फुटबॉल में कितने प्लेयर होते हैं उनकी पोजीशन और नियम

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फुटबॉल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है और इसके प्रशंसकों की तादाद सबसे ज्यादा है। देखने, खेलने और प्रशंसकों के मामले में क्रिकेट का नंबर भी फुटबॉल के बाद आता है। इस खेल को सहज बनाता है इसमें लगभग ना के बराबर इस्तेमाल होने वाली वाले उपकरण। फुटबॉल खेलने के लिए केवल एक गोलाकार हवा भरी गेंद चाहिए होती है जिसे फुटबॉल कहते हैं। इस खेल को मैदान में या मैदान के किसी भी कोने में खेला जा सकता है। इस खेल की सरलता से अत्यधिक लोकप्रिय बनाती है।  

उम्मीद करता हूं आपने भी कभी ना कभी इस लोकप्रिय खेल को जरूर खेला होगा। पर क्या आप जानते हैं फुटबॉल में कितने खिलाड़ी होते हैं उनकी पोजीशन क्या होती है और कितने रेफरी होते हैं? यदि नहीं तो चिंता ना करें आज के इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप यह सब जान जाएंगे।

फुटबॉल में कितने प्लेयर होते हैं उनकी पोजीशन और नियम

फुटबॉल में खिलाड़ियों की संख्या

एक समय पर मैदान में 2 टीमें एक एक दूसरे के खिलाफ खेलती हैं। फुटबॉल की प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और मैदान में कुल 22 खिलाड़ी खेलते हुए नजर आते हैं। प्रति टीम 11 खिलाड़ियों के अलावा कुछ खिलाड़ी मैदान के बाहर बेंच पर बैठे होते हैं जिन्हें सब्सीट्यूट कहते हैं इनकी संख्या 3 से लेकर अधिकतम 12 तक हो सकती है। 

फुटबॉल की प्रत्येक टीम में 1 मैनेजर होता है जो टीम का कोच भी होता है। यह मैनेजर मैच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेता है और खिलाड़ियों को  मैदान के अंदर और बाहर भी कर सकता है। वह खेल रहे 11 खिलाड़ियों में से किसी भी खिलाड़ी को मैदान के बाहर भेज सकता है और बेंच पर बैठे सब्सीट्यूट खिलाड़ी को पिच पर भेज सकता है। फुटबॉल पिच पर भेजे हुए खिलाड़ी को सब्सीट्यूट कहा जाता है। 

फुटबॉल नियम के हिसाब से यदि किसी खिलाड़ी को मैदान के बाहर भेज दिया गया है और सब्सीट्यूट को अंदर बुला लिया गया है तो बाहर भेजे गए खिलाड़ी को वापस नहीं बुलाया जा सकता। किंतु कुछ टूर्नामेंट में बाहर भेजे गए खिलाड़ी को वापस अंदर बुलाया गया है और इस नियम को रिटर्न सब्सीट्यूट के नाम से जाना जाता है।  

फुटबॉल के नियम के मुताबिक एक मैच में केवल 3 सब्सीट्यूट खिलाड़ियों को मैदान के अंदर खेलने का मौका मिलता है लेकिन इसे भी बढ़ाकर पांच कर दिया गया है। 

रेड येलो कार्ड फुटबॉल नियम

खेल को सुचारू रूप से चलाने के लिए फुटबॉल में तीन प्रकार के कार्ड होते हैं जो समय-समय पर खिलाड़ियों को दिखाए जाते हैं। आइए समझते हैं किस स्थिति में कौन सा कार्ड खिलाड़ी को दिया जाता है। 

येलो कार्ड –  यह कार्ड रेफरी मैच के दौरान किसी खिलाड़ी को चेतावनी देने के लिए देता या दिखाता है। यह खिलाड़ी को एक आधिकारिक चेतावनी होती है जो उसे सावधान होने के लिए दी जाती है ताकि वह खेल के नियमों का सही तरीके से पालन करे। यदि खिलाड़ी फिर भी किसी प्रकार का फाउल करता है तो उसे रेफरी द्वारा रेड कार्ड दिया जाता है।

रेड कार्ड – यदि फुटबॉल मैच के दौरान रेफरी मैदान पर खेल रही दोनों टीम में से किसी खिलाड़ी को रेड कार्ड देता है तो इसका मतलब होता है वह खिलाड़ी मैदान में खेलने के लिए दोबारा अंदर नहीं जा सकता। महत्वपूर्ण बात यह है कि उस खिलाड़ी के बदले कोई और खिलाड़ी खेलने के लिए मैदान में नहीं आ सकता अर्थात  रेड कार्ड मिलने के बाद 11 की बजाए 10 ही खिलाड़ी उस टीम से खेलते हैं। यदि 2 खिलाड़ियों को रेड कार्ड मिल गया है तो मैदान पर 11 की बजाए 9 खिलाड़ी ही एक टीम से खेल पाएंगे। 

फुटबॉल खिलाड़ियों की पोजीशन 

फुटबॉल के 11 खिलाड़ियों को 4 कैटेगरी में बांटा गया है। यह 4 कैटेगरी है गोलकीपर, डिफेंडर, मिडिलफील्डर तथा फारवर्ड। डिफेंडर, मिडिलफील्डर तथा फारवर्ड खिलाड़ियों को अलग पोजीशन नाम से भी जाना जाता है और उनका जिक्र भी यहां किया गया है।  

गोलकीपर – 11 में से केवल एक प्लेयर गोलकीपर बनता है और जो खिलाड़ी गोल पोस्ट के समीप ही खड़ा रहता है। गोल पोस्ट में दोनों ओर 1-1 खंबे लगे होते हैं तथा इन खंभों पर अंदर की ओर नेट लगा होता है। गोलकीपर विपक्षी टीम द्वारा गोल के प्रयास को रोकता है, विपक्षी टीम फुटबॉल को किक मार के गोल पोस्ट में डालने की कोशिश करती है और गोलकीपर इसे रोकने का प्रयास करता है। गोलकीपर की पोजीशन काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उसे गोल रोकने होते हैं ताकि विपक्षी टीम को अंक ना मिल सके।

चोट से बचाने के लिए गोलकीपर काफी उपकरण पहनता है जैसे गोलकीपर हेलमेट, पैड,एल्बो गार्ड तथा फेस मास्क। एक फुटबॉल टीम में 11 में से केवल एक खिलाड़ी ऐसा होता है जो फुटबॉल को हाथ से पकड़ सकता है और वह गोलकीपर होता है। लेकिन गोलकीपर के पास बॉल को हाथ से पकड़ने का विशेषाधिकार तब आता है जब वह पेनल्टी बॉक्स के अंदर हो अर्थात पेनल्टी बॉक्स के बाहर गोलकीपर भी फुटबॉल को हाथ से नहीं छू सकता। 

डिफेंडर – गोलकीपर से कुछ दूरी पर आगे की ओर डिफेंडर खड़े होते हैं। इनका काम विपक्षी टीम के खिलाड़ियों द्वारा किए गए अटैक को रोकना होता है अर्थात डिफेंड करना होता है। कोच और कप्तान मिलकर अपनी टीम में 3 से 5 डिफेंडर को रखते हैं ताकि टीम का डिफेंस स्ट्रांग हो सके और विपक्षी टीम आसानी से गोल तक ना पहुंच सके। सेंटर बैक, फुल बैक, लेफ्ट बैक और राइट बैक डिफेंडर्स की कुछ पोजीशंस हैं जहां उन्हें खेलना होता है।

फॉरवर्ड – यह खिलाड़ी डिफेंडर से आगे खड़े रहते हैं यानी विपक्षी टीम के सबसे नजदीक। इन खिलाड़ियों को स्ट्राइकर भी कहा जाता है क्योंकि इन्हें शॉट मार फुटबॉल को विपक्षी गोल में डालना होता है। फॉरवर्ड खिलाड़ी एक टीम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और उनके कंधों पर जिम्मेदारी होती है गोल दाग अपनी टीम के लिए अंक हासिल करने की। 

फुटबॉल के 11 खिलाड़ियों में से सबसे तेज खिलाड़ियों को फॉरवर्ड बनाया जाता है जो तकनीक और स्किल से भरपूर होते हैं। विपक्षी गोल के बिल्कुल सामने मौजूद फॉरवर्ड खिलाड़ी को सेंटर फॉरवर्ड के नाम से जाना जाता है और इसके दोनों ओर लेफ्ट तथा राइट फॉरवर्ड होते हैं। 

सेंटर फॉरवर्ड काफी मजबूत खिलाड़ी होते हैं और यह गेंद को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करते हैं तथा मौका मिलते ही किक मार के विपक्षी गोलपोस्ट में डाल देते हैं। सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी भी कभी-कभी मैच में लेफ्ट और राइट फॉरवर्ड खिलाड़ियों की भूमिका निभाते दिखते हैं। 

मिडफील्डर – यह वह खिलाड़ी होते हैं जो फॉरवर्ड तथा डिफेंडर खिलाड़ियों के बीच पुल बनाने का कार्य करते हैं अर्थात गेंदों को पास करने का कार्य करते हैं। डिफेंडर के पास गेंद पहुंचने पर यह उस गेंद को स्ट्राइकर तक पहुंचाने का कार्य करते हैं और कई बार जब स्ट्राइकर को विपक्षी खिलाड़ी घेर लेते हैं तो वह अपने आसपास मौजूद मिडफील्डर को गेंद पास करता है। इनका मुख्य कार्य गेंद को पास करना ही होता है और इनकी संख्या कप्तान और कोच की रणनीति पर निर्भर करता है। 

सेंट्रल मिडफील्डर जब अपनी बैकलाइन के सामने रहकर डिफेंस करता है तो उसे सेंट्रल डिफेंसिव मिडफील्डर खिलाड़ी कहा जाता है। जो खिलाड़ी ज्यादातर फॉरवर्ड खिलाड़ी की मदद करते हैं उन्हें सेंट्रल अटैकिंग मिडफील्डर कहते हैं। आसान भाषा में कहूं तो वह मिडफील्ड खिलाड़ी जो आगे की ओर फॉरवर्ड खिलाड़ी के पास फुटबॉल पास करते हैं उन्हें सेंट्रल अटैकिंग मिडफील्डर कहा जाता है और जो  मिडफील्डर खिलाड़ी  डिफेंडर से कुछ आगे खड़े होते हैं और बैकलाइन के ऊपर गेंद को डिफेंड तथा पीछे की ओर डिफेंडर को पास करते हैं उन्हें सेंट्रल डिफेंसिव मिडफील्डर कहा जाता है। 

विंगर – फुटबॉल में विंगर वह मिडफील्डर खिलाड़ी है जो फुल बैक के ठीक सामने फ्लैंकर्स से मोर्चा संभालते हैं। विंगर वे खिलाड़ी होते हैं जो गेंद को ज्यादातर अपने कब्जे में रखते हैं और अच्छी तरह से पास करने में  सक्षम होते हैं। यह अपोजिशन खिलाड़ी को फुटबॉल प्राप्त करने के लिए थका के रख देते हैं। फुटबॉल मैदान में राइट तथा लेफ्ट दो प्रकार के विंगर होते हैं जो पूरे मैच के दौरान फुटबॉल को अपने कब्जे में रखने की कोशिश करते हैं और अपने खिलाड़ियों को पास देने का कार्य करते हैं। 

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