फास्ट बॉलर को खेलना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है अगर आप बेसिक्स पर ध्यान देते हैं तो। वरना फास्ट बॉलर अच्छे खासे बल्लेबाज को नाकों चने चबवा सकता है। कुछ बेसिक तथा कुछ एडवांस बैटिंग टिप्स जो आपको तेज गेंदबाज को खेलने में मदद कर सकते हैं इस पोस्ट में साझा किए गए हैं।
फास्ट फारवर्ड – फास्ट बॉलिंग में बैटिंग करने के टिप्स, फास्ट गेंदबाज में नोट नोट करें: रन अप, शोल्डर, गेंद कैसे पकड़ी है रिलीज पॉइंट एवं कलाई। बल्लेबाजी – धैर्य, फ्रंट फुट और बैक फुट, सीधे बल्ले से खेलें तथा बैटिंग स्टांस।
फास्ट बॉल में बैटिंग कैसे करें बेसिक टु एडवांस टिप्स
शुरू में फास्ट गेंदबाज में क्या नोट करना चाहिए यह बताया गया है और उसके बाद बल्लेबाज को कैसे बल्लेबाजी करनी चाहिए यह बताया गया है।
रन अप
सबसे पहले बल्लेबाज को गेंदबाज का रनअप देखना चाहिए और परखना चाहिए। ध्यान से समझना, एक गेंदबाज के दौड़ने के तरीके से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितनी तेज गेंद फेंक सकता है। हालांकि, जरूरी नहीं की लंबे रन अप वाला गेंदबाज अधिक फास्ट गेंद फेंकेगा ही! उसकी गति मध्यम भी हो सकती है। यह भी जरूरी नहीं की छोटे रन अप वाला गेंदबाज मध्यम गति की ही गेंद फेंकेगा उसकी रफ्तार लंबे रनअप वाले गेंदबाज से तेज हो सकती है। इसलिए आपको पहली 3 से 5 गेंदे डिफेंस करने की कोशिश करनी है ताकि उनके पेस का अंदाजा लगाया जा सके।
आमतौर पर माना जाता है कि लंबे रनअप वाला गेंदबाज छोटे रन अप वाले गेंदबाज से तेज ही गेंद करेगा लेकिन कई बार इसका उल्टा भी होता है इसलिए बल्लेबाज को हमेशा मुस्तैद रहना चाहिए और पहले से ही कल्पना नहीं करनी चाहिए।
शोल्डर को देखें
अब आप सोचेंगे कि आखिर छोटे रन अप वाला गेंदबाज लंबे रनअप वाले गेंदबाज से तेज गेंद कैसे डाल सकता है? तो आपको बता दूं जो छोटे रन अप वाला गेंदबाज़ सही तरीके से अपना कंधा लगाता है वह काफी तेज गेंदबाजी करने में कामयाब होता है। इसलिए बल्लेबाज को गेंदबाज के रन अप के अलावा वह शोल्डर पर कितना जोर दे रहा है यह भी ध्यान से देखना चाहिए और एक अच्छा बल्लेबाज अमूमन ऐसा ही करता है।
एक बात और क्लियर कर दूं कि कंधा लगाने वाले गेंदबाजों की स्पीड जज करना थोड़ा मुश्किल होता है और बल्लेबाज उसके कम रनअप की वजह से मात खा जाता है। इस बात को समझने के लिए आप न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज शेन बांड का रन अप एवं बॉलिंग एक्शन जरूर देखें। उनके रनअप को देखकर यह बताना मुश्किल है कि वह इतनी तेज गेंद फेंक देंगे।
इसलिए जरूरी है कि ऐसे गेंदबाज को पहले ही थोड़ा स्टडी कर लिया जाए और उसकी शुरू की 2 से 3 गेंदे सम्मानजनक तरीके से डिफेंस की जाएं। एक बार बल्ले और गेंद का अच्छा संपर्क होना शुरू हो जाए तो बल्लेबाज का आत्मविश्वास बढ़ जाता है। जब स्वीट सी टक-टक की आवाज आनी शुरू हो जाए तो मान लीजिए बल्ले गेंद का संपर्क बढ़िया हो रहा है।
गेंद कैसे पकड़ी है देखने की कोशिश करें
हो सके तो बॉलर के सीम को देखने की कोशिश करें इससे आपको मूवमेंट और स्विंग की दिशा को जज करने में मदद मिलेगी। यदि गेंदबाज ने गेंद की शाइन वाला हिस्सा अंदर की ओर पकड़ा है तो इनस्विंग के अधिक चांस बनेंगे यदि उसने गेंद की शाइन वाला हिस्सा बाहर की ओर पकड़ा है तो आउटस्विंग के अधिक चांस बनेंगे। यह टिप तो थी नई गेंद के लिए यदि गेंद पुरानी हो चुकी है और उसकी शाइन खत्म हो चुकी है तो दाहिने हाथ का गेंदबाज़ गेंद को क्रॉस सीम पकड़कर अंदर की ओर मूव करा सकता है। यदि कोई गेंदबाज पढ़ रहा है तो वह भी लाइव मैच में बेहतर प्रदर्शन के लिए इन टिप्स को आजमा सकता है।
रिलीज पॉइंट का ध्यान रखें
रिलीज पॉइंट वह होता है जिस समय गेंदबाज गेंद को छोड़ता है। जो बल्लेबाज रिलीज पॉइंट को जल्दी पढ़ लेता है उसे यॉर्कर खेलने में काफी आसानी होती है। साथ ही वह बाउंसर गेंद को भी खेलने में या छोड़ने में सहज महसूस करता है। यह बहुत बेसिक सा पॉइंट है लेकिन आपको एक एडवांस बल्लेबाज बना सकता है।
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कलाई को अंत तक देखें
गेंदबाज की कलाई को अंत तक देखने से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि गेंद सीधी आएगी, अंदर की ओर आएगी या बाहर की ओर जाएगी। हालांकि बल्लेबाज को गेंद के टप्पे के बाद ही कोई शॉट खेलना चाहिए किंतु कलाई को देख कर उसके सबकॉन्शियस माइंड में एक सिग्नल आ जाता है और वह मुस्तैद हो जाता है।
यहां गड़बड़ भी हो सकती है अगर बल्लेबाज ने कुछ ज्यादा ही कल्पना कर ली कि इस बार गेंद अंदर ही आएगी इसलिए मेरी बात को ध्यान से समझो शॉट आपको सही समय पर ही खेलना है बस कलाई से अंदाजा लेना है पर तैयार दोनों चीजों के लिए रहना है।
यहां तक तो आपने जाना कि हमें एक गेंदबाज में क्या-क्या चीजें नोट करना चाहिए अब समझते हैं बल्लेबाज को अपने स्तर पर क्या-क्या बदलाव करने होते हैं तथा कौन से महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखना होता है।
पहली 15 से 18 गेंदे धैर्य से खेलें
यदि आप फास्ट बॉलर को अच्छा खेलना चाहते हैं तो पहलि 15 से 18 गेंदे बिल्कुल धैर्य से खेलें। बल्लेबाज को सहायता अधिक मिलेगी यदि वह सीधे बल्ले का इस्तेमाल करें फिर बाद में सेट होने के बाद वह क्रॉस बैट भी खेल सकता है पर शुरू में क्रॉस खेलना अवॉइड करें। शुरू की गेंदों में रन बनाने की बजाए बल्ले और गेंद के सही मीट होने पर ध्यान दें। एक बार बल्ला और गेंद अच्छा मीट होने लगेगा तो बल्लेबाज का कॉन्फिडेंस बढ़ता चला जाएगा उसके बाद वह अपनी इनिंग को धीरे-धीरे आगे बढ़ा सकता है।
फ्रंट फुट और बैक फुट का सही इस्तेमाल
लंबी, सेफ और टिकाऊ इनिंग खेलने के लिए बल्लेबाज को ज्यादा कुछ नहीं करना होता सिर्फ बेसिक्स पर ध्यान देना होता है। और बेसिक्स के हिसाब से फ्रंट फुट की गेंदों को फ्रंट फुट में खेला जाए तथा बैक फुट की गेंदों को बैक फुट पर खेलना चाहिए। गेंद लंबी या हल्की ओवर पिच गिरने पर बल्लेबाज को फ्रंट फुट पर खेलना चाहिए और एक अच्छा फ्रंट फुट शॉट खेलने के लिए पैर तथा बैट का एक साथ निकलना जरूरी है। यदि बैट पहले निकल जाएगा तो बैट एंड पैड़ के बीच में गैप बनेगा जिससे क्लीन बोल्ड तथा इंसाइड एज लगने के चांस बनेंगे। यदि बल्लेबाज का पैर बैट से पहले निकलेगा तो एलबीडब्ल्यू होने के अधिक चांस बनेंगे। और जब गेंद की लाइन को रीड करते हुए बल्लेबाज के बैट एंड पैड़ एक साथ निकलेंगे तो “टक” सी मधुर ध्वनि आएगी और गेंद गैप में जाने पर सीमा पार चली जाएगी।
सीधे बल्ले से खेलने की कोशिश करें
सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाए हैं एक्सपर्ट्स के हिसाब से इसके पीछे की एक वजह उनका लगातार सीधे बल्ले से खेलना भी रहा है। क्योंकि सीधे बल्ले से खेलने पर गेंद के मिस होने के चांस काफी कम होते हैं। जो बल्लेबाज क्रॉस बैटिंग करता है तो उसके बैट एंड पैड़ के बीच में गैप बनता है जिससे बोल्ड होने के चांस बन जाते हैं। क्रॉस बैट से खेलने पर बल्लेबाज को शॉट कंपलीट करने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है। हालांकि, यह वक्त माइक्रो सेकंड में होता है लेकिन काम तमाम होने के लिए इतना समय काफी होता है। जबकि सीधे बल्ले को नीचे लाने में समय बचता है और गेंद और बल्ले का मधुर संगम होता है।
बैटिंग स्टांस एडजस्ट करें
स्विंग खेलने के लिए बल्लेबाज को क्रीज के थोड़ा बाहर खड़ा होना चाहिए ताकि गेंद को अधिक स्विंग होने का मौका ही ना मिले। दुनिया के महानतम बल्लेबाज अक्सर अपने बैटिंग स्टांस को एडजस्ट करते हैं ताकि पिच तथा ग्राउंड कंडीशन के हिसाब से खेल सकें। कुछ मैदान समुद्र किनारे होते हैं और वहां अक्सर हवा चलने से गेंद स्विंग होने के अधिक चांस होते हैं ऐसे में बल्लेबाजी यही ट्रिक अपनाते हैं। मैंने सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली को अक्सर ऐसा करते देखा है उनके अलावा कई बल्लेबाज ऐसा करते हैं। आजकल नंबर वन पोजिशन पर चल रहे बाबर आजम भी अपने स्टांस को कई बार एडजस्ट करते हैं। यह तो था स्विंग बॉल खेलने का तरीका इसके अलावा अलग-अलग मौकों पर बल्लेबाज अपना स्टांस बदलते हैं।
शुरू में आप सचिन तेंदुलकर जैसा आदर्श बल्लेबाजी स्टांस ले सकते हैं ताकि शाट को नियंत्रित तरीके से हर दिशा में खेल सकें। इस स्टांस में बल्लेबाज के दोनों पैर एक दूसरे के बिल्कुल पैरलल होते हैं और उनके बीच में आदर्श दूरी होती है तथा सामने खड़ा मेन अंपायर दाहिने बल्लेबाज का दाहिना कंधा नहीं देख पाता है। पर हिटिंग के वक्त मिस्टर 360 डिग्री एबी डी विलियर्स जैसा ओपन चेस्टेड स्टांस ज्यादा कारगर साबित होता है।
इस स्टांस में फ्रंट अंपायर बल्लेबाज का राइट शोल्डर आराम से देख सकता है और बल्लेबाज का फ्रंट फुट लेग दिशा की ओर खुला हुआ होता है। जिससे उसे गेंद लेग दिशा में लपेटने में आसानी होती है क्योंकि पैर हटाने वाला समय बच जाता है और अत्यधिक रूम मिलता है। आपने देखा होगा टी20 क्रिकेट में ज्यादातर बल्लेबाजों का बैटिंग स्टांस ओपन चेस्ट होता है और वह आसानी से लंबे लंबे छक्के हर दिशा में मार पाते हैं।
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