खो खो कैसे खेलते हैं नियम तथा तरीका

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खो खो एक लोकप्रिय भारतीय खेल है जो खास तौर पर स्कूलों में विद्यार्थियों द्वारा बड़े चाव से खेला जाता है। इसे खेलना भी बड़ा आसान होता है और साधन के नाम पर इसमें मात्र 2 खंभों की आवश्यकता होती है जो मैदान के दोनों छोर पर लगे होते हैं। स्कूलों में खंभों की जगह कोन लगा दिए जाते हैं जिससे मैदान तैयार करना और भी आसान हो जाता है। 

फास्ट फारवर्ड – खो खो खेलने का तरीका, एक टीम में खिलाड़ियों की संख्या 9, खेल की अवधि 36 मिनट, अधिकारि – 2 अंपायर, 1 रेफरी, 1 टाइम कीपर, 1 स्कोरर।

यह जोश से भरा स्वदेशी खेल है जिसमें अच्छी एनर्जी, स्टैमिना, फूर्ति, कौशल तथा तंदुरुस्ती की आवश्यकता पड़ती है इसलिए यह खेल युवाओं में खास लोकप्रिय है। 

खो खो कैसे खेलते हैं नियम तथा तरीका

प्रत्येक टीम में खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या 9-9 होती है तथा 3-3 खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं जो रिजर्व में बैठते हैं। एक मैच में कुल 4 परियां होती हैं जिसमें से 2 पारियां दौड़ने तथा 2 पारियां छूने की होती हैं। खो-खो के नियम अनुसार इन चारों पारियों का समय तय होता है और हर पारी में 9 मिनट फिक्स होते हैं। अर्थात 9-9 मिनट छूने और 9-9 मिनट दौड़ने की परियां होती हैं। इसका मतलब स्पष्ट है एक टीम को दो बार दौड़ने का मौका मिलता है तथा दो बार दौड़ रहे खिलाड़ियों को छू कर आउट करना होता है। 

टॉस के बाद एक टीम क्रम से बैठती है तथा दूसरी टीम के कुछ खिलाड़ी दौड़ने के लिए तैयार रहते हैं। बैठने वाली टीम के 8 खिलाड़ी लाइन से दोनों खंभों के बीच अपने पंजों पर मुस्तैदी से बैठते हैं जबकि नोवा खिलाड़ी धावकों को पकड़ने हेतु खंबे के पास तैयार खड़ा होता है। पकड़ने वाली टीम के खिलाड़ी पंजों पर मुस्तैदी से बैठते हैं ताकि खो मिलने पर जल्दी से उठ कर दौड़ सकें। चेजर टीम के हर खिलाड़ी का मुंह अपने बगल वाले खिलाड़ी से विपरीत दिशा में होता है और खेल की शुरुआत में एक खिलाड़ी खंबे के पीछे खड़ा होता है तथा दौड़ने वाली टीम के कुछ खिलाड़ी दूसरे छोर के खंबे के निकट खड़े होते हैं। 

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अब रेफरी व्हिसल बजाता है और खेल शुरू हो जाता है। पकड़ने वाली टीम का खिलाड़ी दौड़ने वाली टीम के खिलाड़ियों के पीछे दौड़ता है और उन्हें छू कर आउट करने की कोशिश करता है। इस कोशिश के दौरान पकड़ने वाला खिलाड़ी अपनी टीम के किसी अन्य खिलाड़ी को धीरे से टच कर खो देता है और खो मिलते ही वो खिलाड़ी तेजी से दौड़ने वाले खिलाड़ियों के पीछे दौड़ उन्हें छूकर आउट करने की कोशिश करता है। इसी प्रकार पकड़ने वाले खिलाड़ी अपनी टीम के बाकी खिलाड़ियों को खो देते हुए दौड़ने वाले खिलाड़ियों को आउट करने की कोशिश में लगे रहते हैं। खिलाड़ी अपनी टीम के उन सदस्यों को ही खो दे सकता है जिनका मुंह विपरीत दिशा में होता है, यानी वह उसकी पीठ को टच कर खो देता है। 

जैसे-जैसे दौड़ने वाले टीम के खिलाड़ी आउट होते रहते हैं वह बाहर निकलते रहते हैं और दूसरे खिलाड़ी अंदर आते रहते हैं। इस प्रकार यह पूरा खेल 36 मिनट तक चलता है और यह 36 मिनट 4 पारियों में डिवाइड होते हैं जिसमें प्रति पारी 9 मिनट की होती है। प्रोफेशनल लेवल पर खेले जाने पर इस खेल को 4 अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाता है जिसमें 2 अंपायर, 1 रेफरी, 1 टाइम कीपर तथा एक स्कोरर होता है। 

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खो खो मैदान मापदंड  

खो खो खेल का मैदान आयातकार यानी रैक्टेंगुलर होता है, यह 27 x 16 मीटर होता है और मैदान के अंत में दो मुक्त रैक्टेंगुलर क्षेत्र होते हैं। आयातकार की पहली भुजा 16 मीटर तथा दूसरी भुजा 1.50 मीटर होती है तथा इन दोनों आयातकारों के बीच में लकड़ी के दो स्तंभ होते हैं। जबकि केंद्रीय गली 24 मीटर लंबी तथा 30 सेंटीमीटर चौड़ी होती है।

खो खो में कितने खिलाड़ी होते हैं 9 या 12 

खो खो में मुख्य खिलाड़ियों की संख्या 9 होती है जबकि 3 अतिरिक्त होते हैं। मैदान के अंदर केवल 9 खिलाड़ी है एक टीम से खेलते हैं और इनमें से किसी के चोटिल हो जाने पर तीन अतिरिक्त खिलाड़ियों में से किसी खिलाड़ी को चुना जाता है। कप्तान अपनी रणनीति के हिसाब से 9 में से किसी भी खिलाड़ी को बिना चोट लगी भी बदलकर बैठे हुए 3 खिलाड़ियों में से किसी खिलाड़ी को टीम में शामिल कर सकता है।

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