क्रिकेट खेल में कुल 3 अंपायर होते हैं और अहम फैसले मैदान के अंदर खड़े दो अंपायर लेते हैं। यह दोनों अंपायर मुख्य और लेग अंपायर की भूमिका निभाते हैं तथा हर ओवर के बाद एक दूसरे से पोजीशन बदलते हैं अतः दोनों को क्रिकेट के सारे रूल्स एंड रेगुलेशन पता होने जरूरी है। थर्ड अंपायर टीवी के पास बैठता है और उसे भी क्रिकेट के नए पुराने रुल्स की अच्छी नॉलेज होनी जरूरी है ताकि फंसे हुए फैसले को सही निर्णय में बदल सके।
शॉर्ट डिस्क्रिप्शन – अंपायरों की संख्या, अधिकार तथा कार्य एवं अंपायर सिग्नल के बारे में समझाया गया है।
क्रिकेट में तीनों अंपायरों की पोजीशन
- पहला अंपायर – बल्लेबाज के बिल्कुल विपरीत यानी गेंदबाजी छोर पर विकेटों के पीछे कुछ दूरी पर खड़ा होता है।
- दूसरा अंपायर – बल्लेबाज की लेग दिशा यानी पीठ पीछे कुछ दूरी पर खड़ा होता है
- तीसरा अंपायर – मैदान के बाहर टीवी तथा कंप्यूटर के सामने कभी टेंशन में और कभी रिलैक्स बैठा होता है।
Table of Contents
क्रिकेट खेल में कितने अंपायर होते हैं और वह सिग्नल कब और कैसे देता है
क्रिकेट खेल में कुल 3 एंपियर होते हैं जिनमें से दो मैदान के अंदर होते हैं जिन्हें ऑन फील्ड अंपायर कहा जाता है तथा एक मैदान के बाहर होता है जिसे थर्ड अंपायर कहा जाता है।
इन 3 अंपायरस् के अलावा क्रिकेट में मैच रेफरी भी अहम भूमिका निभाता है। पहले बात करते हैं ऑन फील्ड अंपायरस् की। मैदान के अंदर 2 अंपायरस् होते हैं और इन दोनों के कंधों पर पूरे मैच को ठीक से संचालन करने की जिम्मेदारी होती है। टॉस करवाने से लेकर मैच की आखिरी गेंद तक यह दोनों ही अंपायर बने रहते हैं इनकी जगह कोई तीसरा तब तक नहीं आता जब तक किसी एक की तबीयत ना बिगड़ जाए। हालांकि ऐसा जरूर हुआ होगा की मुख्य अंपायर को बदला गया होगा यदि आपने देखा है तो कमेंट कर उस अंपायर का नाम बताएं।
जरूरत पड़ने पर यह दोनों अंपायरस् आपस में सलाह मशवरा करने के बाद थर्ड अंपायर या एक्सेप्शनल केस में मैच रेफरी से भी मदद ले सकते हैं। दोनों ऑन फील्ड अंपायरस् हर ओवर के बाद अपनी जगह बदलते हैं और दोनों ही एक बार मुख्य अंपायर तथा एक बार लेग अंपायर बनते हैं आइए समझते हैं दोनों के कार्यों को बारी-बारी।
लेग अंपायर
मैदान के अंदर के दोनों अंपायरों को हर ओवर बाद लेग अंपायर की भूमिका निभानी होती है और ऐसा पूरे 50 ओवरों तक चलता रहता है। यह अंपायर हमेशा बल्लेबाजी कर रहे बल्लेबाज के लेग दिशा में सही दूरी पर खड़ा होता है। यदि लेफ्टी और राइटी दोनों बल्लेबाज क्रीज पर एक साथ मौजूद हैं तो लेग अंपायर को बार-बार दौड़ कर अपनी पोजीशन बदलनी होती है ताकि वह बल्लेबाज के पीठ पीछे वाली दिशा में खड़ा हो सके ध्यान रहे यह अंपायर कभी भी बल्लेबाजी कर रहे बल्लेबाज के ऑफसाइड यानी पॉइंट क्षेत्र में नहीं खड़ा होता। यह एंपायर ज्यादा कुछ नहीं करता बल्कि मेन अंपायर के कुछ पूछे जाने पर उसे सहायता करता है जैसे गेंद फुलटास कमर से ऊपर है तो सामने से अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है तो मेन अंपायर लेग अंपायर से पूछता है और इसका फैसला लेग अंपायर देता है। गेंद बाउंसर है या नहीं या फिर ऊपर वाली वाइड है यह भी सामने खड़ा अंपायर लेग अंपायर से पूछ सकता है और उस पर फैसला छोड़ सकता है।
मुख्य अंपायर
हालांकि मैदान के अंदर दोनों अंपायर ही मुख्य अंपायर होते हैं किंतु जो अंपायर बल्लेबाज के ठीक सामने दूसरे छोर पर खड़ा होता है उसे अधिकांश फैसले लेने होते हैं अतः उस समय के लिए उसे मुख्य अंपायर माना जाता है। क्रिकेट अंपायर सिगनल्स नीचे विस्तार से समझाएं गए हैं यदि आप भी किसी स्कूल टूर्नामेंट, डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट या किसी भी प्रकार के घरेलू टूर्नामेंट में अंपायर बने हैं तो इन्हें ध्यान से पढ़ें और अपने सारे डाउट्स दूर कर लें।
प्ले बोलकर मैच शुरु – मैदान पूरी तरह फील्डरों से सजा होता है बल्लेबाज अपना बैटिंग स्टांस ले रहा होता है और गेंदबाज अपने रन अप मार्क को निहार रहा तैयार खड़ा होता है। किंतु मैच तब शुरू होता है जब बल्लेबाज के दूसरे छोर पर सामने खड़ा मुख्य अंपायर प्ले बोलता है और उसके प्ले बोलते ही गेंदबाज दौड़ना शुरू करता है और मैच की पहली गेंद डालता है। इस समय अंपायर अपने आप को अमिताभ बच्चन समझता है जैसे सत्ते पे सत्ता फिल्म में 6 भाई तब तक खाना नहीं खाते हैं जब तक अमिताभ बच्चन अपनी थाली नहीं सजा लेता और उन्हें खाने का हुकुम नहीं देता।
एलबीडब्ल्यू – मुख्य अंपायर का कार्य काफी महत्वपूर्ण होता है गेंदबाज के एलबीडब्ल्यू की अपील करने पर उसे हां या ना में जवाब देना होता है हालांकि आजकल डीआरएस नियम के कारण फील्डिंग कप्तान अंपायर के फैसले से सहमत ना होने पर थर्ड अंपायर यानी टीवी अंपायर का चुनाव कर सकता है।
साइड वाइड – गेंदबाज के बल्लेबाज से काफी दूर यानी व्हाइड निशान से दूर गेंद डालने पर यह एंपायर अपने दोनों हाथ दोनों दिशाओं में खोलकर वाइड का इशारा देता है। वाइड का इशारा देते वक्त अंपायर के दोनों हाथ की हथेली नीचे की ओर होती है और उसके दोनों हाथों कंधे जितना उठते हैं, कोहनी मुड़ति नहीं है।
ऊंची वाइड – जब गेंदबाज बाउंसर डालने के चक्कर में गेंद को अधिक पटक देता है तो अतिरिक्त उछाल के कारण गेंद बल्लेबाज के ऊपर से भी निकल जाती है इसे भी अंपायर अपने जजमेंट के हिसाब से वाइड दे सकता है। ऐसी अवस्था में फसने पर मुख्य अंपायर लेग अंपायर से डिस्कस करता है की गेंद बल्लेबाज के कितने ऊपर से गई है और उससे सलाह लेकर वाइड है या नहीं इशारा देता है। यदि वाइड नहीं होगी तो वह दोनों हाथ सीधे ही रखता है और वाइड होने पर दोनों हाथ खोल देता है।
लेग बाय – जब गेंद बल्लेबाज के शरीर के किसी भी हिस्से पर लगती है और बल्लेबाज रन दौड़ता है या फिर गेंद बल्लेबाज को छूती हुई सीमा रेखा के बाहर तक चली जाती है। ऐसी अवस्था में अंपायर अपना एक पैर घुटने तक उठाता है और हाथ से पैर पर थपथपाते हुए लेग बाय इशारा देता है।
बाय – यदि गेंदबाज ने एक ऐसी गेंद डाली जिससे बल्लेबाज चकमा खा जाए और बिना उसके बल्ले या शरीर को लगे गेंद विकेटकीपर को भी चकमा देते हुए चली जाए तो ऐसे में अंपायर अपना एक हाथ ऊपर उठाता है और हथेली सामने की ओर दिखाते हुए बाय का इशारा करता है। यदि वही गेंद कीपर को चकमा देते हुए सीमा रेखा के बाहर चली जाती है तो सामने खड़ा हुआ अंपायर पहले हाथ उठा कर बाय का इशारा देता है फिर चौके का इशारा देता है। यदि गेंद बल्लेबाज को चकमा दे देती है किंतु कीपर के हाथ से टकराकर यहां वहां चली जाती है और बल्लेबाज रन भागता है तो भी अंपायर अपना एक हाथ ऊपर उठा कर हथेली सामने की ओर दिखाता है और बाय का इशारा देता है।
नो बॉल – यदि 30 गज के दायरे के अंदर नियम के विपरीत ज्यादा खिलाड़ी या कम खिलाड़ी खड़े होते हैं तो ऐसे में अंपायर अपना एक हाथ ठीक अपने कंधे जितना बिना कोहनी मोड़ें उठाता है और हथेली नीचे की ओर होती है कई बार मुट्ठी भी बंद कर देता है, नो बोल का इशारा देता है। पहले जब गेंदबाज बॉलिंग क्रीज की लाइन से आगे निकल कर बॉलिंग करता था तो ऑन फील्ड अंपायर नो बोल का इशारा देता था किंतु अब यह फैसला मैदान के बाहर बैठा थर्ड अंपायर देता है।
डेड बॉल – किसी कारणवश गेंदबाज के हाथ से गेंद छूट जाती है तो अंपायर उसे डेड बोल देता है, कभी बल्लेबाज अचानक से पीछे हट जाता है तो भी अंपायर उसे डेड बॉल देता है। कभी-कभी गेंदबाज अपना रनअप खो बैठता है और गेंद रिलीज ही नहीं करता है तो अंपायर उसे डेड बॉल करार देता है। आपने जरूर देखा होगा कि बल्लेबाज ने एक लंबा शॉट मारा किंतु गेंद ऊपर किसी कैमरे में लग गई भले ही वह 6 रन के लिए जा सकती हो लेकिन उसे भी यह निर्दई इंसान डेड बॉल करार देता है।
निर्णय वापस लेना – यदि अंपायर ने एलबीडब्ल्यू में बल्लेबाज को आउट करार दिया है और बल्लेबाज असहमत है तथा उसने डीआरएस लेकर थर्ड अंपायर को चुना जहां वह आउट नहीं माना गया। तो ऐसी स्थिति में ऑन फील्ड अंपायर अपने दोनों हाथों को एक दूसरे के क्रॉस कर छाती पर लगाता है और अपनी गलती मानते हुए अपने गलत फैसले को बदलते हुए थर्ड अंपायर के फैसले को लागू करता है।
पावर प्ले – जब पावरप्ले शुरू होता है तो अंपायर अपना हाथ अपने सर के ऊपर गोलाकार तरीके से घुमाता है।
चौका – जब बल्लेबाज गेंद को एक दो या कुछ टप्पों के साथ सीमा रेखा के पार पहुंचा देता है तो सामने खड़ा मुख्य अंपायर अपना घुटना मोड़ते हुए हल्का सा उठाता है साथ ही एक हाथ को शोल्डर की हाइट पर सीधा करते हुए दूसरे हाथ से पहले हाथ के नीचे हाथ हिलाते हुए चौके का इशारा देता है।
छक्का – जब बल्लेबाज गेंद को बिना किसी टप्पे के डायरेक्ट सीमा रेखा के पार पहुंचा देता है तो सामने खड़ा अंपायर अपने दोनों हाथों को बिल्कुल ऊपर उठाते हुए छक्के का इशारा देता है। कुछ अंपायर थोड़ा अलग करते हुए लोगों का मनोरंजन भी करते हैं जैसे न्यूजीलैंड के बिलि बावडन अपने हाथ की पहली दोनों उंगलियों को फोल्ड कर धीरे-धीरे हाथों को ऊपर की ओर उठाते हैं और शरीर को हल्का सा लचकाते हैं।
फ्री हिट – नो बॉल होने की अवस्था में अंपायर अपना एक हाथ सर के ऊपर से गोल-गोल घुमाते हुए फ्री हिट का इशारा देता है। और फ्री हिट होने पर दोबारा से वह गेंद डाली जाती है और दोबारा जो गेंद डाली जाती है उस पर बल्लेबाज को आउट नहीं दिया जा सकता है।
ओवर की समाप्ति – जैसे ही ओवर की 6 गेंदे पूरे हो जाती है तो अंपायर अपने दोनों हाथों की कोनी मोड़कर आगे की ओर झटकते हुए ओवर की समाप्ति की घोषणा करते हैं।
ड्रिंक्स ब्रेक – ड्रिंक्स ब्रेक का एक निश्चित समय होता है लेकिन इसका निर्णय भी अंपायर लेता है।
टी ब्रेक – भारतीय समय अनुसार लगभग 3:30 बजे टेस्ट मैचों में टी ब्रेक होता है और यह ब्रेक अंपायर के टी ब्रेक बोलने के बाद होता है।
लंच ब्रेक – भारतीय समयानुसार टेस्ट मैच में लंच ब्रेक दोपहर 12:30 होता है और ब्रेक से ठीक पहले अंपायर “लंच ब्रेक” बोलकर इस ब्रेक की शुरुआत करता है।
अंतिम घंटा – यह टेस्ट मैच में वह आखरी घंटा होता है जिसमें 15 से 20 ओवर फेंके जाने होते हैं ताकि मैच का कोई नतीजा निकल सके। अंतिम घंटे का इशारा अंपायर कलाई में घड़ी की ओर करते हुए देता है।
स्टंप या ड्रॉ – मैच जीतने पर अंपायर विजेता टीम के लिए स्टंप कहता है और कोई नतीजा न निकलने पर ड्रॉ कहता है।
पूछे गए प्रश्न उत्तर
क्रिकेट में अंपायर किन फैसलों को लेता है बताइए?
टॉस करवाना, खेल की शुरुआत प्ले बोल कर, एलबीडब्ल्यू, वाइड बॉल, नो बॉल, डेड बॉल, चौका, छक्का, ओवर की समाप्ति, लेग बाय, बाय, ड्रिंक्स ब्रेक, टी ब्रेक, लंच ब्रेक।
क्रिकेट मैच में कितने एंपियर मौजूद होते हैं?
दो अंपायर मैदान के अंदर तथा एक मैदान के बाहर टीवी एवं कंप्यूटर के सामने बैठा होता है। इस तरह से कुल तीन मुख्य अंपायर 1 क्रिकेट मैच को सफल बनाने के लिए कार्य करते हैं।
क्रिकेट मैच में कितने अंपायरों की आवश्यकता होती है?
3 अंपायर मैच को संचालित करते हैं।
क्या क्रिकेट मैच के दौरान खिलाड़ी को अंपायर से बात करने की अनुमति है?
गेंदबाज और बल्लेबाज अपने रन अप तथा बैटिंग गार्ड के बारे में पूछते हैं जबकि कप्तान अपनी रणनीति आजमाते हुए कोई डाउट हो तो पूछ सकता है।
क्रिकेट में तीनों अंपायरों की पोजीशन बताइए?
पहला अंपायर बल्लेबाज के बिल्कुल विपरीत यानी गेंदबाजी छोर पर विकेटों के कुछ कदम पीछे खड़ा होता है जबकि दूसरा एंपायर बल्लेबाज के लेग दिशा में खड़ा होता है तथा तीसरा अंपायर मैदान के बाहर टीवी के सामने बैठा होता है।