सचिन तेंदुलकर से सभी को उम्मीद थी कि वह 1 दिन बीसीसीआई के मुख्य अध्यक्ष के पद पर विराजमान होंगे। जिस क्रिकेट ने उन्हें इतना मान सम्मान और पहचान दिया है वह उस क्रिकेट के लिए भी कुछ करेंगे परंतु वह खाना बनाने में बिजी हो गए।
इस ब्लॉग पोस्ट द्वारा मैं आपसे साझा करूंगा कि सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता क्यों गिरती जा रही है।
सचिन तेंदुलकर की फैन फॉलोइंग क्यों गिरती जा रही है
सचिन तेंदुलकर का करिश्मा अभी भी बरकरार है और इसका नजारा मैंने लैजेंट्स टूर्नामेंट के दौरान देखा था। आज भी सचिन तेंदुलकर जब बल्लेबाजी करते हैं तो 80% भीड़ उनकी बल्लेबाजी देखने ही आती है उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से ज्यादा मतलब नहीं रहता।
देहरादून के रायपुर स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर का मैच था अर्थात लैजेंट्स टूर्नामेंट का एक मैच था जिसमें सचिन खेल रहे थे। पर मेरी जितने भी लोगों से बात हुई सभी कह रहे थे कि हम सिर्फ सचिन की बैटिंग देखने आए हैं जबकि उस मैच में सिक्सर किंग युवराज सिंह तथा हरफनमौला खिलाड़ी सुरेश रैना भी खेल रहे थे।
यह तो बात हुई सचिन की करिश्माई बल्लेबाजी की जिसकी तुलना किसी भी खिलाड़ी से करना नामुमकिन और बेईमानी है। मैं खुद सचिन तेंदुलकर का बहुत बड़ा फैन हूं और उन्हें देखकर ही मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था इसलिए आगे जो भी लिखूंगा उसे लिखने में मुझे भी दुख हो रहा है।
इसे जरूर पढ़ें – मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध कोहली सचिन धोनी
सचिन के रिटायरमेंट के बाद एक हकीकत यह है कि सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता का स्तर गिरता जा रहा है और इसकी बड़ी वजह सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट के किसी भी बड़े पद पर ना होना है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को हम सब बड़े पद पर देखना चाहते हैं जैसे बीसीसीआई के अध्यक्ष के पद पर या फिर आईसीसी के अध्यक्ष के पद पर या फिर क्रिकेट से जुड़े किसी बड़े पद पर। किंतु सचिन तेंदुलकर खाना बनाने में बिजी हो गए और ऐसा बिजी हो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कब साल दर साल निकल गए।
यह बात सही है कि 22 साल क्रिकेट खेलने के बाद हर किसी इंसान को ब्रेक चाहिए होता है तो उन्हें 1 से 2 साल हद से ज्यादा 3 साल का ब्रेक लेना चाहिए था पर वह लगातार ब्रेक पर ही हैं।
यह पढ़ें – क्रिकेट का भगवान कौन है सचिन या विराट
खाना बनाने ने उन्हें कोई शोहरत नहीं दी हालांकि यह उनका पर्सनल चॉइस है। जो शोहरत नाम सम्मान क्रिकेट ने उन्हें दिया है उन्हें उस खेल लिए भी कुछ करना चाहिए और वह तभी कुछ कर पाएंगे जब किसी बड़े पद पर कार्यरत होंगे। यह एक बड़ी वजह है कि सचिन तेंदुलकर की सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग गिरती जा रही है क्योंकि लोग उन्हें क्रिकेट से जुड़े हुए देखना चाहते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि वह क्रिकेट से जुड़े नहीं रहेंगे तो लोग उन्हें भूलते चले जाएंगे।
सचिन तेंदुलकर कहीं नजर नहीं आते हैं वह केवल मुंबई इंडियंस के मैनटोर बनकर रह गए हैं। जबकि उनके साथी खिलाड़ी सौरव गांगुली (दादा) काफी एक्टिव नजर आते हैं और बीसीसीआई के अध्यक्ष भी बन चुके हैं। उनके अलावा ‘दीवार’ नाम से प्रसिद्ध राहुल द्रविड़ भी क्रिकेट में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। द्रविड़ भारतीय टीम के हेड कोच से लेकर अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच बन चुके हैं। दादा एवं दीवार कोशिश कर रहे हैं कि जो नाम सम्मान क्रिकेट ने उन्हें दिया क्रिकेट के लिए भी वह कुछ करें, और इस बात का सम्मान हम सब करते हैं।
यह भी पढ़ें – सचिन को क्रिकेट का भगवान क्यों कहा जाता है
दूसरी तरफ सचिन तेंदुलकर का रवैया कुछ अलग नजर आता है वह सिर्फ आईपीएल के मैच में देखे जाते हैं, किसी बड़ी भूमिका से न जाने क्यों खुद को दूर रखे हुए हैं। ऐसा लगता है सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से काफी थक चुके हैं और अब तक उबर नहीं पाए। पर उन्हें एक बार फिर से आकलन करना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि क्रिकेट ही है जिसने उन्हें इतना नाम और मान सम्मान दिया है वे अपनी आंखें क्रिकेट के लिए कैसे बंद कर सकते हैं।
सचिन तेंदुलकर ने अगर एक बार अपना नाम बीसीसीआई के अध्यक्ष के लिए या फिर आईसीसी के अध्यक्ष के लिए भी दे दिया तो किसी माई के लाल में इतना दम नहीं कि वह अपना नाम उनके नाम के सामने रख सके। यह बात 100% तय है कि सचिन तेंदुलकर को हराना तो दूर की बात है उनके सामने चुनौती भी पेश नहीं की जा सकती।
पर क्या करें हमारे सचिन तेंदुलकर किचन में खाना बनाने में बिजी हैं। बल्ले से गेंदबाजों का करियर बर्बाद करने वाले खिलाड़ी “सचिन” आज प्याज टमाटर काट रहे हैं। मैं उनके निजी जीवन और पर्सनल चॉइस का सम्मान करता हूं पर एक फैन होने के नाते उन्हें क्रिकेट में हमेशा एक सक्रिय भूमिका में देखते रहना चाहता हूं।
और भी पढ़ें
मेरा प्रिय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर निबंध