अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के 42 नियम स्टेप बाय स्टेप दिए गए हैं ताकि आपको अपने खेल को समझने में और आसानी हो।
पहले 4 नियमों के अंतर्गत खिलाड़ियों, अंपायरों और स्कोरिंग करने वालों को रखा गया है।
नियम 5 से लेकर नियम 11 के अंतर्गत उपकरण और पिच की रूपरेखा को तैयार करने के बारे में बताया गया है।
नियम 12 से नियम 17 तक खेल की संरचना कैसी हो उसके बारे में बताया गया है।
नियम 18 से 26 तक स्कोरिंग और जीत के बारे में बताया गया है।
नियम 27 से 29 तक आउट करने की प्रक्रियाओं के बारे में बताया गया है।
नियम 30 से 39 के अंतर्गत आउट करने के प्रकार आते हैं।
नियम 40 से 41 के अंतर्गत क्षेत्र रक्षक सम्मिलित किए गए हैं।
नियम 42 मैं उचित और अनुचित खेल की रूपरेखा शामिल की गई है।
प्रीमियम टेलीग्राम चैनल मेंबरशिप
स्पोर्ट्सगो फेसबुक पेज क्रिकेट पैशन को भी ज्वाइन करें।

स्पोर्ट्स टीचर इंटरव्यू चल रहे हैं मौका ना गवाऐ आज ही ईमेल करें
daddy100sports@gmail.com
अनिवार्य योग्यता – बीपीएड या एमपीएड
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के 42 नियम ये हैं
नियम 1 – एक क्रिकेट टीम में कप्तान सहित कुल 11 खिलाड़ी शामिल होते हैं। आधिकारिक प्रतियोगिताओं के बाहर टीमें एक तरफ 11 से अधिक खिलाड़ी रखने पर सहमत हो सकती है किंतु क्षेत्ररक्षण 11 से अधिक खिलाड़ी नहीं कर सकते। नियम 2 – दूसरा नियम खिलाड़ी के इंजर्ड होने पर बदले जाने के ऊपर है। क्रिकेट में एक घायल क्षेत्र रक्षक की जगह 1 सब्सीट्यूट खिलाड़ी को लाया जा सकता है। एक सब्सीट्यूट (स्थानापन्न) खिलाड़ी बल्लेबाजी, गेंदबाजी, विकेट कीपिंग या कप्तानी की भूमिका नहीं निभा सकता। जब मूल खिलाड़ी ठीक हो जाए तो वह वापस आ सकता है और सब्सीट्यूट खिलाड़ी को वापस भेजा जा सकता है। एक बल्लेबाज जो इंजर्ड हो गया है अपने लिए रनर रख सकता है रनर दौड़ के रन पूरे करने का कार्य करता है जबकि बल्लेबाज बल्लेबाजी करता रहता है। वैकल्पिक रूप से एक बल्लेबाज रिटायर्ड हर्ट या बीमार हो सकता है लेकिन ठीक हो जाने के बाद यह बल्लेबाज वापस आकर अपनी पारी को वहीं से आगे बढ़ा सकता है। नियम 3 – क्रिकेट खेल में दो अंपायर होते हैं। यह दोनों अंपायर मिलके खेल के नियमों को लागू करते हैं यह दोनों अंपायर खेल के मुख्य एवं आवश्यक फैसले लेते हैं और अपने फैसले स्कोर बनाने वाले को प्रेषित करते हैं। तीसरा अंपायर मैदान के बाहर स्थित होता है और इसका कार्य मैदान पर मौजूद अंपायर की मदद करना होता है, हालांकि क्रिकेट के नियमों के तहत यह आवश्यक नहीं है कि तीसरे अंपायर की मदद ली ही जाए किंतु उच्च स्तरीय क्रिकेट में किसी विशेष मैच की विशिष्ट खेल परिस्थिति में तीसरे अंपायर की मदद ली जा सकती है। नियम 4 – क्रिकेट खेल में दो स्कोरर होते हैं जो अंपायर के संकेतों का जवाब देते हैं तथा स्कोर को आगे बनाए रखते हैं। नियम 5 से लेकर नियम 11 तक उपकरण और क्रिकेट पिच विनिर्देशों की बात कही गई है। विकेटकीपर के दस्तानों के विनिर्देशों को छोड़ दिया गया है और नियम 40 में उसकी चर्चा की गई है। नियम 5 – क्रिकेट बॉल की परिधि 8 होती है यानी 13/16 और 9 इंच (22.4cm – 22.9cm) के बीच होती है। क्रिकेट बॉल का वजन 5.5 और 5.75 औस (155.9 ग्राम – 163 ग्राम) के बीच होता है। क्रिकेट मैच के दौरान एक टीम के लिए एक गेंद का इस्तेमाल किया जाता है जब तक कि वह खो नहीं जाती और गेंद खोने पर उसके समान घिसी हुई दूसरी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है। प्रत्येक पारी की शुरुआत में गेंद बदली जाती है और क्षेत्ररक्षण पक्षी के अनुरोध पर भी गेंद बदली जा सकती है। टेस्ट मैचों में 80 ओवर के बाद नई गेंद ले ली जाती है और एकदिवसीय मैचों में 34 ओवर के बाद नई गेंद ली जा सकती है। ई-बुक – क्रिकेट में करियर कैसे बनाएं – ऑटोमेटिक कलरफुल स्टाइलिश ई-बुक इसे मिस ना करें – आई सी सी t20 न्यू रूल्स 2022 नियम 6 – बल्ले की लंबाई 38 इंच (97 cm) से अधिक नहीं होनी चाहिए और इसकी चौड़ाई 4.25 इंच (10.28 cm) से अधिक नहीं होनी चाहिए। दस्तानों को बल्ले का हिस्सा माना जाता है इसलिए उसमें गेंद लग के कैच करने पर आउट माना जाता है। एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेनिस लिली एल्युमीनियम का बल्ला लेकर आए थे इस घटना के बाद नियमों में यह प्रावधान किया गया था कि बल्ले का ब्लेड अनिवार्य रूप से लकड़ी का बना हुआ होना चाहिए। व्यवहारिक रुप से बल्ले के ब्लेड वाइट विलो की लकड़ी से बनाए जाते हैं। नियम 7 – क्रिकेट पिच मैदान का एक आयताकार क्षेत्र होता है जो 22 गज लंबा और 10 फीट चौड़ा होता है यानी 20 मीटर लंबा और 3 मीटर चौड़ा। मैदान के अधिकारी पिच का चयन करते हैं और उसे तैयार करने की भूमिका निभाते हैं किंतु मैच शुरू हो जाने के बाद इस पर अंपायर का नियंत्रण हो जाता है। पेशेवर क्रिकेट एक घास की सतह पर खेला जाता है किंतु घास रहित पिच का इस्तेमाल करने पर कृत्रिम सतह (बनाई गई पिच) की न्यूनतम लंबाई 58 फीट तथा न्यूनतम चौड़ाई 06 फीट होनी चाहिए। नियम 8 – क्रिकेट पिच के दोनों छोरों में लकड़ी के तीन – तीन स्टंप होते हैं जिनकी ऊंचाई 71 सेंटीमीटर यानी 28 इंच होती है। इन स्टंपों को बल्लेबाजी क्रीज में इस प्रकार रखा जाता है कि वे 9 इंच (23 cm) चौड़ा रहे और स्टंपों के ऊपर लकड़ी की दो गिल्लियां रखी जाती है। ये गिल्लियां स्टंप के 0.5 इंच (1. 3 cm) से अधिक ऊपर नहीं रखी जाती हैं पुरुषों के क्रिकेट में इन गिल्लियों की हाइट अनिवार्य रूप से 10.95 सेंटीमीटर होनी चाहिए। दिल्ली की नली बेलनाकार होती है। और गिल्लि की डाट और बेलनाकार नली के लिए भी एक निश्चित हाइट निर्देशित है, जूनियर क्रिकेट में विकेटों और गिल्लियों के लिए अलग विनिर्देश हैं। हवा चलने पर गिल्लियां स्वयं गिर सकती हैं ऐसी अनुपयुक्त परिस्थितियों में अंपायर गिल्लियों को बांट सकते हैं। नियम 9 – बॉलिंग पॉपिंग और रिटर्न क्रीज से संबंधित है और उनके आयामों और स्थानों को निर्धारित करता है। गेंदबाज क्रीज वह लाइन है जिसके बीच में स्टंपों को रखा जाता है और यह लाइन पिच के दोनों छोर पर खींची जाती है ताकि पिच के दोनों छोर पर स्टंप समान दूरी पर पड़े। यह दोनों मिडल स्टंपों को जोड़ने वाली एक काल्पनिक रेखा के लंबवत होती है। प्रत्येक गेंदबाज़ी क्रीज की लंबाई 8 फीट 8 इंच (2.64 मी) होती है जो प्रत्येक छोर पर मिडल स्टंप पर केंद्रित होती है। बल्लेबाज अपने स्थान पर मौजूद है या नहीं यह पॉपिंग क्रीज के द्वारा निर्धारित किया जाता है और फ्रंट फुट की नो बोल देने के लिए भी पॉपिंग क्रीज का इस्तेमाल किया जाता है। पॉपिंग क्रीज विकेट के दोनों छोर पर होती है इस स्टंप के सामने दोनों छोर पर बनाया जाता है। पॉपिंग क्रीज गेंदबाजी क्रीज के सामने 4 फीट और इसके समानांतर होती है। पॉपिंग क्रीज को मिडल स्टंप को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा के दोनों छोर पर कम से कम 6 फीट पर चिन्हित किया जाता है। रिटर्न क्रीज वे लाइने होती हैं जिनके भीतर बॉलर को बॉल फेंकते समय रहना चाहिए। कुल मिलाकर 4 रिटर्न क्रीज होती हैं स्टंपों के दोनों छोर पर एक। रिटर्न क्रीज पॉपिंग क्रीज की लंबाई में स्थित होते हैं। दोनों रिटर्न क्रीज एक छोर पर पॉपिंग क्रीज पर समाप्त होते हैं किंतु दूसरे छोर की लंबाई सीमित नहीं होती और इसे पॉपिंग क्रीज से कम से कम 8 फीट की दूरी पर चिन्हित किया जाता है। नियम 10 – क्रिकेट पिच पर जब गेंद फेंकी जाती है तो वह हमेशा बाउंस लेती है और गेंद का व्यवहार काफी हद तक पिच की स्थिति पर निर्भर करता है। यह नियम उन शर्तों को निर्धारित करता है जो यह नियंत्रित करता है कि पिच पर लगी घास कैसे काटी जाए, पिच को कैसे तैयार किया जाए कैसे रोल किया जाए। नियम 11 – इस नियम में पिच को कवर करने की बात कही गई है। गीली पिच पर बाउंस करने वाली गेंद सूखी पिच पर बाउंस करने वाली गेंद से अलग प्रतिक्रिया करेगी नियम 12 – एक टीम के सभी बल्लेबाजों के आउट हो जाने के बाद पारी समाप्त हो जाती है यदि कोई बल्लेबाज खेलने के लिए फिट नहीं है तो पारी घोषित कर दी जाती है अर्थात बल्लेबाज कप्तान द्वारा उस बल्लेबाज को बल्लेबाजी कराने का अधिकार खो दिया जाता है। सिक्के को उछाल कर टॉस होता है और टॉस जीतने वाला कप्तान पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी चुनने का अधिकार पाता है। दो पारियों के खेल में दोनों टीमें बारी-बारी बल्लेबाजी करते हैं जब तक कि फॉलोऑन के लिए मजबूर नहीं किया जाता। नियम 13 – दो पारियों के मैच में यदि बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम की तुलना में बेहद कम रन बनाती है तो ऐसी परिस्थिति में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम को पुनः बल्लेबाजी के लिए मजबूर कर सकती है और इसे ही फॉलोऑन कहा जाता है। पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को फॉलोऑन लागू करने के लिए इतने रनों से आगे होना चाहिए: 5 या उससे अधिक दिनों के लिए – 200 रनों से आगे होना चाहिए। 3 या 4 दिन के खेल के लिए – 150 रनों से आगे होना चाहिए। 2 दिन के खेल के लिए – 100 रन से आगे होना चाहिए। एकदिवसीय मैच के लिए 75 रन होना चाहिए, वास्तव में खेल की लंबाई खेल शुरू होने के समय से बाकी बचे हुए खेल के निर्धारित दिनों की संख्या द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। नियम 14 – इस नियम के अंतर्गत पारी की घोषणा करना और अधिकार सौंपने की बात कही गई है। बल्लेबाजी टीम के कप्तान को जब यह लगता है कि गेंद बेकार हो चुकी है तो वह किसी भी समय पारी समाप्ति की घोषणा कर सकता है। वह कप्तान अपनी पारी शुरू होने से पहले इसका अधिकार भी सौंप दे सकता है। यह भी पढ़ें – क्रिकेट का इतिहास और नियम नियम 15 – इस नियम के अंतर्गत अंतराल कानून बने हैं। मैचों में प्रत्येक दिन के खेल के बीच में कुछ अंतराल होते हैं, एक 10 मिनट का अंतराल होता है इसके अलावा दोपहर का भोजन (लंच), चाय (टी ब्रेक) और ड्रिंक्स के अंतराल होते हैं। विशेष परिस्थितियों में अंतराल के समय और लंबाई को बदलने का प्रावधान भी है: यदि 9 विकेट गिर गए हैं तो टी ब्रेक को अगले विकेट के पतन के पहले और इसके 30 मिनट बाद तक विलंबित किया जाता है, यह सबसे उल्लेखनीय प्रावधान है। नियम 16 – क्रिकेट मैच की शुरुआत अंपायर द्वारा “प्ले” कॉल से होती है और मैच के एक सत्र की समाप्ति समय के द्वारा होती है। किसी मैच के अंतिम घंटे में कम से कम 20 ओवर होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इन ओवर को पूरा करने के लिए समय भी बढ़ाया जा सकता है। नियम 17 – दिन का खेल शुरू होने से पहले तथा खेल खत्म होने के बाद को छोड़कर क्रिकेट पिच पर बल्लेबाज और गेंदबाज का कोई अभ्यास नहीं हो सकता। हालांकि, गेंदबाज केवल रन अप का परीक्षण कर सकता है वह भी तब जब अंपायर को लगे कि इससे समय बर्बाद नहीं हो रहा है। स्कोरिंग और जीत नियम 18 – इस नियम के तहत रन बनाना आता है। रन तब बनते हैं जब बल्लेबाज एक छोर से दूसरे छोर तक दौड़ लगाते हैं और 1 गेंद में कई रन बन सकते हैं। नियम 19 – इस नियम के तहत बाउंड्री का विश्लेषण किया गया है। मैदान के चारों ओर एक बाउंड्री चिन्हित की जाती है और जब गेंद उसके पार टिप खाकर जाती है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को चार रन मिलते हैं और जब गेंद बिना टिप खाए चिन्हित बाउंड्री को हवा में पार कर जाती है तो 6 रन मिलते हैं। नियम 20 – जब खेल में कोई गेंद खो जाती है और उसे फिर से प्राप्त नहीं किया जा सकता है तो क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम नई गेंद की मांग करती है। टेक्निकली इसे “लास्ट बॉल” कहा जाता है। नियम 21 – इस नियम के तहत मैच का परिणाम आता है। जो टीम अधिक रन बनाती है वह मैच जीत जाती है। यदि दोनों टीमें बराबर रन बनाती हैं तो मैच टाई हो जाता है। इससे पहले कि सभी परियों पूरी हो सके हैं ऐसा संभव है कि मैच समय सीमा के बाहर जा सकता है ऐसी स्थिति में मैच बराबर हो जाता है। नियम 22 – एक ओवर में 6 गेंदें फेंकी जाती है इसमें वाइड और नो बॉल को नहीं गिना जाता। 1 गेंदबाज लगातार 2 ओवर नहीं फेंक सकता और पिच के विपरीत छोरों से लगातार गेंदबाजी की जाती है। नियम 23 – इस नियम के अंतर्गत ऐसी परिस्थिति आती है जब गेंद डेड मानी जाती है। ऐसी परिस्थिति में सारी गतिविधियां निष्क्रिय हो जाती है अर्थात एक बार जब गेंद बेकार हो जाती है तो कोई भी बल्लेबाज आउट नहीं माना जा सकता ना इसमें रन बनाए जा सकते हैं। एक गेंद बेकार तब मानी जाती है जब एक बल्लेबाज आउट होता है, जब चौका या छक्का मारा जाता है, जब गेंद विकेटकीपर के दस्तानों पर पहुंच जाती है। नियम 24 – इस नियम के तहत नो बॉल की बात कही गई है। नो बॉल होने के निम्नलिखित कारण है: जब गेंदबाज अपनी कोहनी सीधी कर लेता है। जब गेंदबाज गलत स्थान से गेंदबाजी करता है। अगर गेंद खतरनाक होती है। जब गेंद 2 से अधिक बार बाउंस खाके बल्लेबाज तक पहुंचती है। जब गेंद कई टिप खाके घसीटते हुए बल्लेबाज तक पहुंचती है। क्षेत्ररक्षक गलत स्थानों पर खड़े हैं। नियम 25 – इस नियम के अंतर्गत वाइड बॉल को दर्शाया गया है। एक गेंद को वाइड तब कहा जाता है जब वह गेंद बल्लेबाज के सर के ऊपर से निकल जाए, जब गेंद ऑफ स्टंप तथा लेग स्टंप के बाहर वाइड मार्क से भी काफी बाहर से निकल जाए। वाइड गेंद पर बल्लेबाज को आउट नहीं किया जा सकता हालांकि बल्लेबाज को रन आउट तथा स्टंपिंग आउट किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं – क्रिकेट के नियम लेटेस्ट नियम 26 – बाय और लेग बाय – यदि कोई गेंद नो बॉल या वाइड बॉल नहीं है और बल्लेबाज के सामने से गुजर जाती है तथा गेंद को खेलने के प्रयास में बल्लेबाज का बल्ला गेंद को नहीं लगता है और वह गेंद फील्डिंग साइड से कलेक्ट नहीं की जाती ऐसे में बल्लेबाज रन बना सकता है। कई बार गेंद बल्लेबाज को चकमा देते हुए विकेट कीपर को भी चकमा देती है और सीमा रेखा के पार चल जाती है ऐसे में बाय का 4 रन मिलता है। हालांकि, यह रन बल्लेबाज के खाते में नहीं जोड़ते बल्कि टीम के खाते में जोड़ते हैं। जब कोई गेंद वाइड या नो नहीं होती और बल्लेबाज के शॉट खेलने के प्रयास के दौरान उसके शरीर पर लगती है तथा बल्लेबाज रन बनाने के लिए दौड़ता है तो यह लेग बाय का रन माना जाता है। अगर कोई गेंद बल्लेबाज के शरीर पर लगती है और बल्लेबाज द्वारा उसे खेलने का प्रयास नहीं किया जाता है ना ही उसे छोड़ने का प्रयास किया जाता है तो यहां बल्लेबाज रन नहीं बना सकता। नियम 27 से लेकर 29 तक यह बताया गया है कि बल्लेबाज को कैसे आउट किया जा सकता है नियम 27 – इस नियम के तहत क्षेत्र रक्षकों कोअपील का अधिकार मिलता है। यदि क्षेत्र रक्षकों को लगता है कि बल्लेबाज आउट है तो वह अंपायर से दोनों हाथ ऊपर उठाकर जोरदार ढंग से पूछ सकते हैं “हाउ इज दैट? (यह कैसा है?)”, अपील का अधिकार गेंदबाज तथा क्षेत्र रक्षकों सभी को होता है। नियम 28 – जब विकेट को नीचे गिरा दिया जाता है। अर्थात बल्लेबाज को आउट करने के लिए क्षेत्र रक्षक को कम से कम एक गिल्ली ज़मीन पर गिरानी होती है तभी बल्लेबाज आउट माना जाता है। नियम 29 – यदि बल्लेबाज अपनी क्रीज से बाहर है तो वह स्टंप आउट या रन आउट हो सकता है। जब दोनों बल्लेबाज पिच के बीचो बीच है और एक छोर पर विकेट गिरा दिया जाता है तो जो बल्लेबाज इस छोर के ज्यादा नजदीक होगा वह बल्लेबाज आउट माना जाएगा। नियम 30 से 39 तक बल्लेबाज के आउट होने के तरीके बताए गए हैं नियम 30 – एक बल्लेबाज गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद से बोल्ड हो जाता है तो उसे आउट माना जाता है। यह स्वाभाविक है की हो सकता है गेंद बल्लेबाज के दस्तानों, पैड या शरीर के किसी हिस्से को छूकर विकेट पर लगी हो और बल्लेबाज बोल्ड आउट हो जाए। लेकिन कोई गेंद किसी अन्य खिलाड़ी या अंपायर को छूकर बल्लेबाज के स्टंप पर लगती है तो उसे आउट नहीं माना जाएगा। नियम 31 – एक बल्लेबाज के आउट होने पर मैदान के अंदर आने वाले दूसरे बल्लेबाज को 3 मिनट के अंदर अगली गेंद खेलने के लिए मैदान पर तैयार पोजीशन में रहना चाहिए। मैदान पर निर्धारित समय के अंदर उपस्थित ना होने पर यह बल्लेबाज आउट माना जाएगा। नियम 32 – इस नियम के अंतर्गत कैच आउट को बताया गया है। गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद जब बल्लेबाज के बल्ले या बल्ले को पकड़ने वाले हाथ पर लगती है और फील्डर ने उस गेंद को जमीन पर बाउंस खाने से पहले कैच कर लिया तो यह कैच आउट माना जाता है। नियम 33 – जब कोई बल्लेबाज विपक्षी टीम की परमिशन के बिना एक ऐसी गेंद को हाथ से पकड़ता या छूता है जो गेंद बल्ले को टच नहीं हुई ऐसी परिस्थिति में बल्लेबाज आउट माना जाता है। इसे हैंडलिंग द बॉल कहते हैं। नियम 34 – गेंद को दो बार मारना, यदि कोई बल्लेबाज सिर्फ अपना विकेट बचाने के लिए बिना विपक्षी टीम की सहमति के गेंद को दो बार मारता है तो उसे आउट करार दिया जाता है। नियम 35 – इस नियम के अंतर्गत हिट विकेट आउट की बात कही गई है। जब बल्लेबाज शॉर्ट खेल रहा होता है, गेंद को डिफेंस या छोड़ रहा होता है और उसी समय उसके शरीर या बल्ले के किसी हिस्से से स्टम्स पर लग जाती है और गिल्लियां बिखर जाती है तो उसे हिट विकेट आउट माना जाता है। जब बल्लेबाज शॉट खेलकर पहला रन दौड़ने जा रहा होता है और उसी दौरान उसके पैर, बल्ले या शरीर के किसी भी हिस्से से विकेट गिर जाता है तो उसे भी आउट माना जाता है। नियम 36 – इस नियम के अंतर्गत एलबीडब्ल्यू आउट के बारे में बताया गया है। जब गेंद तीनों विकेट की लाइन पर पिच खाके बल्लेबाज के बल्ले को चकमा देते हुए सीधे विकेट की ओर जाती है और बल्लेबाज के शरीर पर लगती है तो उसे लेग बिफोर विकेट के रूप में आउट माना जाता है। किंतु यह गेंद लेग स्टंप के बाहर टिप खाती है और फिर सीधे विकेट की ओर जाती है तथा बल्ले को चकमा देते हुए बल्लेबाज के शरीर पर लगती है तो बल्लेबाज को नॉटआउट माना जाएग। उसी प्रकार जब गेंद लेग स्टंप के बाहर टिप खाती है और बल्लेबाज शॉट खेल रहा होता है किंतु शॉर्ट मिस कर जाता है और गेंद सीधे उसके शरीर पर लगती है जो की विकेट पर जा रही होती है तो उसे नॉटआउट माना जाएगा। नियम 37 – जब कोई बल्लेबाज शब्द द्वारा या अपनी गतिविधि द्वारा फील्ड को बाधित करता है तो उसे आउट करार दिया जाता है। नियम 38 – रन लेने के दौरान जब एक खिलाड़ी का बल्ला या खुद खिलाड़ी पॉपिंग क्रीज से पीछे रह जाता है और विपक्षी टीम द्वारा स्टंप्स को स्पष्ट रूप से गिरा दिया जाता है ऐसे में बल्लेबाज को रन आउट करार दिया जाता है। नियम 39 – एक बल्लेबाज शॉट खेलने के दौरान बैटिंग क्रीज से बाहर आ जाता है किंतु रन लेने की कोशिश नहीं कर रहा है और विकेटकीपर द्वारा स्टंपिंग (विकेट गिरा दिया जाता है) कर दिया जाता है। नियम 40 – यह नियम विकेटकीपर के लिए है। इस नियम के अनुसार गेंदबाजी करने वाली टीम की ओर से एक खिलाड़ी को विकेटों के पीछे खड़े रहने की अनुमति है। वह अपनी टीम में एकमात्र खिलाड़ी होता है जो लेग गार्ड, हेलमेट तथा पैड पहनकर क्षेत्ररक्षण करता है। इस खिलाड़ी को विकेटकीपर कहते हैं। नियम 41 – गेंदबाज़ी पक्ष के सभी 11 खिलाड़ी क्षेत्र रक्षक कहलाते हैं। इनका काम मैदान पर तैनात रहकर बल्लेबाज द्वारा बनाए गए रनों को रोकना होता है यह क्षेत्र रक्षक चोको को सीमा रेखा के पार जाने से रोकते हैं तथा बल्लेबाज द्वारा रन दौड़े जाने पर विकेटकीपर के पास या बोलिंग एंड पर तेजी से गेंद फेंक कर बल्लेबाज को आउट करने की कोशिश करते हैं। ये क्षेत्र रक्षक खिलाड़ी बल्लेबाज द्वारा शॉट खेलने पर गेंद को जमीन पर बाउंस खाने से पहले कैच करके आउट करने की कोशिश करते हैं। नियम 42 – इस नियम के अंतर्गत उचित और अनुचित खेल का विश्लेषण किया गया है। |
उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस इनफॉर्मेटिव क्रिकेट आर्टिकल को आप अपने मित्रों के साथ शेयर भी कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें
क्रिकेट में आउट होने के तरीके व नियम