यदि आपके दिमाग को भी घुमा फिराकर एक ही सवाल परेशां कर रहा है की यॉर्कर बॉल कैसे डाला जाता है, बुमराह जैसी यॉर्कर बॉल कैसे डालें, परफेक्ट यॉर्कर बॉलिंग टिप्स, यॉर्कर बॉल कैसे डालें तो आज का यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है जिसमे हमने केवल यॉर्कर बॉल का ज़िक्र किया है। इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ने पर आपके परफेक्ट यॉर्कर बॉल डालने से सम्बन्धित सारे कन्फ्यूज़न दूर हो जाएंगे और कम से कम आप एक कदम आगे ज़रूर बढ़ जाएंगे, चलिए शुरू करते हैं यॉर्कर बॉल ट्रेनिंग का सिलसिला।
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परफेक्ट यॉर्कर बॉल कैसे डाला जाता है सही तकनीक
यॉर्कर बॉल किसे कहते हैं – यह एक पूर्ण लम्बी गेंद होती है, जब एक गेंदबाज़ पूरी लम्बी गेंद कर बल्लेबाज़ के जूते पर गेंद करने में कामयाब होता है तो उसे यॉर्कर बॉल कहा जा सकता है। यदि गेंद बिना टिप्पा खाए सीधे बल्लेबाज़ के पंजो पर गिरे तो उसे एक अच्छी यॉर्कर माना जाता है और वही गेंद जब बल्लेबाज़ के पिछले पैर के पंजों या एड़ी पर टकराए तो उसे अनप्लेएबल यॉर्कर माना जाता है। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है की यॉर्कर गेंद वह गेंद है जो बिना टिप खाए सीधे बल्लेबाज़ के क्रीज़ में उसके पंजों के पास या बीच जाके गिरे, पर ध्यान रहे गेंद पंजो या जूतों की हाइट पर ही गिरे इससे ऊपर यदि गेंद पंजो के ऊपर टांगो, घुटनो या थाइस पर गिरे तो उसे फुलटॉस कहेंगे और वह बल्लेबाज़ के लिए एक आसान गेंद भी होगी जिसे बल्लेबाज़ सीमा रेखा के बहार पहुँचाने में देर नहीं लगाता।
जो गेंद बीच क्रीज़ में ही टिप खा जाए वह यॉर्कर नहीं कहलाती बल्कि शॉट ऑफ़ लेंथ कहलाती है और जो गेंद बैट्समैन से 2-3 कदम पहले गिरे वह भी यॉर्कर नहीं कहलाती, वह गेंद ओवरपिच गेंद कहलाती है। यॉर्कर बॉल तभी मानी जाएगी जब गेंद बल्लेबाज़ के टो पर गिरेगी यानि जूतों के बिलकुल नज़दीक जहाँ बल्लेबाज़ को हाथ खोलने का मौका तक नहीं मिलता है।
सही तकनीक
रनअप – सबसे पहले तो अपना रनअप चेक करें और कोशिश करें की आपका रनअप स्मूथ हो। बहुत ज़्यादा लम्बे व् बेहद छोटे रनअप से बचें, क्योंकि अति लम्बा रनअप आपकी एकाग्रता भंग करता है और अति छोटा रनअप स्पीड जनरेट करने में कारगर नहीं है। कोशिश करें की 15-18 या 18 – 20 कदम का रनअप रखें इसे 24 – 25 ना खीचें और ना ही 6 – 8 रखें क्योंकि दोनों ही सूरतों में यॉर्कर डालनी मुश्किल होगी।
गृप – परफेक्ट यॉर्कर बाल डालने का तरीका यह है की आप अपने अंगूठे के बाद वाली दो उँगलियों को V शेप में करें और गेंद की सिलाई के ऊपर से बॉल पकड़ना अनिवार्य है ताकि गृप सही बने। अब बॉल की सिलाई का आपकी उँगलियों के V शेप के बीचों बीच आना ज़रूरी है। यदि आप ऐसा कर पाए तो यॉर्कर बॉल डालने की पहली सीढ़ी चढ़ गए, यह क्रिकेट बॉल गृप करने का ट्रेडिशनल तरीका है यह क्रिकेट की भाषा में कॉपी बुक स्टाइल है। इस विधि को क्रिकेट बॉल को सीम पर पकड़ना भी कहते हैं और यह क्रिकेट बॉल पकड़ने की सही तकनीक है।
यॉर्कर बॉल कितने प्रकार की होती है
- स्लो यॉर्कर
- इनस्विंग यॉर्कर
- ऑउटस्विंग यॉर्कर
- टो क्रशिंग यॉर्कर
- वाइड यॉर्कर
- आउट स्विंगिंग यॉर्कर
- फ़ास्ट यॉर्कर
- परफेक्ट यॉर्कर
सबसे कठिन यॉर्कर
यॉर्कर बाल डालने का तरीका तो आप ऊपर वाले पैराग्राफ में समझ गए होंगे। यॉर्कर बॉल को अनप्लेबल बॉल इन क्रिकेट भी कहा जाता है और सबसे कठिन यॉर्कर तेज़ इनस्विंग यॉर्कर को माना जाता है जो बल्लेबाज़ के पैर को निशाना बना कर की जाती है। यह गेंद तेज़ी से बल्लेबाज़ की और स्विंग होते हुए आती है और सीधे बल्लेबाज़ के जूतों या उसके बिलकुल नज़दीक की जगह को अपना निशाना बनाती है। यह गेंद इतनी खतरनाक होती है की एक बार बल्लेबाज़ के बीट होने पर उसकी गिल्लियां बिखेर देती है और यदि पैरों या पंजो पर बल्ले को चकमा देते हुए सीधे लग जाती है तो काफी नज़दीकी एल बी डब्लू के चांस बना देती है।
स्पिन यॉर्कर और फ़ास्ट बोलिंग यॉर्कर
रूल्स ऑफ़ क्रिकेट के अंतर्गत यह मुमकिन है कि स्पेन गेंदबाज भी यॉर्कर डाल सकता है। यदि यॉर्कर के चुनाव की बात आती है और फ़ास्ट बॉलर तथा स्पिन बॉलर में से किसकी यॉर्कर ज़्यादा कारगर होती है तो जवाब आसान है फ़ास्ट बॉलर की। हालाँकि यह बात अलग है की स्पिन गेंदबाज़ भी क्रिकेट रूल्स के हिसाब से यॉर्कर गेंद डाल सकता है और हमने कई मर्तबा शहीद अफरीदी को गिल्लियां बिखेरते देखा है। शाहिद अफरीदी पूर्व पाकिस्तानी खिलाडी हैं जो राइट आर्म स्पिन गेंदबाज़ी करते थे और तूफानी बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते हैं।
यॉर्कर बॉल डालने का तरीका दो प्रकार से होता है, एक तो आप क्रॉस सीम बॉल पकड़ कर यार कर बोल डाल सकते हैं और दूसरा सिलाई के बिलकुल ऊपर से उँगलियों को V आकार में रखकर यह बॉल डाल सकते हैं। जब आप क्रॉस सीम यानि सिलाई के ऊपर की बजाए उसे काटते हुए क्रॉस में पकड़ते हैं तो वह सीधी यॉर्कर जाती है किन्तु जब आप सिलाई के बिलकुल ऊपर से अंगूठे के बगल वाली दो उँगलियों का वी बनाकर यॉर्कर करते हैं तो वह इनस्विंग होती है और इनस्विंग यॉर्कर कहलाती है।
यॉर्कर बॉल डालना कैसे सीखें
किसी भी cricket academy में आप यॉर्कर बाल डालना तब तक नहीं सीख सकते जब तक आप कुछ बेसिक बातों का ध्यान नहीं रखते। इसके लिए ज़रूरी है की आप यॉर्कर बॉल ट्रेनिंग को हलके में ना लें और ना ही बेसिक गेंदबाज़ी को।
यॉर्कर बॉल टिप्स
तकनीक | लूप बनाएं |
यॉर्कर बॉल डालने के लिए सबसे ज़रूरी होता है गेंदबाज़ का रिलीज़ पॉइंट। जब बोलिंग आर्म सर के ऊपर से 12-15 डिग्री आगे निकल जाए तो गेंद रिलीज़ कर देनी चाहिए क्योंकि जितनी जल्दी गेंद रिलीज़ होगी उतने अधिक यॉर्कर पड़ने के आसार होंगे। हालाँकि प्रैक्टिस के शुरुआती दौर में गेंद जल्दी रिलीज़ करने पर फुलटॉस पढ़ने के चांस काफी ज़्यादा होते हैं इसलिए आपको बेहतर प्रैक्टिस करनी होगी ताकि फुलटॉस न पड़े। | जब गेंदबाज़ सर के ऊपर से गेंद रिलीज़ करने में कामयाब होता है तो एक लूप बनता है जिससे गेंद बल्लेबाज़ के ऑय लेवल के ऊपर से नीचे की ओर आती है और बैट्समैन को गेंद देर से दिखती है। यह कला अक्सर लम्बे गेंदबाज़ों में ज़्यादा होती है इसलिए एक ज़माने में वेस्टइंडीज के गेंद बाज़ों को खेलना लगभग नामुमकिन था। आप यॉर्कर के दौरान इस विधि का इस्तेमाल ज़रूर करें पर इसके लिए नियमित प्रैक्टिस की आवश्यकता है क्योंकि इस विधि में फुलटॉस के चांस काफी ज़्यादा होते हैं और नियंत्रण सही नहीं होने पर सर या छाती पर भी फुलटॉस गिर सकती है इसलिए जमकर नेट्स में अभ्यास करें और फिर मैच में इसका प्रयोग करें। |
प्रैक्टिस के दौरान आप स्टंप्स के नज़दीक यानि बैटिंग क्रीज़ के अंदर जूता रख कर प्रैक्टिस कर सकते हैं पर आप शुरुआत में बेल्स का निशाना लगाए तब जाकर जूते पर गेंद गिरती है। हालाँकि गेंद और ऊपर भी छिटक सकती है और अगर ऐसा लगातार 10-15 बार हुआ तो समझ लें की आपको यॉर्कर से पहले निश्चित रूप से सिंपल बॉलिंग की ट्रेनिंग की आवश्यकता है ताकि आप बॉल नियंत्रण सीख सकें और उसके बाद यॉर्कर का प्रयास करें।
यॉर्कर बॉल कैसे सुधारें
जब यॉर्कर के बजाय कमर पर फुलटॉस गिरे तो कैसे सुधारें
प्रैक्टिस के दौरान अक्सर कोच स्टंप्स के नज़दीक जूता रख कर प्रैक्टिस करवाते हैं और गेंदबाज़ को हिदायत देते हैं की बेल्स का निशाना लगाए तब जाकर जूते पर गेंद गिरती है। यह अपने आप में बिलकुल सही रणनीति है और होता ऐसे ही है किन्तु जब गेंदबाज़ की लय ख़राब होती है तो बेल्स का निशाना लेने पर गेंद जूते की बजाए कमर पर या उससे भी ऊपर फुल टॉस पड़ती है जिसका खामियाज़ा पूरी टीम को भरना पड़ता है।
यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो घबराएं ना और रणनीति में थोड़ा परिवर्तन करें। यदि बेल्स का निशाना लगाने पर गेंद कमर के ऊपर फुलटॉस पड़ रही है तो बेल्स का निशाना ना लगाएं और ना ही जूतों को टारगेट करें ऐसा करने पर भी ज्यादा फायदा नहीं होगा और लो फुलटॉस गिरेगी। तब, आपको ओवरपिच या हलकी गुड लेंथ करने की कोशिश करनी होगी तभी आपकी गेंद यॉर्कर गिरेगी या कम से कम फुलटॉस तो नहीं गिरेगी। कम से कम 4-5 गेंद ऐसे ही करें ताकि आपका नियंत्रण वापस आ सके और कुछ वक्त या उस मैच के लिए ही यॉर्कर गेंद रोक दें फिर नेट्स पर आकर इस रणनीति के तहत दोबारा अभ्यास करें ताकि अगले मैच से पहले अपना रिदम हांसिल कर सकें।
जब यॉर्कर के बजाए ओवरपिच या लेंथ गेंद गिरे तो कैसे सुधारें
जब गेंदबाज़ यॉर्कर डालने में माहिर हो जाता है तो वह सीधे जूते का निशाना लगाता है और टारगेट हिट भी कर देता है। किन्तु कई बार ऐसा होता ही की गेंदबाज़ जूते का निशाना लगाता है और ओवरपिच या लेंथ गेंद गिरती है और अधिक ज़ोर लगाने पर कई बार तो शॉट पिच भी गिर जाती है। तो ऐसे में क्या करें, आपको इस बार भी अपनी रणनीति में चेंज करना होगा। यदि गेंद यॉर्कर के प्रयास के बाद गुड लेंथ एरिया पर गिर रही है तो आपको बैट्समैन के जूतों के बजाए बेल्स का निशाना लगाना होगा। और यदि गेंद गुडलेंथ से थोड़ा आगे यानी ओवरपिच गिर रही है तो आपको बैट्समैन के घुटनो के एरिया को टारगेट करना चाहिए, ऐसा करने पर भी आपकी यॉर्कर गिरने के आसार बढ़ेंगे। किन्तु आपकी यॉर्कर के नाम पर शॉट पिच गेंद लगातार गिर रही है तो आपको यॉर्कर गेंद की प्रैक्टिस के बजाए पहले सिंपल गेंदबाज़ी की प्रैक्टिस की आवश्यकता है।
यॉर्कर बॉल कैसे डालते हैं
महत्वपूर्ण टिप – ऊपर दिए गए दोनों ही सूरतों में गेंद के रिलीज़ पॉइंट पर ध्यान दें। अर्थात आपके हाथ से गेंद कब रिलीज़ हो रही है, यदि आप कुछ ज़्यादा ही जल्दी गेंद रिलीज़ कर रहे हैं तो वह गेंद कमर के ऊपर पड़ने वाली फुलटॉस, थाई पर पड़ने वाली फुलटॉस का रूप ले लेगी और यदि आप गेंद रिलीज़ करने में देर कर रहे हैं तो वह गेंद ओवरपिच या लेंथ गेंद का रूप ले लेगी। तो आपको ये देखना है की आपकी गेंद ज़्यादा फुलटॉस पड़ रही है या ओवरपिच और उसके हिसाब से अपने रिलीज़ पॉइंट को एडजस्ट करना होगा पर ध्यान रहे मैच के दौरान ज़्यादा एक्सपेरिमेंट ना करने बल्कि नेट्स पर इस कमी को पूरा करें।
नोट – हम दावे से कह सकते हैं की यदि आपने इन दिए गए टिप्स को फॉलो किया तो निश्चित रूप से आप यॉर्कर बॉल डालना सीख जाएंगे तथा कमी आने पर उसमे सुधार भी कर लेंगे। बस आपको शिद्दत और ध्यान से प्रैक्टिस करनी होगी यानि अपने रिलीज़ पॉइंट पर ज़्यादा काम करना होगा।
बाउंसर बॉल कैसे डाला जाता है
गृप – सबसे पहले आपको बॉल को सही तरीके से गृप करना है, बॉल को ना ज़्यादा ज़ोर से और ना ही हलके पकड़ें। बॉल को पकड़ते वक्त हतेली में ज़्यादा ना लगने दें तथा ऊपर की दो उँगलियों को ठीक से फोल्ड करें (ब्रेट ली जैसे) जिससे बॉल पर आपकी पकड़ मज़बूत होती है।
रन अप – बाउंसर डालने का सही तरीका यह है की गेंदबाज़ का रन अप स्मूथ हो और शुरू के 3 से 4 कदम हलके दौड़ें फिर स्पीड बढ़ाएं और अंत के 3 से 4 कदम में पूरी जान झोंक दें।
एक बार बाउंसर बाल गृप और रनअप अच्छे से हो जाए तो अब तकनीक की बारी आती है। जब आखरी के 3 से 4 कदम बचे हों और आपने पूरा ज़ोर लगाया हो उसी दौरान उछलने से कुछ माइक्रो सेकंड्स पहले आपको बॉडी को हल्का सा पीछे की और खींचना है और फिर बॉल रिलीज़ करते वक्त बॉडी को आगे की ओर रोल करते हुए रिस्ट को नीचे की ओर झटकना है। ध्यान रहे अच्छे बाउंसर के लिए रिस्ट के साथ शोल्डर की ताकत लगना भी ज़रूरी होता है। हालांकि प्रैक्टिस के वक्त आप स्टेप बाय स्टेप ही जाएं यानी पहले रिस्ट बाउंसर की प्रैक्टिस करें और फिर शोल्डर बाउंसर की प्रैक्टिस करें। जब इन दोनों बाउंसर में थोड़ी बहुत पकड़ मिल जाए तो दोनों को एक साथ ट्राई करें यानी रिस्ट और शोल्डर दोनों को एक साथ बाउंसर डालने के लिए प्रयोग करें।
एक अच्छी बाउंसर डालने के लिए स्मूथ रन अप, अच्छ जम्प तथा बॉडी का सही तरीके से रोल होना ज़रूरी है यहाँ रोल का मतलब है बॉडी को पहले पीछे खींचे फिर आगे की ओर पुश करें।
बॉलिंग एक्शन – बॉलिंग आर्म जितना कान के नज़दीक से जाएगा उतना ही अच्छा बाउंस होने के चांस होंगे इसकी सीधी सी वजह यह है की कान के नज़दीक से बॉलिंग आर्म अधिक ऊंचाई की ओर जाता है यानि बिलकुल 180 डिग्री जैसा। किन्तु बॉलिंग आर्म जितना कान से दूर जाएगा उतना साइड आर्म एक्शन बनता जाएगा और उछाल भी कम मिलेगा।
कोशिश करें की बाउंसर डालते वक्त आपका एक्शन ओपन चेस्टेड ना हो क्योंकि ओपन चेस्टेड बाउंसर डालने पर गेंदबाज़ की कमर खिसक सकती है यानी कमर की चोट आ सकती है। अतः कोशिश करें की अपना एक्शन थोड़ा सा कम ओपन चेस्टेड रखें जैसे शोएब अख्तर, ब्रेट ली, शेन बांड, मिचल स्टार्क सरीखे विश्वस्तरीय गेंदबाज़ रखते हैं इसलिए इनकी बाउंसर बेहद तेज़ और उछाल भरी होती है। शेन बांड को बॉलिंग करते देख ऐसा लगता है की वो ख़ास ताकत ही नहीं लगा रहे किन्तु उनकी गेंद काफी तेज़ है और ब्रेट ली तथा शोएब अख्तर के साथ उनकी गिनती होती है। स्मूथ रनअप और सही जम्प के लिए बांड को ज़रूर देखें, जहाँ तक ओपन चेस्टेड बॉलिंग का सवाल है तो बुमराह और साउथ अफ्रीका के पेसर मखाया एंटिनी ओपन चेस्टेड गेंदबाज़ हैं किन्तु ये गेंदबाज़ अपनी फिटनेस का खास ख्याल रखते हैं।
ट्रेनिंग – बाउंसिंग बॉल ट्रेनिंग के दौरान नेट्स में पुरानी लेदर बॉल से ही प्रैक्टिस करें क्योंकि ओल्ड लेदर बॉल कम उछलती है और आपको अधिक ताकत लगानी पड़ती है। इसका फायदा आपको मैच में नई बॉल से मिलता है और आपकी बाउंसर अधिक तेज़ जा सकती है। प्रैक्टिस के दौरान बॉल को आधी पिच पर ही ज़ोर से पटकने की प्रैक्टिस करें इसके अलावा रिस्ट बाउंसर और शोल्डर बाउंसर को अलग अलग प्रैक्टिस करें फिर दोनों को एक ही साथ प्रैक्टिस करें इससे आपकी बाउंसर पर पकड़ अच्छी बनती है यानी बाउंसर एक्यूरेसी ज़्यादा होगी।
फील्डिंग करते वक्त बल्लेबाज़ से काफी दूर की फील्डिंग पोजीशन चुने यानी मैदान के दूर के हिस्से में खड़े रहें और जब भी बॉल थ्रो करें तो कन्धा लगाएं, ध्यान रहे एल्बो को थ्रो के वक्त भी ज़्यदा ना मोड़ें इससे आपमें धीरे – धीरे एक स्किल डेवलप हो जाएगी जो आपको अच्छी बाउंसर के वक्त मदद करेगी। इसके अलावा नेट्स में 2 कोन लगा दें और उसके बीच शोल्डर का इस्तेमाल करते हुए बिना एल्बो मोडे लगातार थ्रो करें।
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