कबड्डी खेल के नियम तथा इतिहास ये नियम है खास

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कबड्डी का इतिहास 4000 वर्ष पुराना है, यह भारत का पारंपरिक और दुनिया का सबसे पुराना खेल है। इस लेख के द्वारा आप कबड्डी के नियम तथा इतिहास के बारे में जान पाएंगे।

कबड्डी तेजी, आक्रामकता, ताकत, और टेक्निक का खेल है जिसमें रेडर और कैचर की अहम भूमिका होती है।

यह मुमकिन है कि हमारे बड़े बुजुर्गों ने क्रिकेट ना खेला हो किंतु कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसे बच्चे, युवा तथा बड़े बुजुर्गों सभी ने कभी ना कभी खेला है क्योंकि यह पारंपरिक और सबसे पुराना खेल है जिसकी उम्र 4000 वर्ष पुरानी है। मैंने भी अपने स्कूल में खेल की शुरुआत कबड्डी से ही की थी क्रिकेट तो बाद में खेलना सीखा और हम देखते हैं अक्सर बच्चे खेल की शुरुआत खो-खो और कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों से ही करते हैं। 

2014 में प्रो कबड्डी की शुरुआत हुई जिससे इस खेल की लोकप्रियता विश्व भर में फैली और आज यह खेल घर-घर में प्रसिद्ध है। जो लोग कबड्डी खेलना नहीं जानते हैं आज उन्हें में कबड्डी के नियमों तथा इस खेल को कैसे खेला जाता है यह बता रहा हूं। शुरुआत करते हैं कबड्डी के इतिहास से जो नीचे वाले पैराग्राफ में दिया गया है। 

Table of Contents

कबड्डी खेल के नियम तथा इतिहास संपूर्ण जानकारी

कबड्डी का इतिहास

कबड्डी भारतीय खेल है और इसका इतिहास उस समय से है जब मनुष्य जंगली जानवरों के घेराव में अपनी सुरक्षा करने के लिए समूह में रहना सीख रहा था। उस समय मानव सामूहिक रूप से अपने ऊपर हमला करने वाले जानवरों पर प्रहार करना सीख रहा था। इस प्रकार मानव ने बचाव और प्रहार के तरीके ढूंढे और इसी बचाव और प्रहार से कबड्डी का जन्म भारत में हुआ। महाराष्ट्र के सतारा जिले के लोगों ने इसे विकसित तथा सुनियोजित करने का प्रयत्न किया। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में कबड्डी खेल के नियम दक्कन जिमखाना द्वारा बनाए गए थे।

हिंदू विजय जिमखाना बड़ौदा ने सन 1923 में कबड्डी खेल के नियमों को छपवाया था और उसी साल बड़ौदा में अखिल भारतीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। 1934 में अखिल महाराष्ट्र राज्य परिषद द्वारा खेल कबड्डी के नियमों को संशोधित किया गया था। इस खेल की 3 शैलियां थी संजीवनी, गामिनी और अमर। पहले कबड्डी के कोई नियम नहीं थे इसलिए यह भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता था और उन राज्यों में अभी भी यह खेल उन्हीं नामों से लोकप्रिय है। 

11वे ओलंपिक यानी 1936 बर्लिन ओलंपिक में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया इस तरह इस खेल को पहली बार ओलंपिक खेलों में शामिल होने का मौका मिला। उसके बाद 1982 के नई दिल्ली एशियाई खेलों में इस पारंपरिक खेल को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया। इस खेल को मेडल खेल में अपनी जगह बनाने में कई वर्ष लग गए और आखिरकार 1990 में कबड्डी को मेडल गेम में स्थाई रूप से स्थान प्राप्त हुआ। 2022 एशियाई खेलों में कबड्डी मुख्य खेलों में शामिल रहा। 

यह पढ़ेंकबड्डी प्रश्न उत्तर

कबड्डी खेल कैसे खेला जाता है नियम तथा खेलने का तरीका

कबड्डी खेलने का सही तरीका जानने के लिए आपको इस खेल के सभी नियमों से अवगत होना चाहिए और प्रतिदिन अभ्यास भी आवश्यक है। कबड्डी में खिलाड़ियों की संख्या एक टीम में 12 खिलाड़ी होती है जबकि एक समय में खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या प्रति टीम 7-7 होती है, बाकी 5-5 खिलाड़ी रिजर्व होते हैं। रिजर्व खिलाड़ियों को मैच के दौरान कभी भी मैदान में उतारा जा सकता है। लॉबी प्रत्येक पाले के दोनों और होती है। कबड्डी खेल एक छोटे से मैदान पर खेला जाता है जिसमें मिट्टी बिछी होती है, यह सुनिश्चित किया जाता है कि मैदान समतल हो तथा उसमें पत्थर व अन्य चुभने वाली चीजें ना हो। आधुनिक कबड्डी जैसे प्रो कबड्डी मैच मिट्टी की बजाय हरे या नीले रंग की मखमली मैट पर होता है।

कबड्डी कोर्ट का माप पुरुषों के लिए अलग होता है और महिलाओं के लिए अलग होता है। महासंघ के अनुसार कबड्डी कोर्ट का माप 13 x 10 मीटर पुरुषों के लिए होता है तथा 12 x 8 मीटर महिलाओं के लिए होता है। कोर्ट दो भागों में विभाजित होता है इन दोनों भागों को सेंटर लाइन के द्वारा विभाजित किया जाता है, जिसे मार्चिंग लाइन भी कहा जाता है। इन दोनों भागों को पाला कहा जाता है और प्रत्येक पाले में दोनों टीमों के 7-7 खिलाड़ी पोजीशन लेते हैं। 

पुरुष मैच की अवधि 20-5-20 यानी 20 मिनट खेल 5 मिनट ब्रेक फिर 20 मिनट खेल होता है जबकि महिला मैच की अवधि 15-5-15 यानी 15 मिनट खेल 5 मिनट ब्रेक फिर 15 मिनट खेल होता है। 5 मिनट के ब्रेक में अक्सर दोनों टीमों का आपस में पाला चेंज होता है। दोनों पालों में मध्य रेखा यानी सेंट्रल लाइन के बाद बक लाइन तथा बोनस लाइन होती है। किसी एक पाले के 7 खिलाड़ियों में से एक खिलाड़ी सेंटर लाइन को क्रॉस करते हुए दूसरे पाले में जाता है उस खिलाड़ी को रेडर कहते हैं। दूसरे पाले के सातों खिलाड़ी रेडर को पकड़ने की कोशिश करते हैं उन्हें एंटी कहते हैं। और जब एंटी खिलाड़ी रेडर को दबोच लेते हैं तथा रेडर सेंटर लाइन को छूने में नाकामयाब होता है और उसकी सांस उखड़ जाती है तो उसे आउट माना जाता है। रेडर को कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए दूसरे पाले में जाना होता है जहां उसे बक लाइन को टच कर वापस आना अनिवार्य है यदि रेडर ऐसा नहीं करता और बिना बक लाइन को छुए वापस आता है तो वह आउट माना जाता है। हालांकि बोनस लाइन को छूना अनिवार्य नहीं है लेकिन जब रेडर बोनस लाइन को टच कर वापस आने में कामयाब होता है तो रेडर की टीम को बोनस अंक मिलता है। 

किसी भी खेल की प्रोफेशनल लेवल पर तैयारी करने के लिए हमारे पास कुछ जरूरी साजो सामान जरूर होने चाहिए जैसे अच्छी क्वालिटी के जूते और आसानी से ना फटने वाली टीशर्ट। अच्छे जूते और टीशर्ट डिस्काउंट रेट पर प्यूमा से आप ले सकते हैं।

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कबड्डी मैदान की लंबाई और चौड़ाई  

कबड्डी मैदान का माप आयात कार होता है और यह पुरुषों के लिए अलग तथा महिलाओं के लिए अलग होता है। यह मैदान पुरुषों के लिए 13 x 10 मीटर होता है यानी 13 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा। जबकि महिलाओं के लिए 12 x 8 मीटर होता है यानी 12 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा। मैदान को दोनों तरफ से समान भाग में बांटति हुई रेखा को सेंटर लाइन कहते हैं। सेंट्रल लाइन कबड्डी के मैदान को दो पालों में बांटती है और इन दोनों पालों में दोनों प्रतिद्वंदी टीम के खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक पाले में सेंटर लाइन के बाद 2 लाइनें और होती है जिन्हें बक लाइन तथा बोनस लाइन कहा जाता है। मार्चिंग लाइन से आगे बढ़ने पर पहले बक लाइन आती है और उसके बाद बोनस लाइन आती है और अंत में एंड लाइन होता है जो पाले की बैक साइड बाउंड्री होती है।

पुरुषों के लिए मिडिल लाइन से बक लाइन की दूरी 3.75 मीटर होती है और महिलाओं के लिए बक लाइन की दूरी 3 मीटर होती है। पुरुष कबड्डी मैदान में सेंट्रल लाइन से बोनस लाइन की दूरी 4.75 मीटर होती है जबकि महिलाओं के लिए यह दूरी 4 मीटर होती है। पुरुषों के लिए सिटिंग ब्लॉक 8 मी x 1 मी तथा महिलाओं के लिए 6 मी x 1 मी होता है और यह ब्लॉक एंड लाइन से 2 मीटर की दूरी पर बनाया जाता है। पुरुष कबड्डी कोर्ट और महिला कबड्डी कोर्ट दोनों के लिए इस लाइन की मोटाई 5 सेंटीमीटर होती है। पुरुष लॉबी का मापदंड 13 मीटर x 1 मीटर तथा महिला लॉबी का मापदंड 12 मीटर x 1 मीटर होता है।

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पुरुषों के लिए कबड्डी मैदान की लंबाई और चौड़ाई  महिलाओं के लिए कबड्डी मैदान की लंबाई और चौड़ाई  
कबड्डी कोर्ट 13 x 10 मीटर होता है।
मिडिल लाइन से बक लाइन की दूरी 3.75 मीटर होती है।
सेंट्रल लाइन से बोनस लाइन की दूरी 4.75 मीटर होती है।
सिटिंग ब्लॉक 8 मी x 1 मी होता है और यह ब्लॉक एंड लाइन से 2 मीटर की दूरी पर बनाया जाता है।
लाइन की मोटाई 5 सेंटीमीटर होती है।
लॉबी का मापदंड 13 मीटर x 1 मीटर होता है।
कोर्ट 12 x 8 मीटर होता है।
मिडिल लाइन से बक लाइन की दूरी 3 मीटर होती है।
बोनस लाइन की दूरी 4 मीटर होती है।
सिटिंग ब्लॉक 6 मी x 1 मी होता है।
लाइन की मोटाई 5 सेंटीमीटर होती है।
लॉबी का मापदंड 12 मीटर x 1 मीटर होता है।

कबड्डी के अन्य नाम

कबड्डी भारत में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है इन नामों की सूची जगहों के अनुसार नीचे दी गई है।

उत्तर भारत में कबड्डी, तमिलनाडु तथा मैसूर में चुडडू-चुडडू, केरल में वाचकता, बांग्ला में हे- डु- डु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा गुजरात में हु तू तू तू।

अन्य देशों में – पाकिस्तान में कबड्डी, श्रीलंका में गु-डु, इंडोनेशिया में चब, नेपाल में डो-डो तथा बांग्लादेश में हू-डू-डू।

कबड्डी खेल में महत्वपूर्ण

खिलाड़ी – एक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं  जिसमें 7 खिलाड़ी खेल के मैदान के अंदर 5 खिलाड़ी रिजर्व होते हैं। रिजर्व खिलाड़ियों को किसी खेलते हुए खिलाड़ी के चोटिल होने या बुरा प्रदर्शन करने पर प्लेइंग 7 में शामिल किया जाता है। कई बार स्ट्रेटजी के तहत किन्ही 1-2 खिलाड़ी को  रिजर्व रखा जाता है और हाफ टाइम के बाद उन्हें मैदान में उतारा जाता है।

कांट –  एक प्रकार की खास बोली बिना तोड़े बोली जाती है जैसे कबड्डी-कबड्डी निरंतरता में बोला जाता है।

एंटी  – रेडर जिस कोर्ट में रेड करता है उस कोर्ट के सभी खिलाड़ियों को एंटी कहते हैं।  

रेडर – एक खिलाड़ी जब विपक्षी पाले में अंक हासिल करने जाता है तो उसे रेडर कहा जाता है।

सुपर टैकल – यदि एंटी टीम में 7 में से 3 खिलाड़ी या 3 खिलाड़ियों से कम खिलाड़ी बचे हो और वे रेडर को अपने पाले में पकड़ लेते हैं तो उन्हें एक अतिरिक्त अंक सुपर टैकल के रूप में मिलता है। 

डू एंड आई – जब किसी टीम के 2 रेड खाली चले जाते हैं तो डू एंड डाई का नियम लागू हो जाता है और उन्हें तीसरे रेड में अंक हासिल करना ही होता है वरना रेडर सुरक्षित अपने पाले में वापस लौटने पर भी आउट माना जाता है।

लोना – जब रेडर अपने विपरीत टीम के आखिरी खिलाड़ी को आउट करता है तो लोना के रूप में 2 अतिरिक्त अंक प्राप्त कर लेता है इस प्रकार आखरी बचे हुए एक या दो खिलाड़ियों के एक या दो अंक तो उसे मिलते ही हैं प्लस 2 अतिरिक्त लोना के अंक रेडर की टीम को हासिल होते हैं।

बोनस प्वाइंट – सेंटर लाइन से 4.75 मीटर पर बोनस लाइन होती है और जब रेडर रेड डालते वक्त बोनस लाइन को पूर्ण रूप से पार कर लेता है तो उसे एक अतिरिक्त अंक बोनस के रूप में मिलता है जिसे बोनस प्वाइंट कहा जाता है। किंतु बोनस प्वाइंट हासिल करने के लिए विपरीत टीम में कम से कम 6 खिलाड़ियों का होना अनिवार्य है।

टाइम आउट – यह एक प्रकार का शॉर्ट ब्रेक होता है जिसमें टीमें तेजी से रणनीति बदलती है और कई बार रिजर्व खिलाड़ी को टीम में शामिल करती हैं। एक टीम एक हाफ में 30-30 सेकंड के दो टाइम आउट ले सकती है। हालांकि निर्णायक चाहे तो टेक्निकल टाइमआउट कभी भी किसी भी हाफ में कितनी भी बार और कितनी भी अवधि के लिए ले सकता है।

मैच टाई – मैच टाई होने की स्थिति में दोनों टीमों को 5-5 रेड डालने का मौका मिलता है। इस स्थिति में  बकलाइन को ही बोनस लाइन मान लिया जाता है और पहली रेड डालने का मौका उस टीम को मिलता है जिसने मैच शुरू होने पर पहली रेड डाली थी। यदि इसके बाद भी मैच टाई हो जाता है तो फिर सिक्के को जय और वीरू की तरह टॉस के लिए उछाला जाता है और उसके बाद गोल्डन रेड डाली जाती है। गोल्डन रेड में यदि रेडर एंटी टीम से 1 अंक लेकर आता है तो रेडर टीम विजय घोषित होती है और यदि एंटी टीम ने रेडर को पकड़ लिया तो एंटी टीम वह मैच जीत जाती है।

लॉबी – कबड्डी में लॉबी का प्रयोग स्ट्रेगल के बाद किया जा सकता है और महत्वपूर्ण बात यह है कि स्ट्रेगल के बाद लॉबी कोर्ट में काउंट होती है।

कार्ड सिस्टम – इस खेल में तीन प्रकार के कार्ड होते हैं हरा, पीला तथा लाल कार्ड। हरा कार्ड चेतावनी के रूप में दिखाया जाता है, पीला कार्ड दिखाने पर खिलाड़ी को 2 मिनट के लिए चलते हुए मैच से बाहर कर दिया जाता है और कोई दूसरा खिलाड़ी उसकी जगह अंदर नहीं आ सकता है। लाल कार्ड दिखाने पर खिलाड़ी को मैच से या पूरे टूर्नामेंट से ही बाहर कर दिया जाता है।

खिलाड़ी बदलने की प्रक्रिया –  इस प्रक्रिया में रोलिंग सब्सीट्यूशन होता है। एक बार में 5 से 7 खिलाड़ी बदले जा सकते हैं तथा एक खिलाड़ी कितनी भी बार प्लेइंग सेवन से अंदर या बाहर हो सकता है।

निर्णायक की संख्या – कबड्डी मैच संचालकों की संख्या निम्नलिखित है 1 रेफरी, 2 अंपायर, 1 स्कोरर, 2 लाइनमैन तथा 1 टाइम कीपर। 

महत्वपूर्ण बिंदु 

कबड्डी जन्मदाता – भारत।

विश्व की प्रथम प्रतियोगिता – 1987 कोलकाता, सैफ गेम्स।

भारत के प्रथम प्रतियोगिता – 1918 सतारा, महाराष्ट्र।

विश्व कबड्डी संघ की स्थापना – इंटरनेशनल कबड्डी ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना 2004 में मुंबई में हुई।

कबड्डी के प्रेसिडेंट का नाम – जनार्दन गहलोत भारत।

हेड क्वार्टर – जयपुर, राजस्थान, भारत।

भारतीय कबड्डी संघ की स्थापना – स्थापना 1950 में हुई थी।

कबड्डी प्रश्न उत्तर

कबड्डी में कितने खिलाड़ी होते हैं?

एक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं  जिसमें 7 खिलाड़ी खेल के मैदान के अंदर खिलते हैं तथा 5 खिलाड़ी रिजर्व होते हैं।

कबड्डी मैदान की लंबाई चौड़ाई कितनी होती है?

महिलाओं और पुरुषों के लिए कबड्डी मैदान का मापदंड अलग अलग होता है।
पुरुषों के लिए कबड्डी कोर्ट का मापदंड 13 x 10 मीटर होता है।
महिलाओं के लिए 12 x 8 मीटर होता है।

क्या कबड्डी मैदान की लंबाई चौड़ाई पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग अलग होती है?

जी हां, पुरुषों के लिए कबड्डी मैदान का मापदंड 13 x 10 मीटर होता है और महिलाओं के लिए 12 x 8 मीटर होता है।

पुरुष कबड्डी मैदान की लंबाई चौड़ाई कितनी होती है?

पुरुष कबड्डी कोर्ट 13 x 10 मीटर होता है।

महिला कबड्डी मैदान की लंबाई चौड़ाई कितनी होती है?

महिलाओं के लिए – 12 x 8 मीटर होता है।

कबड्डी खेल की शुरुआत कब हुई थी?

भारत में कबड्डी की प्रथम प्रतियोगिता 1918 सातारा महाराष्ट्र में हुई थी। जबकि 1936, 11वे ओलंपिक (बर्लिन) में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था।

कबड्डी में रेडर क्या होता है?

विपक्षी पाले में अंक हासिल करने मकसद से रेड डालने वाले खिलाड़ी को रेडर कहा जाता है। रेडर एंटी टीम के पाले में जाता है और उनमें से किसी को छूकर तेजी से वापस आता है या फिर बोनस अंक हासिल करने की कोशिश करता है।

कबड्डी खेल में लोना क्या होता है?

जब रेडर  विपक्षी टीम के आखिरी खिलाड़ी को आउट करता है तो लोना के रूप में दो अतिरिक्त अंक प्राप्त करता है।

कबड्डी खेल में द्रोणाचार्य पुरस्कार जीतने वाले 3 खिलाड़ियों के नाम बताइए?

2002 – ईश्वर प्रसाद राव।  
2012 – सुनील डबास।   
2017 – हीरानंद कटारिया। 

कबड्डी के नियम किसने बनाए हैं?

बीसवीं शताब्दी में दक्कन जिमखाना द्वारा कबड्डी खेल के नियम बनाए गए थे 1923 में हिंदी विजय जिमखाना बड़ौदा द्वारा नियमों को छपावाया गया था तथा 1934 में अखिल महाराष्ट्र शारीरिक परिषद द्वारा नियमों में संशोधन किया गया था।

क्या कबड्डी में धक्का देने की अनुमति है?

जी नहीं, जानबूझकर धक्का देने की अनुमति नहीं है। किंतु यह खेल ऐसा है जिसमें खींचतान होती है और रेफरी यह देखता है कि कहीं कोई खिलाड़ी जानबूझकर किसी खिलाड़ी को आई कांटेक्ट से डरा रहा है या जानबूझकर उसे मारने की कोशिश कर रहा है ऐसे खिलाड़ी को रेफरी निलंबित कर सकता है।

कबड्डी खेल का जन्मदाता किसे कहा जाता है

भारत देश। 

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