क्रिकेट पिच बनाने की विधि | क्रिकेट पिच कैसे बनाएं

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दोस्तों यदि हम क्रिकेट खेलते हैं तो हमें क्रिकेट पिच की जानकारी होनी चाहिए और यह पता होना चाहिए कि क्रिकेट पिच कैसे बनाते हैं, क्रिकेट पिच की लम्बाई चौड़ाई कितनी होती है, मैदान कैसे तैयार होता है व क्रिकेट ग्राउंड की लम्बाई चौड़ाई। आज मै आपको क्रिकेट पिच बनाने की विधि बता रहा हूं अतः इस पोस्ट को ध्यान से अंत तक पढ़ें और पढ़ने के बाद आप अपने घर के नजदीक या गांव में भी क्रिकेट पिच बना सकते हैं।

क्रिकेट पिच की जानकारी

यदि क्रिकेट के मैदान की बात की जाए तो इसका कोई फिक्स डाइमेंशन नहीं है। क्रिकेट रूल्स के अनुसार कोई भी बाउंड्री 90 यार्ड (82.29 मीटर) से लम्बी नहीं होनी चाहिए और 65 यार्ड (59.43 मीटर) से छोटी नहीं होनी चाहिए। आमतौर पर क्रिकेट का डाइमेंशन 450 फीट (137 मीटर) से 500 फीट (150 मीटर) के बीच होता है।

गाँव में क्रिकेट पिच बनाने की विधि

दोस्तों यदि आप भी घर पर या घर के आसपास या अपने गाँव में क्रिकेट पिच बनाना चाहते हैं तो बना सकते हैं यह ज़्यादा मुश्किल नहीं है।

क्रिकेट पिच बनाने के लिए सामग्री – 1-2 फावड़ा, 2-3 खुरपी, 2 रिंग (फुल साइज), 7-8 kg रेत, 30-40 ईंट, 30 लीटर पानी, 1-2 ड्रम, 2 झाड़ू।

दोस्तों आपको उच्च स्तर की पिच बनाने के लिए ऊपर दी गई सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी। सर्वप्रथम आपको घर के पास किसी ठोस जगह का चुनाव करना होगा भले ही वह उबड़ खाबड़ और पथरीली हो पर ठोस हो नमी वाली जगह का चुनाव ना करें, फिर फावड़े से उसे 11-13 इंच तक खोदें अब खुरपी का इस्तेमाल कर घास और कंकड़ साइड कर दें अब ईंटों को छोटे टुकड़ों में तोड़कर पिच पर भर दें और रेत डालें।
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यह सब करने के बाद कुछ पानी का छिड़काव करें ध्यान रहे अभी ज़्यादा पानी ना डालें। रोलर का इस्तेमाल करें ताकि पिच समतल हो सके रोलर की जगह ड्रम यूज़ करें पर ध्यान रहे ड्रम बहार से प्लेन शेप का हो उसपे खांचे न बने हों वरना पिच पे रोलिंग करना मुश्किल होगा क्योंकि वह निशान छोड़ेगा। पहले ड्रम के अंदर मिट्टी भर लें और फिर रोलिंग करें यदि प्लेन शेप का ड्रम न हो तो बाहर से बोरी लपेटे और फिर इस्तेमाल करें।

16-20 राउंड होने के बाद अब 30-40 लीटर पानी डालें और अब गलती से भी रोलिंग न करें तथा पिच को 16-20 घंटों तक सूखने के लिए छोड़ दें। अगले दिन सबसे पहले पिच पर झाड़ू लगाएं ताकि बारीक कंकर और धूल हट जाए। अब रिंग का इस्तेमाल करें इससे छोटे छोटे कंकर चुनने में आसानी होती है और कुछ छोटे पैच या गढ़े मिले तो उन्हें मिट्टी से भर दें और अब पिच पर रोलिंग शुरू करें कम से कम आधा घंटा रोल करें इस दौरान आपको कम से कम 60-80 बार रोलिंग करनी होगी। काम आपस में बांटे 2 खिलाडी मिल कर 20 बार रोलिंग करें इससे मात्र चार जोड़ों में रोलिंग पूरी हो जाएगी।

यदि आप यह सब नहीं कर सकते तो किसी ठोस जगह का चुनाव कर मात्र फावड़े से खोद कर उसे पानी की मदद से पुनः लेबल कर दें और 3-5 घंटे धूप में सूखने के लिए छोड़ दें।

होल्कर मैदान – भारत में अधिकांश ग्राउंड तैयार करने के लिए सैंड बेस मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है पर होल्कर मैदान में काली और लाल मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है इससे मैदान के घास को हरा रखने में ज़्यादा पानी नहीं देना पड़ता।

घर के पास क्रिकेट पिच कैसे बनाएं

सर्वप्रथम पिच की खुदाई करें यह 11 से 13 इंच तक खोदा जाता है बाद में ईंट का चूरा डालें जो स्लोप बनाने में सहायक होता है अब इसमें ड्रेनेज लाइन डाली जाती है ताकि बारिश के वक्त पानी आसानी से ड्रेन आउट हो सके। अब इसमें 5 इंच ईंट का चूरा डाले और ऊपर से रेत डालें और इसमें मिट्टी की मात्रा केवल 10 प्रतिशत रखें यानी की 90 प्रतिशत रेत और ईंट का चूरा होना चाहिए और उसका 10 प्रतिशत मिट्टी की मात्रा होनी चाहिए। रोलर – पिच बनाते समय भी रोलर चलाया जाना ज़रूरी है ताकि पिच समतल हो और सारा मसाला सही तरीके से बैठ जाए। यह रोलर पिच बनाने के बाद भी लगातार सही अंतराल पर चलाया जाना चाहिए।

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क्रिकेट पिच की लम्बाई चौड़ाई

लम्बाई – क्रिकेट पिच की लम्बाई 22 गज यानि 20 मीटर होती है। 20 मीटर यानि 65.6168 फीट होता है अतः क्रिकेट पिच लेंथ इन फीट होगा 65 यदि आप जानना चाहते हैं की क्रिकेट पिच कितने कदम की होती है तो सही जवाब है 22 गज की होती है।

चौड़ाई क्रिकेट पिच की चौड़ाई 10 फीट होती है यानि की 3.05 मीटर। तो ये है क्रिकेट पिच की लम्बाई और चौड़ाई के मापदंड।

क्रिकेट पिच के प्रकार

आपने अक्सर सुना होगा की ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेट पिच में घास छोड़ी है ताकि फ़ास्ट बॉलर को मदद मिले तो यह बिलकुल सही बात है। बैटिंग के लिए कौन सी पिच सही होती है और किस पिच में बैटिंग करना आसान होता है, किस पिच में स्पिन बॉलर के लिए मदद है यह सारी जानकारी आप के लिए प्रस्तुत है।

ग्रास ऑन विकेट – इस पिच को अक्सर ग्रासी विकेट भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पिच के ऊपर हलकी हलकी घास होती है यह विकेट फास्ट बॉलर को काफी मदद करती है क्योंकि यहाँ गेंदबाज़ एक्स्ट्रा पेस जनरेट कर पाते हैं और इस विकेट पर उछाल भी ज़्यादा मिलता है। बौल इस पिच पर टिप खाते ही स्किड करती है सर्दियों के मौसम में यह पिच और भी ज़्यादा खतरनाक हो जाती है क्योंकि उस समय ओंस पड़ने की वजह से पिच पर हलकी नमी होने से बॉलर को पेस के साथ मूवमेंट भी मिलने लगती है और जब हलकी हलकी हवा चलती है तो गेंदबाज़ को भरपूर स्विंग भी मिलती है इसलिए इसे बोलिंग विकेट भी कहा जाता है।

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भारत में इस तरह की विकेट ना के बराबर है मात्र मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में थोड़ी बहुत तेज़ विकेट है जिसपे घास भी देखने को कई बार मिल जाती है जिससे गेंदबाज़ों को थोड़ी मदद भी मिलती है पर वह भी बल्लेबाज़ी पिच मानी जाती है। सही मायनों में ओरिजनल घास वाली विकेट विदेशों में मिलती है इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड ऐसी विकेट बनाने में मशहूर हैं ऑस्ट्रेलिया की पर्थ की विकेट सबसे घातक विकेट में गिनी जाती है क्योंकि यहाँ गेंदबाज़ को एक्स्ट्रा पेस के साथ सामान्य से अधिक उछाल मिलता है।

फ्लैट विकेट – यह बिलकुल सामान्य विकेट होता है भारत में इस तरह की विकेट की भरमार है। इस विकेट में बल्लेबाज़ी करने में काफी आसानी होती है यहाँ गेंदबाज़ की काफी पिटाई होती है। इस तरह की विकेट पर गेंद बल्ले पर आसानी से आती है। आजकल जो आई पी एल चल रहे हैं वह पाटा विकेट पर ही हो रहे हैं। इस तरह की विकेट में न तो फास्ट बॉलर को मदद मिलती है ना ही स्पिनर को पर टेस्ट मैच में चौथे दिन से स्पिनर को ऐसी विकेट में मदद मिलने लगती है।

इनके आलावा कुछ विकेट ऐसी होती हैं जिसमे स्पिन गेंद बाज़ को अच्छी मदद मिलती है उसे सूखा विकेट भी कहते हैं जिसपे जल्द ही दरारें उभर जाती हैं और मिटटी भी टूटने लगती है जिससे स्पिनर की गेंद अधिक टर्न लेने लगती है। इसके आलावा कुछ विकेट ऐसे भी होते हैं जहाँ गेंद रुककर और फंस कर आती है जिसपे बल्लेबाज़ी करनी मुश्किल हो जाती है ऐसे विकेट पे बॉल को टाइम करना काफी मुश्किल हो जाता है यह विकेट गीला विकेट कहलाता है ऐसा विकेट के पिच की मिटटी में अंदर से ही नमी ज़्यादा होती है लगभग ऐसी ही पिच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की है यह पिच गेंदबाज़ों को ज़्यादा सपोर्ट करती है।

अन इवन विकेट – इस विकेट पर गेंद का कुछ पता नहीं चलता यहाँ कुछ गेंद तो सामान्य उछलती हैं पर कुछ गेंद अधिक तो कुछ गेंद बेहद कम उछलती हैं और जब गेंद शॉट पिच हो और एक बार उछले तथा अगली बार ना उछले ऐसे में बल्लेबाज़ के लिए काफी चुनौती खड़ी हो जाती है। यदि पिच कुछ ज़्यादा ही खतरनाक हो गई तो अंपायर मैच रोक भी सकते हैं भारत और श्रीलंका का एक मैच ऐसे ही गलत उछाल के कारन रोकना पड़ा था तब सौरव गांगुली भारत के कप्तान थे बाद में दर्शकों के लिए टेनिस बॉल से छोटा से फ्रेंडली मैच खेला गया था।

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