकते हैं की आपको सही रास्ता दिखा सकें और क्रिकेट टिप्स दे सकें बाकी आपको अपनी मदद खुद ही करनी होगी। बॉय हो या गर्ल क्रिकेटर बनने के लिए सबसे पहले डिस्ट्रिक्ट ट्रॉफी खेलनी होती है जिसके लिए आपको डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट ट्रायल देने होते हैं जो की हर वर्ष होते हैं अतः प्रैक्टिस करें और ट्रायल ज़रूर दें इस वक्त लड़कियों के क्रिकेट में लड़कों जितना कॉम्पिटिशन नहीं है अतः ट्रायल मिस ना करें।