इंजीनियर बनने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी होती है डॉक्टर बनने के लिए डॉक्टरी की पढ़ाई करनी होती है लेकिन खेलों में ऐसा नहीं है फुटबॉलर या क्रिकेटर बनने के लिए व्यक्ति को डिग्री से ज्यादा स्किल हासिल करनी होती है। हालांकि आपको कम से कम 12वी तो कर ही लेनी चाहिए और क्रिकेट खेलते-खेलते ग्रेजुएशन भी कंप्लीट कर लेनी चाहिए। ऐसा उस केस में है जब आपको 15-16 वर्ष की उम्र में ही क्रिकेट खेलने का मौका मिल जाए क्योंकि क्रिकेट में करियर बनाने के लिए अर्ली एज में ही बड़े लेवल के टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करने जरूरी होते हैं।
पर क्रिकेटर बनने के लिए जरूरी नहीं है कि आपके पास डिग्री और 12वीं का सर्टिफिकेट हो हि बल्कि जरूरी यह है कि आप सही जगह पर सही समय पर ट्रायल दें और आपके अंदर स्किल्स हो। आइए अब समझते हैं क्रिकेटर बनने के लिए कौन सी योग्यता का होना अनिवार्य है और कौन सी योग्यता आपको प्राप्त करनी चाहिए।
क्रिकेटर बनने की योग्यता ये है इन्हें फॉलो करें
फिटनेस पर ध्यान दें, क्रिकेट एकेडमी से जुडें, क्रिकेट प्रैक्टिस शेड्यूल बनाएं, अच्छे कोच की जरूरत, लोकल टूर्नामेंट खेलना शुरू करें, उम्र का नहीं रोल पर जल्दी खेलना शुरू करें, जिला क्रिकेट ट्रायल्स में प्रतिभाग करें।
फिटनेस पर ध्यान दें – सबसे पहले और मूलभूत जरूरत यह है कि आपको अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए और दौड़ भाग, एक्सरसाइज, योगा, मेडिटेशन इनको अपनी आदत में शामिल करना होगा। आज कंपटीशन का जमाना है और बिना फिट रहे किसी भी क्षेत्र में उन्नति हासिल करना काफी मुश्किल है। आपको नियमित दौड़ लगानी होगी ध्यान रहे सिर्फ पैदल चल सैर करने से कुछ नहीं होगा यह तो वे लोग करते हैं जिन्हें 9 टु 5 की साधारण जॉब करनी होती है यदि खिलाड़ी बनना है तो दौड़ लगानी होगी वह भी नियमित पूरे साल। एक्सरसाइज, योगा और मेडिटेशन को भी दौड़ के साथ अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा इन सभी प्रक्रियाओं को नियमित रूप से करने से इंसान शारीरिक रूप से अंदर, बाहर और दिमाग से मजबूत बनता है।
क्रिकेट एकेडमी से जुडें – ऐसी क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन ले जो आपके स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त हो जैसे उत्तराखंड में रहने वाले लोगों को यूसीए यानी उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त वाली क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन लेना चाहिए। क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करने का मुख्य फायदा यह होता है कि आपको नियमित प्रैक्टिस का मौका मिल जाता है वह भी मिट्टी की बनी असली क्रिकेट पिच पर जो कि शायद घर पर तैयार करना मुश्किल होता है। इसके अलावा क्रिकेट एकेडमी में नियमित दौड़ भाग और क्रिकेट ड्रिल्स कराई जाती है जिससे खिलाड़ी में बतौर गेंदबाज या बल्लेबाज निखार आता है। अकैडमी में न सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी की प्रैक्टिस मिलती है बल्कि क्षेत्ररक्षण तथा विकेटकीपिंग की प्रैक्टिस भी मिलती है एकेडमी जाने का फायदा यह होता है की यहां क्रिकेट का माहौल होता है और आपके जैसे ही अन्य बच्चे भी प्रैक्टिस कर रहे होते हैं। सबसे बड़ा फायदा मैच प्रैक्टिस के रूप में टूर्नामेंट्स द्वारा मिलता है। हालांकि यह जरूरी नहीं कि क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करने के बाद ही क्रिकेटर बना जा सकता है यदि आप एकेडमी ज्वाइन करने में सक्षम नहीं है तो घर पर ही निरंतर और सीरियस प्रैक्टिस करें तथा डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट ट्रायल्स में पार्टिसिपेट करें।
अच्छे कोच की जरूरत – यदि आपको क्रिकेट एकेडमी में अच्छा कोच मिलता है तो वह आपके हुनर को तराश कर और ज्यादा अच्छा कर सकता है। अच्छा कोच अपने खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के साथ ट्रायल देने का मौका भी देता है और अच्छा कोच अपने खिलाड़ियों की कमी को उन्हें समझाने में कामयाब रहता है तथा उसे दूर करने के नए-नए उपाय बताता है। जरूरी नहीं कि अच्छा कोच या कोच आपको क्रिकेट एकेडमी में ही मिले बल्कि आपके घर से आपका बड़ा भाई या आपके डैडी भी एक अच्छे कोच हो सकते हैं, मैं तो कहूंगा आपकी मम्मी यह आपकी बड़ी बहन या कोई कजन भी एक अच्छे कोच हो सकते हैं।
दूसरे नजरिए से देखें तो आप भी एक अच्छे कोच हो सकते हैं और यह बात तब साबित हो जाएगा जब आप अपने घर की किसी और छोटे या बड़े सदस्य में क्रिकेट की प्रतिभा देख लें और उसे निखारने में मदद करें। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह जरूरी नहीं कि कोच उम्र में बड़ा ही हो उम्र में छोटा व्यक्ति अपने से बड़े उम्र वाले व्यक्ति को भी कोचिंग दे सकता है और इसे ही एक अच्छे कोच के गुण कहते हैं।
क्रिकेट प्रैक्टिस शेड्यूल – यदि आप क्रिकेट एकेडमी जाते हैं तो आपको एकेडमी का शेड्यूल फॉलो करना होता है लेकिन अगर आप घर पर ही प्रैक्टिस करते हैं तो आपको एक अच्छा क्रिकेट शेड्यूल बनाना होगा जिसे साल भर बिना किसी अनिवार्य छुट्टी के फॉलो करना होगा।
लोकल टूर्नामेंट जरूरी है – क्रिकेटर बनने के लिए सिर्फ घर पर ही या अकैडमी में ही प्रैक्टिस काफी नहीं बल्कि आपको टूर्नामेंट खेलने होंगे। टूर्नामेंट मैच प्रैक्टिस का सबसे बेहतरीन उपाय है बिना टूर्नामेंट खेले आपको मैच प्रैक्टिस का अनुभव नहीं मिलेगा क्योंकि प्रैक्टिस में कोई प्रेशर नहीं होता है जबकि मैच खेलते वक्त थोड़ी-थोड़ी देर में सिचुएशन बदलती रहती है और आपको सिचुएशन के हिसाब से अपने आपको ढालना होता है। जब खिलाड़ी क्रिकेट मैच सिचुएशन के हिसाब से खेलने में कामयाब होता है तो उस खिलाड़ी में खेलने की स्किल के अलावा परिस्थितियों से जूझने और लड़ने की स्किल भी आ जाती है जिसे एक अच्छा टेंपरामेंट कहा जाता है।
उम्र का नहीं रोल पर जल्दी क्रिकेट शुरू करें – जी हां यह सत्य है कि क्रिकेटर बनने के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं की गई है आप 40 वर्ष या उससे अधिक के हैं तो भी क्रिकेट ट्रायल्स के लिए एलिजिबल है। किंतु प्रैक्टिकल रूप से देखा जाए तो ऐसा कर पाना काफी मुश्किल होता है हालांकि एग्जांपल्स है पर एग्जांपल उन्हें कहा जाता है जो चुनिंदा या बहुत कम होते हैं और हर क्षेत्र में कुछ ना कुछ एग्जांपल होते हैं। आपको जल्दी क्रिकेट खेलना शुरू करना होगा ताकि आपके पास ज्यादा समय रहे ट्रायल देने का ज्यादा मौका मिले। जल्दी क्रिकेट ट्रायल देने से सही समय पर रणजी ट्रॉफी जैसे घरेलू क्रिकेट तक पहुंचा जा सकता है जिसके बाद नेशनल क्रिकेट के दरवाजे भी खटखटाऐ जा सकते हैं।
जिला क्रिकेट ट्रायल्स में प्रतिभाग करें – भले ही आपने दसवीं कक्षा पास की हो लेकिन अगर आप में क्रिकेट के अच्छे गुण हैं आप फिट हैं तो आपको एक बार डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट ट्रायल देने चाहिए। जिस भी व्यक्ति को क्रिकेट अपना करियर शुरू करना है तो वह जान लें उन्हें सबसे पहले जिला क्रिकेट ट्रायल ही देने होते हैं और जिला क्रिकेट टीम में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर स्टेट लेवल तक पहुंचना होता है उसके बाद रणजी जैसे बड़े टूर्नामेंट की बारी आती है और वहां लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद ही आपको भारत की अंडर-19 टीम, भारतीय ऐ टीम या राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका मिलता है।
हालांकि, क्रिकेट में पढ़ाई से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपको अपनी पढ़ाई डिस्टर्ब नहीं करनी चाहिए ताकी आप फॉर्म भर सकें, जिंदगी के निर्णय अच्छी तरह से ले सकें और आपको परिवार का भी सपोर्ट मिल सके। आपके अंदर खेल कौशल की योग्यता का होना अनिवार्य है, डिसिप्लिन की योग्यता का होना अनिवार्य है, गलत आदतों और गलत लोगों से दूर रहना जरूरी है, फिटनेस को महत्व देना तथा फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक से दूर रहना जरूरी है। यदि आपके पास यह सब योग्यताएं हैं तो आपको किसी और योग्यता की आवश्यकता नहीं बल्कि क्रिकेट ट्रायल देने की आवश्यकता है और क्रिकेटर बनने के लिए सबसे पहले जिला लेवल पर ट्रायल देना होता है उसके बाद स्टेट क्रिकेट तथा उसके बाद विजय हजारे, रणजी ट्रॉफी जैसे बड़े घरेलू क्रिकेट की बारी आती है।