हम सब ने कभी ना कभी क्रिकेट में विकेट कीपिंग जरूर की है किंतु मैच में विकेट कीपिंग करने के लिए खास स्किल का होना जरूरी है और उस स्किल को पहचान कर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि आप विकेटकीपर बन सकते हैं या नहीं! आज मैं आपको बताऊंगा कि कौन सी स्किल विकेटकीपिंग के लिए जरूरी होती है और अच्छी विकेटकीपिंग करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना होता है।
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अच्छी विकेटकीपिंग कैसे करें सही तकनीक तथा टिप्स
स्टेमिना तथा स्किल होना जरूरी
आज के दौर में कंपटीशन काफी ज्यादा है इसीलिए सिर्फ विकेटकीपिंग से काम नहीं चलता है जिस खिलाड़ी को विकेटकीपिंग के अलावा बल्लेबाजी करनी भी आती है उसे टीम में जगह मिलती है। ऐसे में विकेटकीपर को अधिक मेहनत करनी होती है और अपना स्टेमिना उस स्तर पर ले जाना होता है जहां उसे 50 ओवर विकेट कीपिंग करने के बाद क्रिकेट पिच में घंटों खड़े होकर बल्लेबाजी भी करनी होती है। विकेटकीपर का स्टैमिना हमेशा अच्छा होना चाहिए क्योंकि उसे डबल काम करने होते हैं। एकदिवसीय और टी-20 मुकाबलों में भले ही कई बार उसकी बल्लेबाजी नहीं आती किंतु टेस्ट मैचों में उसे बहुत लंबी विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी का भरपूर मौका मिलता है।
विकेटकीपर अपना स्टेमिना कैसे बनाता है इस बात पर बाद में बात करेंगे फिलहाल यह जानते हैं कि आप एक अच्छे विकेटकीपर कैसे बन सकते हैं।
सबसे पहले इस बात का पता होना जरूरी है कि आप विकेटकीपिंग के लिए बने भी है या नहीं! और इस बात का पता तब चल जाएगा जब आप आसानी से क्रिकेट बॉल को विकेट के पीछे कलेक्ट कर पा रहे हैं। अपनी स्किल्स को कंफर्म करने के लिए मध्यम तेज गेंदबाज पर विकेट के नजदीक से ही विकेटकीपिंग करें और यदि आप बिल्कुल सफाई से गेंद कलेक्ट कर पा रहे हैं तो आप निश्चित रूप से विकेटकीपिंग के लिए बने हैं। अगर एक ओवर में से एक या दो गेंदें आपके दस्तानों से टकराकर यहां वहां गिर जा रही है या फिर आपके हाथों के बीचो-बीच कलेक्ट नहीं हो पा रही है इसका मतलब आप अच्छे विकेटकीपर नहीं है और ऐसे में आपको विकेट कीपिंग से हटकर किसी और स्किल पर ध्यान देना चाहिए।
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क्योंकि वह जमाना अलग था जब राहुल द्रविड़ विकेट कीपिंग किया करते थे और एक ओवर में एक से दो गेंदें उनके दस्तानों से टकरा जाया करती थी किंतु फिर भी उन्हें विकेटकीपिंग कराई जाती थी। हालांकि मेहनत और डेडीकेशन से कुछ भी हो सकता है और तगड़ी मेहनत करने के बाद आप एक अच्छे विकेटकीपर भी बन सकते हैं। अब यदि आपको स्पष्ट हो चुका है कि आपको विकेटकीपिंग करनी है या नहीं तो हम बात करते हैं विकेटकीपिंग टेक्निक की जो नीचे वाले पैराग्राफ में समझाया गया है।
विकेटकीपिंग टेक्निक
जिस प्रकार से बल्लेबाज बैटिंग करते वक्त गार्ड लेता है और एक लाइन खींचता है तथा सुनिश्चित करता है कि उसका लेग स्टंप या मिडिल स्टंप कहां पर है। उसी प्रकार विकेटकीपर को भी ऑफ स्टंप से पीछे की ओर एक हल्की लाइन खींचनी चाहिए तथा उस पर अपना बांया पैर रखना चाहिए। विकेटकीपर को हमेशा ऑफ स्टंप के बाहर खड़ा होना चाहिए और केवल उसका बांया पैर ऑफ़ स्टंप की लाइन पर होना चाहिए और पूरी बॉडी बाहर की दिशा में होनी चाहिए।
विकेटकीपर के अंदर धैर्य तथा तेजी दोनों का होना अनिवार्य है। तेजी इसलिए होनी चाहिए ताकी बल्ले के किनारे पर गेंद लगते हि वह उछल कर उसे लपक सके और साथ ही गेंद के टप्पे को देखकर तेजी से अपनी पोजीशन बदल सके। धैर्य तब काम आता है जब विकेटकीपर गेंद के टप्पे को देखकर पहले ही उस दिशा में नहीं पहुंच जाता क्योंकि गेंद बल्लेबाज के शरीर या बल्ले का किनारा लेकर दूसरी दिशा में भी जा सकती है। इसलिए जरूरी है कि गेंद के टप्पे को देखकर विकेटकीपर पोजीशन बदलने के लिए तैयार तो हो जाए किंतु बदले तभी जब गेंद बल्लेबाज को क्रॉस कर चुकी हो। ऐसा करने से वह लेट लगे किनारे को कैच में तब्दील कर सकता है।
विकेटकीपिंग पोजीशन
पूरी तरह से घुटनों पर बैठना है और दोनों पैरों को आपस में जोड़ना नहीं है बल्कि उनके बीच में समान अंतर होगा ताकि विकेटकीपर आसानी से उठ सके। जैसे ही गेंदबाज गेंद डालने की मुद्रा में आ जाए विकेटकीपर को झुकी हुई कमर के साथ ही स्टंप्स की हाइट तक उठ जाना चाहिए ताकि सभी प्रकार की गेंद को कलेक्ट कर सके। उठना इसलिए जरूरी है ताकि ऊंची गेंदों को पकड़ा जा सके और बैठना इसलिए जरूरी है ताकि ग्राउंड से लगी हुई गेंदों को भी रोका जा सके। हर बार जमीन को दस्तानों से टच करना इसलिए जरूरी है ताकि उठने पर जमीन से हाइट का अंदाजा लगाया जा सके और कम ऊंचे कैच को भी पकड़ा जा सके।
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फास्ट बोलिंग पर विकेटकीपिंग टेक्निक
विकेट से पीछे की ओर कदम गिनते हुए अपने लिए एक मार्क बनाएं और मार्किंग ऑफ स्टंप की लाइन पर होना चाहिए। ऑफ स्टंप पर अपना बांया पैर रखें जबकि लेफ्ट हैंडेड को ऑफ स्टंप पर अपना दायां पैर रखना होगा और जमीन को दस्तानों से छूते हुए घुटनों पर बैठ जाएं तथा जैसे-जैसे गेंदबाज दौड़ते हुए गेंदबाजी छोर के नजदीक पहुंचे वैसे-वैसे आपको धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठना है और अंत पोजीशन में विकेटकीपर की कमर थोड़ी झुकी हुई रहेगी।
अपने दोनों हाथों को या दोनों दस्तानों को आपस में जोड़े रखना है और जब भी कैच करें तो दोनों हाथ उस दिशा में एक साथ जाने जरूरी हैं। जब तक गेंद बहुत दूर ना हो कभी भी एक हाथ से कैच करने की कोशिश ना करें। गेंद में अधिक बाउंस होने पर आपके सर के ऊपर से गेंद जा रही हो तो भी पहली कोशिश दोनों हाथ से गेंद पकड़ने की करें। विकेटकीपर दोनों हाथों से गेंद को कैच करने की कोशिश करता है तो उसके ग्लव्स की बनावट के कारण गेंद आसानी से पकड़ी जाती है।
गेंद उछाल के साथ विकेटकीपर के ठीक दाएं या बाएं जाने पर विकेटकीपर को दोनों हाथ उस दिशा में ले जाते हुए अपना अपना दाया और बांया घुटना भी उस दिशा में उठाना होता है जिससे बॉडी बैलेंस अच्छा बनता है और बिना ज्यादा मूवमेंट किए गेंद के नजदीक जाने का भी मौका मिलता है।
स्पिन गेंदबाज पर विकेटकीपिंग टेक्निक
ऑफ स्टंप से पीछे की ओर एक सीधी लाइन खींचे और उस पर अपना बांया पैर रख दें। दोनों पैरों के घुटने मोड़कर झुकते हुए अपने दोनों दस्तानों को जमीन से टच करें ताकि आपको जमीन और अपनी पोजीशन के बीच की हाइट का अंदाजा हो जाए। विकेटकीपर को स्पिन गेंदों को ज्यादा देर तक देखना होता है और अंत समय पर ही मूव करना होता है। जैसे लेग स्पिन हवा में बल्लेबाज के अंदर की ओर आती है लेकिन टप्पा खाते ही बाहर की ओर चली जाती है अगर ऐसे में विकेटकीपर गेंद को देखते हुए लैग स्टंप कि ओर चला जाएगा तो गेंद ऑफ स्टंप की ओर निकल जाएगी। इसलिए जरूरी है कि गेंद को टप्पा खाने दें और उसके बाद गेंद जिस दिशा में जाए उस दिशा में उसे पकड़ा जाए।
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