यदि आप भी उत्तराखंड में रहते हैं और क्रिकेट खेलना चाहते हैं तो कुछ जटिलताएं आपने जरूर देखी होंगी और हो सकता है कुछ देखने वाले होंगे। उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को यह पता है या नहीं यह तो वही जानें लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में खुलेआम टैलेंट को बर्बाद किया जा रहा है। इस पोस्ट में ओपन ऐज कैटेगरी में युवाओं को ट्रायल से बाहर करने के अटपटे नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
फास्ट फारवर्ड – यदि आप बेरोजगार हो, आपके पास दुकान नहीं है, सैलरी स्लिप नहीं है तो आप ओपन ऐज कैटेगरी ट्रायल से बाहर, हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन के अटपटे नियम। ये आधार कार्ड से आपकी नागरिकता को नहीं पहचान पाते हैं।
युवा के टैलेंट को उसी की आंखों के सामने सूली पर टांगा जा रहा है और वह कुछ नहीं कर पा रहा है।
Table of Contents
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन की गलती से टैलेंट हो रहा बर्बाद
पहला सितम उन लोगों पर ढाया जा रहा है जो क्लब नहीं खेलते हैं और केवल उन लोगों को ट्रायल देने का मौका मिल रहा है जो किसी क्लब में खेलते हैं। दूसरा सितम ओपन कैटेगरी वालों पर ढाया जा रहा है। क्लब ना खेलने वालों के बारे में मैं लिख चुका हूं और उस विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए “उत्तराखंड हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन की मनमानी” यह पोस्ट पढ़ें। आज हम बात करेंगे हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा ओपन एस कैटेगरी वालों को ट्रायल से बाहर करने के अटपटे नियमों बारे में विस्तार से।
ओपन ऐज कैटेगरी में युवाओं को ट्रायल से बाहर करने के अटपटे नियम
जिन लोगों की उम्र हो चुकी है लेकिन वे क्रिकेट ट्रायल देना चाहते हैं ऐसे लोगों के लिए विशेष ओपन ऐज कैटेगरी बनाई है। ताकि इन लोगों को अपने आप को साबित करने का एक और मौका मिल सके। कुछ लोग पारिवारिक मजबूरी के कारण समय पर क्रिकेट नहीं खेल पाते हैं और जॉब करने पर मजबूर हो जाते हैं। कुछ लोग ट्रायल मिस कर जाते हैं और उम्र क्रॉस हो जाती है। इन समस्याओं को देखते हुए बीसीसीआई ने बहुत ही अच्छा कार्य किया था जिसके तहत यह लोग ओपन ऐज कैटेगरी ट्रायल दे सकते हैं।
किंतु उत्तराखंड के अटपटे नियमों ने इन लोगों को परेशान करके रख दिया है। खास तौर पर हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन बिना सर पैर की बातें और नियम लागू करता है। इनके अनुसार ओपन ऐज कैटेगरी वालों के पास 1 साल की जॉब का सैलरी स्लिप होना आवश्यक है वह भी केवल उत्तराखंड राज्य का। एसोसिएशन कहता है जिनके पास जॉब नहीं उनकी खुद की शॉप हो वह भी उनके नाम पर होनी जरूरी है उनके पेरेंट्स या किसी रिश्तेदार के नाम पर नहीं।
यह पढ़ें – बीसीसीआई क्रिकेट रजिस्ट्रेशन फॉर्म डाउनलोड करना नामुमकिन
सवाल यह उठता है की उन लोगों का क्या जो बेरोजगार हैं, छोटे व्यापारी हैं जिनकी कोई दुकान नहीं है, किसान है या कोई छोटा मजदूर वर्ग का व्यक्ति है जिसे कैश सैलरी मिलती है। उन लोगों का क्या जो बाहर दिल्ली, मुंबई में जॉब कर रहे थे लेकिन क्रिकेट ट्रायल अपने जिले से देना चाहते हैं। उन लोगों का क्या जो आर्मी, नेवी तथा एयरफोर्स बैकग्राउंड से बिलॉन्ग करते हैं और अपने पेरेंट्स के साथ किसी और राज्य में रह रहे थे तथा कुछ समय पहले ही उत्तराखंड लौटे हैं।
क्या इन लोगों के लिए कोई नियम है कम से कम हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन के पास तो इसका कोई जवाब नहीं है। यह एसोसिएशन गलती पर गलती कर रहा है और टैलेंट को लगातार मार रहा है पर इनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है और ना ही बीसीसीआई को इस बात की सुध है।
होना तो यह चाहिए था कि इनकी नागरिकता चेक करने के लिए इनके आधार कार्ड को चेक किया जाना चाहिए था। ज्यादा से ज्यादा इनके घर का एड्रेस देखना चाहिए कि वे इस जिले में रहते भी है या नहीं। पर भारत सरकार के आधार कार्ड को यह लोग कुछ नहीं समझते हैं इसलिए नागरिकता चेक करने के लिए इन्हें सैलरी स्लिप की जरूरत होती है। सबको बहुत अच्छी तरह पता है भारत में बेरोजगारी का आलम काफी ज्यादा है और अधिकतर युवा जॉब छोड़ते और पकड़ते रहते हैं ऐसे में उनके पास सैलरी स्लिप कहां से आएगी।
बेरोजगार होना कोई गुनाह तो नहीं जो बेरोजगार है इसका यह मतलब तो नहीं कीअच्छे खिलाड़ी भी नहीं होंगे, उनसे ट्रायल देने का मौका क्यों छीना जा रहा है। वैसे भी कोई अपनी मर्जी से बेरोजगार नहीं बैठता बस उसका वक्त सही नहीं चल रहा होता है इसलिए उस समय चीजें बन नहीं पाती है पर ऐसा हमेशा के लिए नहीं होता है।
मैं हैरान हूं इस तरह के नियम से! एक तो युवा बड़ी मुश्किल से खुद को समेट कर उम्र हो जाने के बाद भी ट्रायल देने की हिम्मत जुटा पाता है और ऐसे में यह एसोसिएशन उटपटांग नियम से उसे बाहर कर देते हैं।
जरूरत है उन युवाओं के दृष्टिकोण से देखने की वह किस तरह की मानसिक स्थिति से जूझ रहे हैं और खुद को सिर्फ एक मौका देना चाहते हैं उनसे वह मौका मत छीनो।
मेरी बीसीसीआई से दरख्वास्त है कि इन मुद्दों पर कृपया करके जल्द से जल्द विचार करें। यदि कोई बीसीसीआई से संबंधित व्यक्ति यह पोस्ट पढ़ रहा है तो मेरा उस व्यक्ति से निवेदन है कि इस ब्लॉग पोस्ट को बीसीसीआई तक जरूर पहुंचाएं ताकि वह इस तरह के एसोसिएशन की मनमानी पर नकेल कस सकें।
मेरा युवाओं से भी निवेदन है कि इस समस्या को समझते हुए इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
यह भी पढ़ें
भारतीय डोमेस्टिक क्रिकेट कैसे खेले
बीसीसीआई क्रिकेट ट्रायल रजिस्ट्रेशन फॉर्म कहां मिलेंगे