आईपीएल आईडिया ललित मोदी को अमेरिका से आया था। बीसीसीआई ने किया रिजेक्ट फिर भी आईपीएल भारत लाए, उन्हें क्यों बाहर कर दिया, आईपीएल कैसे शुरू हुआ था जानिए।
आईपीएल ही नहीं बल्कि भारत में अधिकतर नए प्रकार के फॉर्मेट की शुरुआत विदेश में सक्सेसफुल हो चुके फॉर्मेट से होती है। इस फॉर्मेट को भारत या एशियन कंट्री में कॉपी किया जाता है और नया नाम दिया जाता है इसी प्रकार आईपीएल की शुरुआत हुई जिसे हम जानेंगे इस पोस्ट में।
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आईपीएल कैसे शुरू हुआ था (How IPL started)
ऐसा माना जाता है कि जो भी फॉर्मेट, बिजनेस या ट्रेंडिंग टॉपिक अमेरिका में चलता है वह लगभग 5 साल बाद भारत तथा अन्य पिछड़े एशियाई देशों में आता है।
इसी तरह आईपीएल वह फॉर्मेट है जो अमेरिका में दूसरे खेलों में कई वर्षों से चल रहा था। उसे भारत एक ऐसा व्यक्ति लाया जो बीसीसीआई में नहीं था, जो क्रिकेट नहीं खेलता था, वह एक बिजनेसमैन था जिसका नाम है ललित मोदी। यह आइडिया किसी खिलाड़ी को नहीं आया एक बिजनेसमैन को आया।
आज दुनिया में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला क्रिकेट लीग टूर्नामेंट आईपीएल भारत में ललित मोदी द्वारा लाया गया था। आईपीएल भारत में लाना ललित मोदी के लिए आसान नहीं था इसे भारत में लाने के लिए ललित ने बीसीसीआई ज्वाइन किया।
ऐसे शुरू किया था आईपीएल ललित मोदी ने
क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर फील्ड में आने से पहले ललित बिजनेसमैन थे। वर्ष 1995 में वे अमेरिका गए थे जहां उन्होंने अमेरिकन स्पोर्ट्स लीग देखा और समझा कि किस तरह अमेरिका इस स्पोर्ट्स लीग से बहुत ज्यादा रुपए कमा रहा है। उन्होंने उस स्पोर्ट्स लीग को स्टडी किया उसके फॉर्मेट को समझा उसी से उन्हें आईपीएल आइडिया आया, और भारत में ललित ने आईपीएल शुरू किया।
ललित ने देखा अमेरिकन स्पोर्ट्स लीग में किस तरह से खेल के नेशनल खिलाड़ी, डोमेस्टिक खिलाड़ी तथा विदेशी खिलाड़ी एक ही टीम में खेलते हैं। उन्हें यह फॉर्मेट बड़ा पसंद आया और उन्होंने इसे भारत के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट में आजमाने का फैसला किया।
ललित की राह आसान नहीं थी, जैसा उन्होंने सोचा था वैसा नहीं हुआ। ललित ने सोचा था इस प्रस्ताव को बीसीसीआई आराम से समझ जाएगा किंतु जब वे फॉर्मेट का प्रस्ताव बीसीसीआई के सामने लेकर गए तो बीसीसीआई ने इस फॉर्मेट को पूरी तरह से ठुकरा दिया। ललित उस समय वह 50-50 क्रिकेट में इस फॉर्मेट को आजमाना चाहते थे और फॉर्मेट का नाम उन्होंने “इंडियन क्रिकेट लीग” लिमिटेड के नाम से रजिस्टर भी कर लिया था।
कहते हैं बिजनेस एक बिजनेस माइंड समझ सकता है और बीसीसीआई तो एक खेल संचालक है तो उसे कैसे समझ में आता कि आईपीएल दुनिया का सबसे बड़ा लीग बनने जा रहा है जो ललित मोदी 1995 में समझ चुके थे।
जहां मुश्किल होती है वहां बड़े मौके भी होते हैं अगर बीसीसीआई ललित का प्रस्ताव ठुकराता नहीं तो वे बीसीसीआई के उपाध्यक्ष नहीं बनते। ललित को इस अमेरिकन फॉर्मेट पर पूरा विश्वास था इसलिए उन्होंने बीसीसीआई के अंदर आने का फैसला किया इसके लिए उन्होंने क्रिकेट इलेक्शन लड़े।
वर्ष 1999 में वे हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अंदर आने में सफल रहे किंतु चीफ मिनिस्टर के हस्तक्षेप के बाद बाद उन्हें बाहर होना पड़ा। वर्ष 2004 में ललित मोदी को पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन का वाइस प्रेसिडेंट चुना गया, प्रेसिडेंट इंद्रजीत सिंह बिंद्रा थे। बीसीसीआई आने से पहले उन्होंने 2005 में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष पद हासिल किया था और उसके बाद राजस्थान क्रिकेट रेवेन्यू भी बढ़ा दिया था।
साल 2005 में ललित मोदी ने शरद पवार को जगमोहन डालमियां के खिलाफ बीसीसीआई इलेक्शन जीतने में मदद की और उसका नतीजा ललित मोदी को बीसीसीआई का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। ललित 2005 से लेकर 2010 तक बीसीसीआई वाइस प्रेसिडेंट रहे।
उपाध्यक्ष ललित मोदी बीसीसीआई के कमर्शियल एक्टिविटी में ज्यादा इंवॉल्व रहते थे इसलिए 2005 से 2008 में बीसीसीआई का रेवेन्यू 7 गुना बढ़ गया।
बीसीसीआई में पावर में आते ही ललित ने आईपीएल की शुरुआत की। एक्सपेरिमेंट के तौर पर उन्होंने कुछ T20 मैच में इस फॉर्मेट को आजमाया और 18 अप्रैल 2008 को रॉयल चैलेंज बेंगलुरु तथा कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच पहला आईपीएल खेला गया।
ललित मोदी को आईपीएल से दरखास्त और बीसीसीआई से बाहर क्यों निकाला गया
इस वक्त ललित मोदी इंग्लैंड में रहते हैं और उन पर काफी सारे बीसीसीआई के चार्ज लगे हुए हैं जिस कारण वह भारत नहीं आ सकते हैं। इंग्लैंड में ऐसा कानून है जिसके अनुसार जो लोग भारत से तड़ीपार हुए हैं इंग्लैंड उन्हें शरण देता है।
आईपीएल के 2.5 साल बाद ही ललित मोदी पर काफी सारे आरोप लगने लगे कोच्चि फ्रेंचाइजी ने कहा कि ललित मोदी उन्हें फ्रेंचाइजी छोड़ने के लिए धमका रहे हैं जिसकी शिकायत उन्होंने बीसीसीआई से कर दी। उसके बाद बीसीसीआई ने ललित मोदी की छानबीन शुरू करवाई। कई सारे मामलों पर मोदी पर दोष लगे जैसे अपने सगे संबंधियों दोस्तों को फ्रेंचाइजी में अधिकार देना, खेल में परिवारवाद को बढ़ावा देना, एडवरटाइजर्स से लाभ लेना इत्यादि।
निष्कर्ष – निष्कर्ष यह निकलता है कि जब कोई आईडिया पसंद आ जाए तो उस पर शिद्दत से काम करें कामयाबी मिलती है। यह लेख बताता है किस तरह से ललित मोदी आईपीएल भारत लेकर आए। उन्हें आइडिया अमेरिका से आया, बीसीसीआई से रिजेक्ट होने के बाद भी हार नहीं मानी इलेक्शन लड़े बीसीसीआई के उपाध्यक्ष बने, उसके बाद आईपीएल को 2008 में भारत में शुरू किया।