टेनिस बॉल से यॉर्कर कैसे डालें अभी सीखें

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आज हम सीखेंगे टेनिस बॉल से यॉर्कर कैसे डालें, टेनिस बॉल से यॉर्कर कैसे डाला जाता है, इनस्विंग यॉर्कर कैसे डालें, ऑउटस्विंग यॉर्कर कैसे डालें, बाउंसर बॉल कैसे डाला जाता है, स्लो बाउंसर बॉल कैसे डालते हैं तथा कैरम बॉल कैसे डाला जाता है।

एक बॉलर तब तक कम्प्लीट बॉलर नहीं कहलाता है जब तक वह 4 से 5 अलग प्रकार की गेंदों में महारत हांसिल नहीं कर लेता। गेंदबाज़ के पास पेस के आलावा एक कला होनी ज़रूरी है जिससे वह गेंदों को अंदर और बहार दोनों और मूव करवा सके। सही मायने में एक साधारण गेंदबाज़ असाधारण गेंदबाज़ तब बनता है जब वह परफेक्ट यॉर्कर तेज़ी से डाल पाता है, ताकतवर बाउंसर एवं दोनों साइड मूवेबल गेंद डालने में माहिर हो जाता है।

जैसे धनुर्धर अर्जुन और कर्ण के पास कई सारे तरकश थे और वे दोनों सभी तरकश को चलाने में माहिर भी थे। वैसे ही एक गेंदबाज़ के पिटारे में भी कई सारे हथियार होने ही चाहिए क्योंकि एक गेंदबाज़ भी किसी धनुर्धर से कम नहीं होता है। धनुर्धर और गेंदबाज़ दोनों को ही निशाना साधना होता है और वैसे भी जब से t20 फॉर्मेट शुरू हुआ है तब से गेंदबाज़ों के बजाए क्रिकेट बल्लेबाज़ों को ज़्यादा सहूलियत या छूट प्रदान करता दिख रहा है। आज के दौर में हर कोई चौके और छक्के की बौछार देखना चाहता है ऐसे में एक गेंदबाज़ के लिए किसी बल्लेबाज़ को रोकना और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है। जिस प्रकार महाभारत में ब्रह्मास्त्र हुआ करता था उसी प्रकार क्रिकेट में यॉर्कर गेंद है जो महान से महान बल्लेबाज़ को धराशायी कर सकती है यदि यॉर्कर नुमा ब्रह्मास्त्र चलाने वाला गेंदबाज़ अर्जुन या कर्ण जैसा पारंगत हुआ तो।

तेज़ गेंदबाज़ के हथियार – परफेक्ट यॉर्कर्स, लूप बनाती हुई यॉर्कर्स, बाउंसर्स, स्लो बाउंसर, इनस्विंग यॉर्कर, इनस्विंग बॉल, ऑउटस्विंग यॉर्कर, ऑउटस्विंग बॉलस्पिन गेंदबाज़ के हथियार – कैरम बॉल, दूसरा, गूगली, यॉर्कर, फ्लिपर

सबसे पहले आवश्यकता है यॉर्कर की सही तकनीक को समझने की यदि इस पोस्ट को आप सही ढंग से पढ़ेंगे तो निश्चित ही आप यॉर्कर बॉल पर विजय प्राप्त कर सकते हैं किन्तु निरंतर अभ्यास ज़रूरी है।

यॉर्कर बॉल तकनीक

यॉर्कर बॉल कैसे डालें सही तकनीक – यॉर्कर बॉल डालने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है रिलीज़ पॉइंट को समझना यदि आप रिलीज़ पॉइंट को समझ गए तो मानिए यॉर्कर बाल सीखने का 60 परसेंट काम हो गया। इसके बाद आपको पेस और अन्य बातों पर ध्यान देना चाहिए।

रिलीज़ पॉइंट – जब गेंद यॉर्कर करनी हो तो बॉल को जल्दी रिलीज़ करना होता है ताकि गेंद ज़्यादा देर हवा में रह सके यदि आप गेंद को लेट रिलीज़ करेंगे तो गेंद आधी पिच या गुड लेंथ पर गिरेगी। यॉर्कर गेंद एक ऐसी गेंद है जो बाकी सभी गेंदों से कुछ माइक्रो सेकंड्स पहले छोड़ी (रिलीज़) की जाती है। जी हाँ फर्क सिर्फ नैनो या माइक्रो सेकण्ड्स का ही होता है, पर आपको ध्यान देना है सर के कितने ऊपर से बॉल छोड़ने पर आपकी गेंद कितनी लम्बी गिर रही है और उस हिसाब से अपना रिलीज़ पॉइंट भी एडजस्ट करना है। रिलीज़ पॉइंट को और विस्तार में समझने के लिए ये पोस्ट पढ़ें यॉर्कर बॉल कैसे डाला जाता है सही तकनीक।

यॉर्कर बॉल गृप – यॉर्कर बाल का रिलीज़ पॉइंट समझने के बाद आपको यॉर्कर बॉल गृप समझना थोड़ा आसान हो जाएगा। यदि लेदर बॉल है तो सिलाई के ऊपर अंगूठे के बगल वाली दो उँगलियों को वी (V) शेप में रख लें यानि सिलाई वी शेप के भीतर आनी चाहिए। यदि टेनिस बॉल है तो अपना वी शेप को थोड़ा कम खोलें यानि अंगूठे के बगल वाली दोनों उँगलियों में अंतर बेहद कम होना चाहिए ताकि गृप बन सके।

yorker ball kaise dala jata hai – अब ध्यान दें बॉल गृप करते वक्त सारा ध्यान वी शेप पे ही ना लगाएं बल्कि इस बात का ख़ास ध्यान रखें की गृप करते वक्त बॉल आपकी हथेलियों पर ना लगे अर्थात बॉल वी आकर की उँगलियों और नीचे से फोल्ड उँगलियों पर केंद्रित हो इससे बॉल रिलीज़ करने में आसानी होगी तथा शॉट पिच गेंद गिरने के कम आसार होंगे। जब गेंदबाज़ बॉल को पकड़ने के लिए पूरे हाथ और हथेली का इस्तेमाल ज़्यादा करता है तो उसकी गेंद शॉर्टपिच गिरने के ज़्यादा चांस होते हाँ किन्तु जब गेंदबाज़ बॉल को उँगलियों से ज़्यादा पकड़ता है तो वह गेंद को लम्बी यानि फुल लेंथ रखने में कामयाब रहता है।

यॉर्कर बॉल कैसे डाला जाता है

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लूप यॉर्कर क्या होती है – सबसे पहले लूप का मतलब आपको समझा दें। लूप गेंद यानी एक ऐसी गेंद जो बल्लेबाज़ को देर से दिखती है इसका सीधा मतलब है की वह गेंद जो काफी ऊंचाई से छोड़ी गई हो और एक ऐरो के समान ऊपर से निचे की ओर आती है। पहले ज़माने में कैरिबियाई गेंदबाज़ों को खेलपना नामुमकिन होता था क्योंकि वे लूप बनाने में माहिर होते थे। क्रिकेट में लूप बनाना सबके बस की बात नहीं होती, हालांकि यह कला लम्बे गेंदबाज़ों के लिए कुछ आसान ज़रूर होती है क्योंकि उनकी हाइट लम्बी होने के कारण गेंद और ऊपर से नीचे की ओर उतरती है। यदि गेंदबाज़ गेंद को आधे सफर तक बल्लेबाज़ के हेलमेट के ऊपर रखने और फिर नीचे उतारने में कामयाब हो जाता है तो ऐसे में बल्लेबाज़ को गेंद कुछ देर से दिखती है। पर यकीन मानिए ये इतना आसान नहीं है क्योंकि नियंत्रण ना होने पर गेंद बल्लेबाज़ के हेलमेट या कंधे पर लग सकती है और आपको अम्पायर द्वारा चेतावनी देने के साथ ही बल्लेबाज़ को फ्री हिट मिल सकती है।

लूप यॉर्कर कैसे डालते हैं – लूप यॉर्कर डालने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि यह गेंद सामान्य यॉर्कर गेंद डालने से कई गुना ज़्यादा मुश्किल होती है। सामान्य यॉर्कर तो आप प्रैक्टिस के बाद साइड आर्म एक्शन, ओपन चेस्टेड एक्शन या अन्य एक्शन से भी डाल सकते हैं किन्तु लूप यॉर्कर के लिए आपको गेंद को सर के काफी ऊपर से या बिलकुल ऊपर से जल्दी रिलीज़ करना होगा ताकि गेंद ज़्यादा देर हवा में रहकर बल्लेबाज़ के ऑय लेवल के ऊपर से सीधे उसके पंजो पर जा गिरे ऐसा करना आसान नहीं होगा किन्तु नामुमकिन भी नहीं। यहाँ आपका रिस्ट वर्क और ऊपर की दो उँगलियों का सही समय पर काम करना ज़रूरी है। गेंद रिलीज़ करते वक्त उँगलियों को और रिस्ट को ऊपर से नीचे की और डायरेक्शन दें ताकि गेंद एक सही सीमा तय करने के बाद नीचे उतर सके। लूप यॉर्कर अक्सर हाल्फ पिच से एक दो कदम आगे तक बल्लेबाज़ के ऑय लेवल और उसके बाद तेज़ी से नीचे उतरना शुरू करती है। इस तरकश (लूप गेंद यॉर्कर) के लिए आपके कन्धों के आलावा आपके रिस्ट और हाथों की उँगलियों में अच्छी खासी जान होनी चाहिए अतः फिंगर एक्सरसाइज और हैंड गृप एक्सरसाइज ज़रूर करें।

टेनिस बॉल से यॉर्कर कैसे डालें

टेनिस बॉल से यॉर्कर कैसे डाला जाता है – टेनिस बॉल से यॉर्कर डालने के लिए आपको गेंद को मुख्यतः ऊपर की दो उँगलियों और अंदर की ओर मुड़े हुए अंगूठे से गृप करना चाहिए। ध्यान रहे टेनिस बॉल गृप करते वक्त लेदर बॉल जितना गैप नहीं देना चाहिए यानि उँगलियों का वी टेनिस बॉल में कम खुलना चाहिए। टेनिस बॉल हो या लेदर बॉल यॉर्कर डालने का सटीक तरीका तो यह है की बॉल को जल्दी रिलीज़ कर दिया जाए ताकि बॉल को हवा में लहराने का ज़्यादा मौका मिले। ज़्यादातर पुरानि टेनिस बॉल से अच्छी यॉर्कर जाती है यदि आपकी बॉल बिलकुल नयी है तो उसके रोए थोड़ा ऊपर से माचिस से जला लें इससे नयी टेनिस बॉल को गृप करने में आसानी होती है।

डी डी सी ए एप्रूव्ड क्रिकेट अकादमी ज्वाइन करें

भारत में आज भी स्कूल में ज़्यादातर बच्चे टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते हैं इसी वजह से उन्हें असली क्रिकेट खेलते वक्त ट्रायल देने में काफी दिक्कत आती है किन्तु इसमें बच्चों की कोई गलती नहीं है। उनके स्कूल उन्हें इस मूलभूत सुविधा से रूबरू नहीं करवा पाते हैं जिस कारण बच्चे अपने घर से ही टेनिस बॉल लेकर क्रिकेट खेलने लगते है।

भारत में क्रिकेट धर्म होने के बावजूद भी स्कूल में क्रिकेट किट व ग्राउंड की पूरी सहूलियत नहीं होती है। बीसीसीआई ने ऐसा कोई रूल नहीं बनाया है जो यह कहता हो की आपको ट्रायल देने के लिए क्रिकेट अकादमी ज्वाइन करनी ही पड़ेगी। हालांकि क्रिकेट अकादमी ज्वाइन करने के अपने फायदे होते है जैसे आपको रेगुलर मैच प्रैक्टिस मिलती है और क्रिकेट ट्रायल फॉर्म्स का टाइम पर पता चल जाता है। आप जब भी क्रिकेट अकादमी ज्वाइन करें तो इस बात का अवश्य ख्याल रखें की वह क्रिकेट की अकैडमी डी डी सी ए एप्रूव्ड होनी चाहिए। जो क्रिकेट अकादमी डी डी सी ए एप्रूव्ड होती है उसका बीसीसीआई के रूल्स एंड रेगुलेशंस का पालन करना आवश्यक होता है और आपको विश्वशनीय मैच प्रैक्टिस देने में भी समर्थ होती है। इस वर्ष तकरीबन सभी ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं अतः आप आने वाले ट्रायल्स पर ध्यान केंद्रित करें और 2022 के सभी क्रिकेट ट्रायल्स की जानकारी के लिए हमसे जुड़ते रहिए। यूँ तो भारत में कई क्रिकेट अकादमी खुल चुकी हैं और कई दिग्गज क्रिकेटर भी अपनी क्रिकेट की अकैडमी से बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं जैसे महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट अकादमी हाल ही में वर्ष 2021 में जम्मू में खुली है वीरेंदर सहवाग क्रिकेट स्कूल और अकादमी दिल्ली में कई वर्षों से चल रही है। डी डी सी ए एप्रूव्ड क्रिकेट अकादमी लिस्ट के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और साथ ही क्रिकेट में करियर कैसे बनाएं या क्रिकेटर कैसे बनते हैं यह भी जाने।

बाउंसर बॉल कैसे डाला जाता है

बाउंसर बॉल कैसे डालें – बाउंसर बॉल डालने के लिए सबसे पहले तो गेंदबाज़ के कंधे में ताकत होनी चाहिए। फिर गेंदबाज़ को कंधे का ज़ोर लगाना आना चाहिए। बाउंसर गेंद डालने के लिए कंधे और रिस्ट का मिलाजुला सहयोग होता है जिसमें कंधे पर अधिक ज़िम्मेदारी होती है। आपने ऊपर यॉर्कर बॉल डालने का तरीका पढ़ा होगा, बाउंसर बॉल यॉर्कर बॉल के विपरीत है जैसे यॉर्कर बॉल डालने के लिए गेंद जल्दी छोड़नी होती है ताकि वह हवा में अधिक देर रह सके और लम्बी पड़े उसके बिलकुल उलट बाउंसर गेंद डालने के लिए गेंद को लेट रिलीज़ करना होता है। बाउंसर गेंद अन्य सभी गेंदों से लेट रिलीज़ की जाती है, बाउंसर गेंद तब रिलीज़ करनी चाहिए जब गेंदबाज़ का बॉलिंग आर्म हेड को पूरी तरह से क्रॉस कर चुका हो। पर ज़्यादा लेट रिलीज़ करने से गेंद बिलकुल आपके मुहं के सामने गिर सकती है और लेट रिलीज़ करने से गेंद फुल लेंथ गिर सकती है अतः बाउंसर डालने की भी अच्छी प्रैक्टिस करें।

स्लो बाउंसर कैसे डालें – स्लो बाउंसर डालने के भी एक से ज़्यादा तरीके होते हैं। आजकल गेंदबाज़ जो तरीका अपनाते हैं उससे बल्लेबाज़ को थोड़ा देर से स्लो बाउंसर समझ में आती है। आजकल स्लो बाउंसर डालने का तरीका यह है की कंधे का तो पूरा ज़ोर लगाया जाता है ताकि बल्लेबाज़ को समझ में ना आए और गेंद हथेली के ऊपर से रिलीज़ की जाती है जिससे बॉल स्लो बाउंसर की तरह स्पंजी बाउंस लेते हुए बल्लेबाज़ की टाइमिंग गड़बड़ा देती है। इस बाउंसर पर बल्लेबाज़ अक्सर जल्दी बल्ला घुमा देते हैं और टॉप एज का शिकार बन जाते हैं। दूसरा स्लो बाउंसर का तरीका यह है की गेंदबाज़ द्वारा कन्धा और रिस्ट दोनों ही की ताकत ठीक वक्त पर कम लगाई जाती है जिससे गेंद स्लो जाती है हालांकि यह तरीका गेंदबाज़ के लिए थोड़ा आसान है पर साथ ही बल्लेबाज़ को भी इस तरीके से कुछ ख़ास परेशानी नहीं होती है।

इनस्विंग बॉल कैसे डाला जाता है

इनस्विंग यॉर्कर टिप्स – इनस्विंग बॉल डालने के लिए दो से अधिक तरीके हैं, पहला तरीका यह है की आप उँगलियों के वी शेप को थोड़ा बड़ा करें और बॉलिंग करें ऐसा करने में बॉल को गृप करना थोड़ा कठिन होता है किन्तु प्रैक्टिस के बाद ऐसा करना आसान होता है। दूसरा तरीका यह है की बॉल को वी शेप के बिलकुल बीचों बीच लेने के बजाए हल्का अंगूठे की और रखें ऐसा करने से भी इन स्विंग बॉल करने में मदद मिलती है। इन दोनों ही तरीकों में बॉल रिलीज़ करते वक्त रिस्ट को हल्का सा भीतर की ओर मोड़ना है। इसके अलावा तीसरा तरीका यह है की बॉल को क्रॉस सीम पकड़ें यानी सिलाई के विपरीत ऐसा करने से बॉल टिप खाने के बाद अपने आप अंदर की ओर जाती है।

ऑउटस्विंग बॉल कैसे डाला जाता है

आउट स्विंग बॉल कैसे डाला जाता है – सबसे पहले बॉल को वी आकर की उँगलियाँ बनाते हुए बिलकुल बीचों बीच रखने के बजाए हल्का दाएं ओर यानी छोटी ऊँगली वाली दिशा में रखें। बॉल आपको वी शेप की उँगलियों से ही पकड़नी है सिर्फ थोड़ा सा दाएं रखना है तथा गेंद रिलीज़ करते वक्त रिस्ट को बाहर की ओर मोड़ना है।

कैरम बॉल कैसे डाला जाता है

कैरम बॉल गृप – कैरम बॉल डालने के लिए मिडिल फिंगर का खास इस्तेमाल होता है। इसके गृप करने का तरीका भी थोड़ा अलग और उँगलियों के लिए डिफिकल्ट होता है। आर अश्विन कैरम बॉल के स्पेशलिस्ट हैं हालांकि कैरम बॉल के शुरुआती दौर में अजंता मेंडिस ने इस बॉल पर महारत हांसिल कर अपने ज़माने में काफी विकेट लिए थे। कैरम बॉल गृप करते वक्त खिलाडी को बीच की ऊँगली को भीतर की ओर मोड़ना होता है और रिलीज़ के वक्त जैसे कैरम बोर्ड में स्ट्रिगर को ऊँगली से धकेला या हिट किया जाता है ठीक वैसे ही क्रिकेट बॉल को भी उसी ऊँगली से पुश किया जाता है जो बल्लेबाज़ को अक्सर तकलीफ पहुंचाती है क्योंकि इस बॉल की गति बदल जाती है और कई बार काँटा भी बदल लेती है।

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तेज गेंदबाज

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