साल 2000 में साउथ अफ्रीका टीम भारत में दो टेस्ट मैच तथा पांच एक दिवसीय मैच श्रृंखला खेलने आई थी। पहला टेस्ट मैच 19 फरवरी 2000 को खेला गया था और आखिरी एकदिवसीय मैच मैच 19 मार्च 2000 को खेला गया था। इस पूरी श्रृंखला में साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्जे थे तथा भारत के लिए सचिन तेंदुलकर कप्तानी कर रहे थे।
बड़ा इत्तेफाक यह है कि दिल्ली पुलिस को मैच फिक्सिंग की भनक भी नहीं थी और उनका प्लान सलीम हथेली को पकड़ने का था किंतु गलती से हैंसी क्रोन्जे फस गए।
साउथ अफ्रीका हैंसी क्रोन्जे गलती से फंसे मैच फिक्सिंग में
इत्तेफाक की बात थी कि इस श्रृंखला के दौरान दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के गैंग मेंबर सलीम हथेली ने अपोलो टायर तथा खन्ना ज्वेलर्स से फिरौती मांगी थी। अपोलो और खन्ना ज्वेलर्स ने फिरौती देने की बजाय पुलिस में कंप्लेंट कर दी।
अपोलो टायर तथा खन्ना ज्वेलर्स दोनों बिजनेसमैन पुलिस के साथ मिल गए और पुलिस के कहने पर सलीम हथेली से रकम को कम ज्यादा करने लगे। पुलिस का मकसद था कि सलीम हथेली के जरिए पूरे नेटवर्क तक पहुंच जाए और पता लगाया जाए कि इनका नेटवर्क भारत में कहाँ-कहाँ तक फैला है।
दिल्ली पुलिस की तरफ से इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह अपोलो टायर तथा खन्ना ज्वेलर्स और हथेली के बीच हुई वार्तालाप का पूरा ट्रैक रिकॉर्ड रख रहे थे।
अब यहां से कहानी में कुछ और किरदारों की एंट्री होती है और यह किरदार हैंसी क्रोन्जे के फंसने की मुख्य वजह बनते हैं।
वार्तालाप रिकॉर्डिंग के दौरान इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह को एक बीएसएनल नंबर का पता चलता है जिसे काफी पहले कृष्ण कुमार ने भी इस्तेमाल किया था। कृष्ण टी-सीरीज के मालिक गुलशन के भाई थे।
पुलिस ने बीएसएनएल की मदद से कृष्ण कुमार के करंट फोन की जांच करनी भी शुरू कर दी और उन्होंने कुछ कांस्टेबल्स की 24 घंटे दिन रात कृष्ण कुमार के फोन सुनने की ड्यूटी लगा दी। रोचक बात यह है की पुलिस अभी भी छोटा शकील को पकड़ना चाह रही थी ना की हैंसी क्रोन्जे को।
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19 फरवरी 2000 मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में साउथ अफ्रीका और भारत का पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ और भारतीय टीम कुछ दूरी स्थित ताज होटल में रुकी थी। इस क्रिकेट मैच से ठीक 2 दिन पहले कृष्ण कुमार के दोस्त संजीव कुमार चावला लंदन से भारत आते हैं। यहां एक और इत्तेफाक घटता है। संजीव के पास भारतीय फोन नंबर नहीं था इसलिए कृष्ण कुमार उन्हें अपना नंबर इस्तेमाल करने के लिए दे देते हैं। यह वही नंबर था जिसकी निगरानी पुलिस 24 घंटे कर रही थी। हैरानी की बात यह थी कि संजीव चावला भी उसि ताज होटल में रुके जहां पूरे भारतीय खिलाड़ी रुके थे।
इत्तेफाक से जिन हवलदारों को कृष्ण कुमार का फोन सुनने के लिए लगाया गया था वे अब संजीव चावला का फोन सुन रहे थे। कई दिनों तक फोन सुनने के बाद हवलदारों ने यह बताया कि इनका अंडरवर्ल्ड से कोई कनेक्शन नहीं है और यह लोग दिन-रात मैच देखते रहते हैं क्योंकि उनकी हमेशा मैच से संबंधित बातें ही होती थी। हवलदारों ने बताया कि यह हमेशा यही बात करते रहते हैं कि कैच पकड़ लिया, आउट कर लिया आउट नहीं हुआ इत्यादि।
सीनियर अधिकारियों को यह बात पता चलने पर उन्होंने कहा कि शायद यह कोई कोड वर्ड हो। तो हवलदार जवाब देते हैं कि यह कोई कोड वर्ड नहीं है क्योंकि वह लाइव मैच के दौरान यह सारी बातें करते हैं। हवलदार यह भी बताते हैं कि यहां से सारे लोग टूटी-फूटी अंग्रेजी में बात करते हैं और कोई एक व्यक्ति बीच-बीच में आता है जो अंग्रेजों की तरह अच्छी इंग्लिश में बात करता है।
कुछ दिनों बाद इनमें से एक कांस्टेबल टीवी पर मैच देख रहा होता है और इसी बीच कॉमेंटेटर बॉक्स में साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्जे आते हैं और कमेंटेटर से बात करने लगते हैं। हैंसी की आवाज सुनते ही टीवी पर मैच देख रहे कांस्टेबल का दिमाग चकरा जाता है और वह हक्का-बक्का रह जाता है। कांस्टेबल तुरंत पहचान लेता है कि यह तो वही आवाज है जो वह पिछले कुछ दिनों से दिन-रात फोन टैपिंग के दौरान सुन रहा था।
कांस्टेबल यह बात तुरंत उच्च पुलिस अधिकारियों को बताता है और पुलिस इस बात को काफी सीरियसलि लेती है। पुलिस दूरदर्शन से तुरंत क्रिकेट मैच की फुटेज मांगती है और उसके बाद अपनी रिकॉर्डिंग तथा फुटेज में से हंसी क्रोनिए की आवाज का सैंपल मैच करवाती है जो की बिल्कुल सही मैच कर जाता है। इतने सबूत काफी नहीं थे और अभी श्रृंखला खत्म नहीं हुई थी। पुलिस के पास समय था तहकीकात करने का और इस बार पुलिस रिकॉर्डिंग हंसी क्रोनिए को पकड़ने के लिए करती है।
14 मार्च 2000 को पुलिस को रिकॉर्डिंग में क्रोन्जे का नाम सुनाई देता है और उनका रूम नंबर 346 भी सुनाई देता है जिससे पुलिस पूरी तरह से कंफर्म हो जाती है कि मैच फिक्सिंग चल रही है।
तो इस तरह से अपोलो टायर्स और ज्वेलर्स का केस सॉल्व करते-करते पुलिस गलती से दुनिया का पहला क्रिकेट मैच फिक्सिंग घोटाला को पकड़ लेती है। इस तरह इत्तेफाक से मैच फिक्सिंग स्कैनडल के मास्टरमाइंड संजीव चावला और हैंसी क्रोन्जे पुलिस के गिरफ्त में आ जाते हैं। इस फिक्सिंग में हैंसी क्रोन्जे , हर्षल गिब्स, निकी, पीटर तथा संजीव चावला के नाम पुलिस की तरफ से सामने आए थे।
बड़े विवाद से बचने के लिए पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार नहीं किया और श्रृंखला खत्म होने का इंतजार किया। जिसकी वजह से मुख्य आरोपी संजीव चावला फरार हो जाता है क्योंकि वह फाइनल मुकाबले से चार दिन पहले ही लंदन वापस चला गया था। उसके बाद उसे पकड़ने के लिए भारत को कई साल लग गए और 2020 में संजीव चावला को पकड़ कर तिहाड़ जेल में डाला गया।
साउथ अफ्रीका गवर्नमेंट की तरफ से इंक्वारी शुरू हुई और आखिरकार हैंसी ने अपनी गलती मानी और पब्लिक के सामने कबूल किया। साउथ अफ्रीका कोर्ट में चले केस की कई वीडियो को क्रोन्जे क्रिकेट इंक्वारी के नाम से एपी आर्कइव यूट्यूब चैनल ने अपने यूट्यूब में अपलोड किया है।
साउथ अफ्रीका फिक्सिंग रिपोर्ट
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