क्रिकेट के नियम लेटेस्ट | cricket ke niyam latest

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यूँ तो क्रिकेट के 42 नियम होते हैं पर आज हम जानेंगे कुछ मुख्य नियमों को। कुछ नियम से आप सभी परिचित होंगे पर कुछ ऐसे भी नियम हैं जो आपको जानने की ज़रुरत है। और कुछ नियम ICC की तरफ से अपडेट भी होते रहते हैं। आज इस पोस्ट में हम क्रिकेट के सभी नियमों को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

क्रिकेट का इतिहास और नियम

क्रिकेट की शुरुआत 16 वि शताब्दी में हुई । यह माना जाता है की खेल की शुरुआत इंग्लैंड के घने जंगलो में बच्चों के द्वारा हुआ था जहाँ वे अक्सर किसी सामग्री का इस्तेमाल कर क्रिकेट खेलते थे वे बच्चे साउथ इस्ट इंग्लैंड ( वील्ड ) के रहने वाले थे। सबसे पहला अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच सन 1844 में खेला गया था।

काउंटी क्रिकेट चैंपियनशिप की शुरुआत – सन 1890 में काउंटी क्रिकेट चैंपियनशिप का औपचारिक गठन किया गया इस युग को क्रिकेट का सुनहरा समय भी कहा जाता है यानि गोल्डन ऐज ऑफ़ क्रिकेट क्योंकि वर्ल्ड वॉर 1 का समय होने के कारण लोगो में गृह प्रेम की भावना चरम पर थी और क्रिकेट को उच्च खेल भावना के साथ खेला जाने लगा।

गेंद प्रति ओवर के पुराने नियम – पहले कितनी गेंद प्रति ओवर डाली जाती थी यह एक इंट्रस्टिंग विषय है। सर्वप्रथम 4 गेंद प्रति ओवर फेंकी जाती थी जिसे सन 1989 में बदलकर 5 गेंद प्रति ओवर किया गया। सन 1900 में 6 गेंद प्रति ओवर कर दी गई पर कुछ देशों ने 8 गेंद प्रति ओवर का भी प्रयोग किया और सन 1922 में कंगारुओं ने यानि ऑस्ट्रेलिया ने 6 से 8 गेंद प्रति ओवर कर दिया 1924 में न्यूज़ीलैंड और 1937 में साउथ अफ्रीका ने भी इसे स्वीकार लिया । क्रिकेट के कानून ने 6 या 8 गेंद खेलने को मंज़ूरी दे दी। आज की तारीख में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में 6 गेंद प्रति ओवर की जाती है इस 6 गेंद प्रति ओवर को सन 2000 में क्रिकेट के कानून द्वारा मंज़ूरी मिली थी। क्रिकेट के इस इतिहास की जानकारी का श्रेय विकिपीडिया को जाता है।

क्रिकेट खेलने हेतु सामग्री

जैसा की हम सब जानते हैं कि क्रिकेट मैदान में खेला जाता है अतः यह आउटडोर गेम कि श्रेणी में आता है। क्रिकेट भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय खेल है और हर गली मोहल्ले में खेला जाता है। जो दर्जा यूरोपीय देशों में फुटबॉल को हांसिल है वही दर्जा एशियन देशों में खासकर भारत में क्रिकेट को हासिल है।

क्रिकेट खेलने हेतु सामग्री – मुख्य सामग्री बल्ला, गेंद, हैलमेट, पैड्स, स्टम्प्स।

बल्लेबाज क्रिकेट बैटहैलमेटबैटिंग ग्लव्सबैटिंग पैड्सएल गार्डचैस्ट गार्ड
थाई गार्ड
एल्बो गार्ड –
शूज
गेंदबाजबौललैदर बॉलटेनिस बौलटी-शर्टशूज
विकेट कीपरकीपिंग पैड्सग्लव्सएल गार्डहैलमेटशूज
स्टम्प्सबेल्सक्रिकेट मैट

क्रिकेट के मुख्य नियम

क्रिकेट में कई नियम बनते और रिमूव होते आये हैं पेश है आप के सामने कुछ- क्रिकेट के नए नियम और क्रिकेट के पुराने नियम

आउट होने के प्रकार

बोल्ड – जब गेंद बल्ले को चकमा दे कर सीधे विकेट पर लगे और गिल्लियां बिखर जाए तो आउट माना जाता है ध्यान रहे आउट होने के लिए बेल्स का गिरना ज़रूरी होता है। गेंद बल्ले के अंधरूनी हिस्से से या बल्लेबाज़ के शरीर के किसी हिस्से से टकरा कर भी यदि विकेट्स पर लग कर गिल्लियां बिखेर देती हैं तो भी आउट माना जाता है।

LBW – एल बी डब्लू को लेग बिफोर विकेट कहा जाता है। यदि गेंद बल्ला मिस कर पैर पर टकराती है और एम्पायर को लगे की गेंद सीधे विकेट पर लग सकती थी और पैर बीच में आ गया तो आउट माना जायेगा पर यदि गेंद ऑफस्टम्प या लेग स्टम्प के बाहर पिच होती है और फिर बल्ले को बीट करते हुए स्टंप्स की और जाती है तो नॉट आउट माना जाएगा। गेंद का स्टम्प्स की लाइन में टप्पा खाना अनिवार्य है।

यदि बल्लेबाज़ के कंधे, हेलमेट या कही और बॉल लगे और उसका निशाना विकेट की ओर हो तो भी एल बी डबल्यू आउट होता है ऐसा अमूमन असमतल उछाल वाली पिच पर होता है जब बल्लेबाज़ बाउंसर या छोटी गेंद को छोड़ने के लिए नीचे झुकता है ओर बॉल बॉडी पे खा जाता है। मैकग्राथ ने सचिन को एक मैच में ऐसे ही एल बी डब्लू आउट किया था सचिन के शोल्डर पर बॉल लगी थी ओर अम्पायर ने उन्हें आउट करार दिया.

कैच आउट – बल्लेबाज़ द्वारा गेंद हवा में उछाली गई हो और फील्डर द्वारा उसे बिना ज़मीन पे टप्पा खाए पकड़ लेना आउट होता है

कौट एंड बोल – यदि गेंदबाज़ ने अपनी ही बोलिंग में खुद ही बल्लेबाज़ का कैच लपक लिया तो वह कौट एंड बोल कहलायेगा।

स्टम्पिंग – यदि बल्लेबाज़ क्रीज़ से बाहर निकलकर गेंद से चकमा खा जाए और उसी समय विकेट कीपर बल्लेबाज़ के क्रीज़ में लौटने से पहले गेंद को पकड़ कर विकेट पे लगा दे तो यह स्टम्पिंग कहलाएगी जिसमे बल्लेबाज़ आउट होता है

रन आउट – जब बल्लेबाज़ रन लेने दौड़े पर समय पर क्रीज़ में न पहुंच पाए और फील्डर द्वारा बल्लेबाज़ के क्रीज़ में पहुंचने से पहले ही विकेट पर बॉल मार दी जाए तो वह रन आउट माना जायेगा ।

हिट विकेट – जब बल्लेबाज़ गलती से अपने ही विकेट को पैर से या बल्ले से हिट कर दे तो उसे हिट विकेट आउट करार दिया जायेगा।

हैंडलिंग द बॉल – जब गेंद बल्लेबाज़ के बल्ले या बॉडी से टकरा कर विकेट की और जाए और वह उसे हाथ से रोके तो आउट माना जाएगा

ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड – यदि किसी खिलाडी ने स्टम्प्स पर थ्रो किया और क्रीज़ के बहार खड़े होकर बल्लेबाज़ ने गेंद रोकी तो आउट माना जाएगा।

प्ले डाउन – इसमें बल्ले से लग कर गेंद विकेट पर लगती है ।

रन के नियम व प्रकार

दौड़ कर रन बनाना – बल्लेबाज़ दौड़ कर 1, 2, 3 या कितने भी रन बना सकता है।

चौका – यदि बॉल बल्ले से लगकर या बिना लगे टप्पा खाते हुए सीमा रेखा से बाहर चली जाए तो बैटिंग टीम व बल्लेबाज़ को चार रन मिलते हैं।

छक्का – यदि बॉल बल्ले से लगकर बिना टप्पा खाए सीमा रेखा से बहार चली जाए तो 6 रन होते हैं कई बार गेंद की गति इतनी तेज़ होती है की वह बल्लेबाज़ के हेलमेट से लग कर भी डायरेक्ट सीमा रेखा को पर कर जाती है वह भी 6 रन होते हैं पर लेग बाई के

अतिरिक्त रन – इसमें लेग बाई, बाई, वाइड, ओवर थ्रो, नो बॉल के रन जुड़ते हैं।

बाई – यदि गेंद बल्लेबाज़ से मिस हो गई और बिना टच किये पीछे चली गई और कीपर से भी मिस हो गई तो यह रन बाई के रन कहलाएंगे। यह रन बल्लेबाज़ के बजाए केवल टीम के कहते में जुड़ते हैं।

लैग बाई – यदि बॉल शॉट खेलते वक्त बल्ले के बजाए बल्लेबाज़ के शरीर या हेलमेट से टकरा कर कही चली जाए और ऐसे में बल्लेबाज़ द्वारा लिया गया रन लेग बाई का रन कहलाएगा पर यह रन भी बाई की तरह बल्लेबाज़ के खाते में नहीं जुड़ेगा यह रन टीम के खाते में जुड़ेगा। गेंद सीमा रेखा पार जाने पर कई बार लेग बाई के 4 रन भी मिल जाते है

वाइड – ऑफस्टम्प के बहार एक मार्किंग होती है यदि गेंद उससे ज़्यादा बहार जाए तो वाइड कहलाएगी यह मार्क लेग स्टंप पर भी होता है पर ऑफस्टम्प वाइड की तुलना में काफी कम होता है। वाइड जाने पर बैटिंग टीम को एक अतिरिक्त रन मिलता है।

ओवर थ्रो – यदि कोई खिलाडी थ्रो करता है और उस थ्रो को कोई और खिलाडी या विकेटकीपर भी मिस कर देता है तो वो रन ओवर थ्रो के रन होंगे कई बार ओवर थ्रो का चौका भी मिल जाता है। यदि बल्लेबाज़ ने एक रन लिया और दूसरे रन को दौड़ा तभी फील्डर ने उसे आउट करने के लिए थ्रो किया और थ्रो स्टंप्स मिस कर बाउंड्री के पार चला जाए तो ये चार रन टीम के साथ साथ बल्लेबाज़ के खाते में भी जुड़ेंगे।

नो बॉल – नो बॉल होने पर वह बॉल पुनः डाली जाएगी और विपक्षी टीम को फ्री हिट के साथ एक अतिरिक्त रन भी मिलेगा।

क्रिकेट में नो बॉल के नियम

  • यदि गेंदबाज़ की एड़ी का कुछ हिस्सा पॉपिंग क्रीज़ के पीछे ना हुआ तो नो बॉल होगीै।
  • रिटर्न क्रीज़ को पिछला पैर छू जाए तो नो बॉल होती है।
  • यदि गेंदबाज़ की गेंद बल्लेबाज़ की कमर से ऊपर बिना टप्पा खाए फुल टॉस लगे और बल्लेबाज़ भी क्रीज़ के अंदर ही हो तो नो बॉल होगी।
  • नो बॉल पर कैच आउट नहीं होता पर रन आउट होता है।
  • यदि विकेटकीपर गेंद को गेंदबाई के दौरान विकेट के आगे कलेक्ट करता है तो नो बाल होती है।
  • अम्पायर को बिना बताए गेंदबाज़ अपना बॉलिंग आर्म या बोलिंग साइड बदलता है तो नो बॉल होगी।
  • यदि खिलाडी नियम अनुसार 30 गज के घेरे में ना हुए या घेरे से बहार भी कम ज़्यादा हुए तो नो बॉल होगी।
  • बॉलर की 15 डिग्री से ज़्यादा कोहनी मोड़ने पर नो बॉल होगी।

क्रिकेट में डेड बॉल के नियम

  • यदि गेंदबाज़ के हाथ से गेंद गलती से छूट जाए तो डेड बोल होगी।
  • यदि गेंद 2 से ज़्यादा टप्पा खाकर बैटिंग क्रीज़ में पहुंचे तो भी डेड बोल होगी।
  • यदि गेंदबाज़ के गेंद करने के दौरान हवा से या अपने आप ही बेल्स गिर जाए तो डेड बाउल होगी फिर भले ही बल्लेबाज़ ने उस गेंद पर 6 रन मारे हों।
  • यदि बल्लेबाज़ ने बेहद ऊंचा शॉट खेला जो ऊपर के कैमरे या उसकी तार से टकरा जाए तो डेड बॉल होगी ऐसे में कैच पकड़ने पर कैच आउट नहीं होगा और छक्का जाने पर भी कोई रन नहीं होगा।
  • डेड बॉल होने पर कोई अतिरिक्त रन नहीं मिलता है पर वह गेंद दोबारा से डालनी पड़ती है।

क्रिकेट में रन आउट के नियम

यदि बैट्समैन के रन लेते वक्त फील्डर ने विकेट पे बॉल मार उसकी बेल्स गिरा दी हैं और बल्लेबाज़ क्रीज़ में पहुंच चुका हो पर दूसरा रन ले रहा हो तो ऐसे में अब की बार फील्डर को सिर्फ स्टम्प्स पर बॉल मारने की बजाए उसे उखाड़ना पड़ेगा तभी बल्लेबाज़ आउट माना जाएगा।

यदि गेंदबाज़ रन अप लेते हुए आ रहा हो और रनर पहले ही क्रीज़ छोड़ दे तो गेंदबाज़ उसे रन आउट कर सकता है पर गेंदबाज़ ने बॉलिंग का एक्शन न लिया हो। ऐसा कई बार हो चुका है अश्विन भी ऐसा कर चुके हैं ।

यदि विकेटकीपर के दस्तानो से गेंद छिटक कर दूर जा गिरे और बल्लेबाज़ रन दौड़ने की कोशिश करे और विकेटकीपर वहीं से स्टम्प हिट कर दे तो उसे स्टम्पिंग नहीं रन आउट कहेंगे।

फ्री हिट पे रन लेने की कोशिश में यदि बल्लेबाज़ रन आउट हो तो वह आउट माना जाएगा। फ्री हिट पे कैच और बोल्ड आउट नहीं होता है पर रन आउट होता है।

फ़ास्ट बॉलर की बॉलिंग में विकेटकीपर दूर खड़े होते हैं ऐसे में यदि कोई बल्लेबाज़ रन दौड़ता है और विकेटकीपर ओवर आर्म थ्रो कर विकेट हिट करे तो रन आउट होगा। धोनी कई बार ऐसा कर चुके हैं।

यदि गलती से दोनों खिलाडी दौड़ कर एक ही क्रीज़ यानि बैटिंग एन्ड में पहुँच गए तो बॉलिंग एन्ड पर एक को रन आउट किया जा सकता है और रन आउट वो खिलाडी माना जाएगा जो बैटिंग एन्ड वाली क्रीज़ पर देर से पहुंचा हो ।

टी 20 नियम

एक टीम को कुल 20 ओवर मिलते हैं बल्लेबाज़ी करने के लिए और फिर उस टीम को 20 ओवर गेंदबाज़ी करनी पड़ती है । 20 ओवर में पांच गेंदबाज़ में से हर गेंदबाज़ अधिकतम 4 ओवर ही कर सकता है । दोनों टीम ने यदि पांच ओवर खेल लिए हैं तो मैच निरस्त नहीं हो सकता।

11 -12 ओवर के पश्चात् एक निश्चित समय में टाइमआउट होता है जिसमे दोनों टीमों को आगे की रणनीति बनाने का मौका मिलता है। एक टीम की बल्लेबाज़ी पूरी होने पर 20 मिनट का मध्यांतर होता है और यदि किसी कारणवश मैच के ओवर घटते हैं तो मध्यांतर का समय 10 मिनट का होता है।

टी 20 क्रिकेट में प्रत्येक ओवर में एक शॉट पिच गेंद फेंकने की अनुमति होती है। यदि कोई मैच ड्रा होता है तो सूपर ओवर खेला जाता है सूपर ओवर में जो ज़्यादा रन बनताहै विजेता बन जाता है यदि तै हो जाए तो ज़्यादा सिक्स मारने वाली टीम जीती मानी जाती है और फिर भी ड्रा हो जाए तो ज़्यादा 4 मरने वाली टीम को विजेता माना जाता है ।

फील्ड पोजीशन – टी 20 क्रिकेट में पहले 6 ओवर तक पावर प्ले चलता है और इस दौरान केवल 2 खिलाडी ही 30 गज की रेखा के बाहर होंगे बाकि सारे फील्डर सर्कल के अंदर होंगे। फील्डिंग टीम को समय पर अपनी बॉलिंग पूरी कर लेनी होगी यानि 20 ओवर को 80 मिनट में पूरा करना होगा नहीं तो फाइन के रूप में कुछ रन ज़्यादा चेज़ करने पड़ सकते हैं।

टेस्ट क्रिकेट के नियम

टेस्ट क्रिकेट 5 दिन तक खेला जाता है इसमें प्रतिदिन अधिकतम 90 ओवर फेंके जा सकते हैं। टेस्ट क्रिकेट में बॉलर की कोई बॉलिंग लिमिट नहीं होती है वह एक ओवर में दो बाउंसर भी कर सकता है।

टेस्ट क्रिकेट में एक टीम को दो पारियां मिलती हैं जिसमे उन्हें दो बार बल्लेबाज़ी तथा दो बार गेंदबाज़ी का मौका मिलता है। एक उदाहरण से समझिये यदि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए टीम A ने 326 रन बनाए और दूसरी टीम यानि टीम B 300 रन ही बना पाई तो दूसरी पारी में टीम A को 26 रन भी मिलेंगे और उन्हें 26 रन से आगे खेलना होगा पर यदि टीम B 300 की जगह 350 रन बनाती है तो टीम A को पहले 350 – 326 = 24 रन्स की लीड उतारनी होगी और फिर आगे रन बनाने होंगे और दूसरी पारी में जो भी रन बनेगे वह टीम B के लिए फाइनल टारगेट होगा।

यदि टेस्ट मैच में मैच ड्रा हो जाए तो वह दोबारा नहीं होगा और ड्रा कहलाएगा। टेस्ट मैच में कोई पॉवरप्ले नहीं होता है इसमें कप्तान कितने भी खिलाडी 30 गज के सर्कल में रख सकता है। इसमें सिली पॉइंट का खिलाडी सबसे नज़दीक खड़ा रहने वाला खिलाडी होता है।

Session in test cricket – टेस्ट क्रिकेट में 3 सेशन होते हैं और हर सेशन में 30 ओवर फेंके जाते हैं । टेस्ट क्रिकेट में दोपहर 12 बजे के आसपास 40 मिनट का लंच होता है और 3:30 बजे 20 मिनट का टी ब्रेक होता है।

फालोआन – यदि एक टीम ने 2 दिन में 500 रन बना लिए हों और दूसरी टीम 40-50 रन ही बना पाए तो पहली टीम दूसरी टीम को फ़ॉलोन दे सकती है और पुनः बल्लेबाज़ी को कह सकती है ऐसा करने से दूसरी टीम के लिए जीतना काफी मुश्किल हो जाता है पर नामुमकिन नहीं। ऐसा कुछ बार हुआ भी है जिसमे सबसे यादगार मैच ऑस्ट्रेलिया और इंडिया के बीच हुआ था जिसमे ऑस्ट्रेलिया ने इंडिया को फॉलो ऑन खिलाया था पर राहुल द्रविड़ और वी वी एस लक्समन की गजब की बेहतरीन बल्लेबाज़ी ने ऑस्ट्रेलिया के मुँह से वो जीत छीन ली थी और इंडिया फॉलो ऑन खेलने के बाद भी विजेता बना था।

एक दिवसीय क्रिकेट के नियम

एक दिवसीय क्रिकेट के नियम – वन डे क्रिकेट 50 ओवर का होता है जिसमे एक टीम को 50 ओवर बैटिंग तथा 50 ओवर फील्डिंग करनी पड़ती है इस प्रकार ये कुल 100 ओवर का मैच होता है। यह करीब 6-7 घंटे में पूरा हो पाता है।

इसमें कोई गेंदबाज़ अधिकतम 10 ओवर कर सकता है। इसमें 10 ओवर का कंपल्सरी पावर प्ले होता है और 5 ओवर का बॉलिंग पावर प्ले होता है जिसे कप्तान अपनी मर्ज़ी से उसे कर सकता है। इस खेल में 5 ओवर का बैटिंग पावर प्ले भी होता है जिसे बल्लेबाज़ अपनी मर्ज़ी से 15 ओवर बाद या 40 ओवर के बाद भी ले सकते हैं।

बाई रनर – यदि बल्लेबाज़ फील्ड में चोटिल हो जाए तो वह अपना बाई रनर माँगा सकता है यानि की उसकी जगह कोई और खिलाडी दौड़ेगा जिस खलाड़ी ने बल्लेबाज़ी कर ली हो वही खिलाडी प्राथमिकता के तौर पर रनर बनता है।

विकेट कीपर क्रिकेट में नियम – कप्तान चाहे तो विकेट कीपर से भी बोलिंग करा सकता है और कुछ देर के लिए किसी और खिलाडी को विकेट कीपिंग दे सकता है। धोनी को अक्सर ऐसा करते हुए देखा गया है।

मैन केडिंग – यदि रनर पहले ही क्रीज़ छोड़ दे और बॉलर उसे रन आउट करे तो यह मैन केडिंग कहलाता है।

थर्ड अम्पायर क्रिकेट नियम – पहले बॉलर के लाइन क्रॉस करने वाली नो बॉल का निर्णय ऑन फील्ड अम्पायर लेता था पर वे इतनी दूर खड़े होते की निरंतर गलती करते थे बाद में इसे बदलकर थर्ड अम्पायर को दे दिया गया अब इस नो बॉल का फैसला थर्ड अम्पायर लेता है पर बाकी नो बॉल्स का निर्णय ऑन फील्ड अम्पायर ही लेते हैं।

क्रिकेट

टॉस – अम्पायर द्वारा सिक्का हवा में उछाला जाता है और दोनों कप्तानों में से एक कॉल मांगता है और जो जीतता है वह बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी का फैसला लेता है।
जो टीम पहले बैटिंग करती है वो एक निश्चित टारगेट दूसरी टीम को देगी उदाहरण 250 रन और दूसरी टीम को बल्लेबाज़ी कर ये 250 रन चेस करने होते है उन्हें कुल 251 रन बनाने पड़ेंगे मैच जीतने के लिए। क्रिकेट के सभी फॉरमैट्स में यदि 11 में से दस खिलाडी आउट हो जाए तो टीम आल आउट कहलाती है, कोई भी बल्लेबाज़ अकेले बल्लेबाज़ी नहीं कर सकता है।
ड्रा – जब दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो जाता है तो मैच ड्रा हो जाता है उदाहरण पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ने 250 रन बने और दूसरी टीम भी 250 रन ही बना सकी तो मैच ड्रा हो जाता है। इसका फैसला सुपर ओवर के द्वारा होता है।
सूपर ओवर – इसमें मैच ड्रा होने पर दोनों टीमों को 6-6 गेंद मिलती है और जो ज़्यादा रन बनाएगा विजेता बन जाता है सुपर ओवर को वन ओवर एलीमिनेटर भी कहा जाता है। यदि किसी मैच में सूपर ओवर भी टाई हो जाता है तो जिस टीम ने ज़्यादा सिक्स मारे हो विजयी होगी और सिक्स भी बराबर हुए तो चौके जिसके ज़्यादा होंगे वो टीम जीतेगी और यदि चौके भी बराबर हुए तो सूपर ओवर दोबारा होगा और तब तक चलेगा जब तक कोई एक टीम मैच जीत नहीं लेती। इसमें बोलिंग सूपर ओवर भी होता है जिसमे कोई बल्लेबाज़ नहीं होता और 6 गेंद 6 अलग अलग खिलाडी डाल सकते हैं जो टीम ज़्यादा बार विकेट हिट करेगी विजेता बन जाती है।
Cricket format – अंतराष्ट्रीय लैवल पर क्रिकेट के तीन फॉर्मेट होते हैं
टेस्ट क्रिकेट 5 दिन तक खेला जाता है
वन डे क्रिकेट 50 ओवर पर टीम – 6-7 घंटे लगते है पूरा मैच खेलने में
T20 क्रिकेट 20 ओवर का होता है दोनों टीमों को कुल 40 ओवर मिलते हैं
क्रिकेट मैच 3 फॉर्मेट होते हैं सबसे पहले टेस्ट क्रिकेट 5 दिन का, एक दिवसीय क्रिकेट एक दिन का, टी 20 यह भी एक दिन का होता है।
क्रिकेट मैच 2 टीमों के बीच होता है प्रत्येक टीम में 11 खिलाडी होते है वैसे सिलेक्शन 16 खिलाडी पर टीम होता है पर फाइनल 12 खिलाडी होते हैं अन्य सदस्यों को रिप्लेसमेंट के लिये रखा जाता है चोटिल खिलाडी या कोई और वजह से भी उन्हें मौका मिल सकता है। 12वा खिलाडी भी मैच में नहीं खेलता वह किसी खिलाडी के चोटिल होने पर मैदान में जाता है पर अन्य खिलाडियों से पहले 12वे खिलाडी को मौका मिलता है। दोनों टीमों को एक बार बल्लेबाज़ी और एक बार गेंदबाज़ी करनी होती है कौन पहले बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी करेगा इसका फैसला टॉस से होता है

बल्लेबाज़ी के लिए नियम – क्रिकेट में बैट्समैन के लिए नियम में काफी सुधार हुआ है खास तौर पे जब से क्रिकेट के नए नियम में DRS लागू हुआ और पैर की नो बॉल देने का अधिकार ऑन फील्ड अम्पायर से छीन लिया गया। बल्लेबा को अधिक से अधिक रन अपनी टीम व अपने लिए बनाने होते हैं। यदि वह 50 रन बनाता है तो उसे हाफ सेंचुरी या अर्धशतक बोलेंगे जो की एक अच्छा परफॉरमेंस माना जाता है और यदि बैट्समैन 100 रन बनाता है तो उसे सेंचुरी या शतक बोलते हैं जो की बेहद अच्छा परफॉरमेंस माना जाता है और यदि वह 0 रन पर आउट हो जाये तो उसे डक आउट होना कहते हैं जो की बेहद ख़राब प्रदर्शन माना जाता है। एक समय पर दो बल्लेबाज़ बल्लेबाज़ी करते हैं एक स्ट्राइक पर तो दूसरा नॉन स्ट्राइक पर होता है।

क्रिकेट के लिए नियम खिलाडियों की भूमिका

क्रिकेट में मुख्यतः तीन प्रकार के खिलाडी होते हैं बल्लेबाज़, गेंदबाज़, फील्डर।

गेंदबाज़ के लिए नियम – गेंदबाज़ों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है तेज़ गेंदबाज़ और स्पिन गेंदबाज़। गेंदबाज़ी को एक दिवसीय मैच में अधिकतम 10 ओवर मिल सकते हैं पर टेस्ट मैच में अधिकतम ओवर की कोई सीमा नहीं है। गेंदबाज़ को बल्लेबाज़ को आउट कर पवेलियन भेजना होता है। आउट के प्रकार – कैच आउट, एल बी डब्लू , क्लीन बोल्ड, रन आउट आदि । यदि गेंदबाज़ 5 विकेट लेता है तो उसे एक लाजवाब प्रदर्शन माना जाता है। बॉलर के लिए नियम में एक खास नियम यह है की यदि उसने 2-3 गेंद ही डाली हों और कप्तान गेंदबाज़ी से खुश न हो तो कप्तान उस गेंदबाज़ को बीच में ही बदल कर बाकि की 3 गेंदे किसी अन्य गेंदबाज़ से करा सकता है इसे बेबी ओवर देना कहते हैं।

विकेटकीपर के लिए नियम – यह तक़रीबन बल्लेबाज़ की तरह सारा किट पहनता है किन्तु इसके पास बल्ला नहीं होता यह विकेट के पीछे तैनात होता है और बल्लेबाज़ को आउट करने की कोशिश करता है स्टम्पिंग या कैच के ज़रिये विकेटकीपर रन आउट में अहम् भूमिका निभाता है और एक बेहद इम्पोर्टेन्ट खिलाडी होता है । किसी भी टीम में एक समय पर एक ही व्यक्ति विकेटकीपिंग कर सकता है। ज़रुरत पड़ने पर कप्तान विकेट कीपर से गेंदबाज़ी भी करा सकता है, यदि कीपर ने हेलमेट उतार कर अपने साइड या पीछे रखा हो और गलती से गेंदबाज़ की गेंद कीपर से छिटककर या डायरेक्ट उस हेलमेट पे लग जाए तो बैटिंग टीम को 5 रन मिलते हैं भले ही गेंद हलके से लगे बॉउंड्री पार भी न जाए और वहीँ रुक जाए तो भी पांच रन मिलते हैं।

फील्डर के लिए नियम – बॉलर के आलावा बाकि दस खिलाडी फील्डर कहलाते हैं विकेटकीपर भी इसी श्रेणी में आता है । इनका काम बल्लेबाज़ के शॉट्स द्वारा जाती हुई गेंद को रोकना होता है। फील्डर एक हद तक ही बल्लेबाज़ को स्लेज़ कर सकते हैं यदि बल्लेबाज़ ने फील्डर की शिकायत अम्पायर से की तो अम्पायर उनके खिलाफ कोई पेनेल्टी लगा सकते हैं। यदि कैच करते वक्त फील्डर का पैर बॉउंड्री लाइन की रोप पर लग जाता है तो आउट के बजाए 6 रन माना जाएगा वैसे ही ग्राउंड शॉट रोकते समय यदि फील्डर का पैर बॉउंड्री रोप पे लगे तो चार रन माना जाएगा। यदि फील्डर जानबूझकर बल्लेबाज़ के सामने आ जाए और वो रन आउट हो जाए तो बल्लेबाज़ रन आउट नहीं माना जाएगा और साथ ही अम्पायर फील्डर पर कोई जुरमाना लगा सकता है।

FAQ

डी आर एस नियम क्या होता है ?

DRS System – डीआरएस को UDRS कहा जाता है जिसका मतलब है अम्पायर रिव्यु सिस्टम जिसमे खिलड़ियों के पास अम्पायर के फैसले को पलटने की शक्ति मिलती है जी हाँ यदि बल्लेबाज़ को लगे की अम्पायर ने उसे गलत आउट दे दिया है तो वह इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर फैसले को पलट सकता है और यदि बॉलर की लगे की बल्लेबाज़ आउट है पर अम्पायर ने आउट नहीं दिया तो वह डीआरएस इस्तेमाल कर ओरिजनल फैसले को पलट सकता है। धोनी ने सबसे ज़्यादा बार डीआरएस का सही इस्तेमाल किया और मज़े की बात ये है की अब डीआरएस धोनी रिव्यु सिस्टम के नाम से भी फेमस है।

डीआरएस नियम में 3 लेटेस्ट परिवर्तन क्या हुए हैं ?

डीआरएस नियम परिवर्तन – ICC क्रिकेट कमिटी के अध्यक्ष अनिल कुंबले ने डीआरएस में 3 बड़े बदलाव के बाद कहा अम्पायर्स कॉल बरक़रार रहेगी। 3 बड़े बदलाव इस प्रकार से हैं
1. विकेट जोन की ऊंचाई को बढाकर स्टम्प के ऊपर तक कर दिया गया है यानि अब अम्पायर कॉलिकेट की ऊंचाई और चौड़ाई दोनों एक सामान रहेगा।
2. LBW रिव्यू लेने से पहले खिलाडी को अम्पायर से पूछना होगा की बल्लेबाज़ ने गेंद को सही तरीके से खेलने की कोशिश की थी या नहीं।
3. थर्ड अम्पायर अब शार्ट रन की रीप्ले में जांच करेगा और फैसला इसी आधार पर होगा।

जब अनिल कुंबले ने एक टेस्ट पारी में 10 विकेट लिए थे तब सभी विकेट गिरने के दौरान गेंदबाज के छोर पर कौन से अंपायर थे तथा अन्य अंपायर के नाम भी बताइए?

गेंदबाजी छोर अंपायर – अरणी जयप्रकाश।
लेग अंपायर – स्टीव बकनर।
टीवी अंपायर – एस के शर्मा। 
मैच रेफरी – कैमी स्मिथ।

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