क्रिकेट पिच कितने प्रकार की होती है | sportsgo

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क्रिकेट पिच अलग-अलग प्रकार की होती है और इस ब्लॉग पोस्ट में आपको कुछ महत्वपूर्ण क्रिकेट पिच के प्रकार के बारे में बताया गया है।

फास्ट फॉरवर्ड – हरि घास वाली विकेट, अन इवन विकेट, पाटा पिच, स्लो पिच 

क्रिकेट पिच कितने प्रकार की होती है

हरि घास वाली विकेट  

इस पिच को ग्रास ऑन विकेट कहा जाता है इस पिच पर हरी घास छोड़ी जाती है जो गेंद को टिप खाने के बाद गति, उछाल तथा मूवमेंट प्रदान करती है। यह खतरनाक तरह की पिच होती है जो तेज गेंदबाज को मदद करती है। ऑस्ट्रेलिया की पर्थ विकेट हरी घास वाली विकेट है जहां बल्लेबाजों को बल्लेबाजी करने में काफी मुश्किल होती है। 

इस पिच पर अच्छी उछाल होने के कारण बाउंसर काफी तेज रफ्तार से उछलती हुई बल्लेबाज के हेलमेट की तरफ जाती है जिसे खेलना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। 

इस पिच पर हरी घास होने के कारण गेंद स्किड करती हुई जाती है जिससे गेंदबाज को अधिक रफ्तार मिलती है। सर्दियों में पिच की ऊपरी सतह में नमी होती है जिस कारण गेंद स्किड होने के साथ लहराने लगती है जिसे खेलना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। 

इस पिच पर गुड लेंथ गेंद पर पटकी हुई गेंद बल्लेबाज को परेशान करती हुई नीचे से ऊपर की ओर जाति हुई  उसकी कमर के काफी ऊपर से गुजर जाती है। 

गेंद बल्लेबाज की ओर उछलती हुई आती है इसलिए  बल्लेबाज को पुल शॉट खेलने में आसानी होती है। बल्लेबाज को एक फायदा और मिलता है की ग्रीन ग्रास पिच पर अच्छा बाउंस होने के कारण एलबीडब्ल्यू होने के चांस काफी कम होते हैं।  

इस तरह की क्रिकेट में ज्यादातर विदेश में देखने को मिलती है। ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, न्यू जीलैंड, इंग्लैंड जैसे देशों में अधिक उछाल वाली हरे घास की पिच ज्यादा होती है। 

यह पिच बल्लेबाज की तुलना में गेंदबाज के अनुकूल होती है इसलिए ज्यादातर मैच लो स्कोरिंग होते हैं। 

पाटा पिच 

इस पिच की सतह ऊपर से बिल्कुल फ्लैट होती है। सतह पर केवल मिट्टी होती है किसी भी प्रकार की घास ऊपर से नहीं होती है। घास की बजाय कुछ दरारे जरूर देखने को मिलती हैं। 

यह क्रिकेट पिच गेंदबाजी की तुलना में बल्लेबाजी के लिए अनुकूल मानी जाती है। गेंद टप्पा खाने के बाद बहुत तेज नहीं आती और बल्ले पर भी अच्छी रफ्तार से कनेक्ट होती है। पाटा पिच पर बाउंस भी ठीक-ठाक होता है जिसे बल्लेबाज आसानी से खेल पाता है। 

इस पिच पर शाट पिच और बाउंसर गेंद खेलना काफी आसान होता है। गेंद आसानी से बल्ले पर आने के कारण हर प्रकार के शॉट बल्लेबाज लगा पता है। 

इस तरह की पिच एशियाई देशों में अधिकतर देखी जाती है। भारत-पाकिस्तान श्रीलंका जैसे देशों में इस तरह की पिच की भरमार है इसलिए इन देशों से ज्यादातर अच्छे बल्लेबाज उभर कर सामने आते हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में अधिकतर अच्छे गेंदबाज देखे जाते हैं।

अन इवन विकेट

इस तरह के पिच पर बाउंस का जजमेंट कर पाना मुश्किल होता है। यह पिच जानबूझकर नहीं बनाई जाती बल्कि कभी-कभी पिच बनाने में कुछ कमी रह जाने की वजह से अनइवन बाउंस होता है। 

कभी किसी चीज का अधिक इस्तेमाल कर देने की वजह से भी क्रिकेट पिच अच्छी नहीं बनती। कुछ ओवर होने के बाद टूटने लगती है जिस कारण मिट्टी निकलने लगती है तथा रफ पैच बन जाति हैं। कुछ गेंदे उठती हैं कुछ गेंदे रफ पैच पर पडने पर दब जाती हैं। 

इस तरह की पिच स्पिन गेंदबाज को काफी ज्यादा मदद करती हैं। यह विकेट भारतीय टेस्ट क्रिकेट मैच में चौथे तथा पांचवें दिन देखने को मिलती है।   

स्लो पिच 

इस तरह की पिच पर गेंद थोड़ा रुक कर और फस कर आती है इसलिए यह विकेट स्पिन तथा स्लो गेंदबाज गेंदबाजों को अच्छी मदद करती है। एशियाई देशों में इस तरह की विकेट ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि यहां की मिट्टीकुछ इस तरह की है कि उसमें कितनी भी मेहनत की जाए पर विकेट स्लो बनती है। 

भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे देशों में ज्यादातर स्लो विकेट देखी जाती है। इन देशों के बल्लेबाजों को स्लो विकेट में खेलने की आदत होती है। स्लो विकेट में तेज गेंदबाज की तुलना में स्पिन गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन करते हैं और बल्लेबाज नेट में उनके खिलाफ ज्यादा अभ्यास करते हैं। यही कारण है कि एशियाई देशों के बल्लेबाज यूरोपियन देशों के बल्लेबाजों की तुलना में स्पिन गेंदबाज अच्छी तरह से खेल पाते हैं। 


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