खो खो खेल के नियम मैदान माप रनर चेज़र संख्या फाउल 

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खो-खो एक भारतीय स्वदेशी खेल है जिसे मैदान पर खेला जाता है और इसमें मात्र 2 खंभों की आवश्यकता होती है। यह खेल अधिकतर स्कूल के छात्रों द्वारा खेला जाता है, इस खेल को खेलने के लिए तंदुरुस्ती, कौशल, गति तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए यह खेल युवाओं में बेहद अधिक लोकप्रिय होता है।

खो खो खेल के नियम मैदान माप रनर चेज़र संख्या फाउल 

  1. प्रत्येक टीम में 9 खिलाड़ी तथा 3 रिजर्व खिलाड़ी होते हैं। 
  2. प्रत्येक मैच में 4 परियां होती हैं।  
  3. हर पारी 9 मिनट की होती है और खेल का समय 4 x 9 = 36 मिनट का होता है। 
  4. प्रत्येक टीम को एक बार चेजर बनने तथा एक बार रनर बनने का मौका मिलता है।
  5. खेलने के क्रमानुसार रनर स्कोरर के पास अपना नाम दर्ज कराएंगे। 
  6. पारी की शुरुआत में पहले 3 खिलाड़ी (रनर) मैदान के अंदर होंगे और इनके आउट होने के पश्चात अगले 3 खिलाड़ी मैदान के अंदर खो देने से पहले प्रवेश करेंगे वरना आउट माने जाएंगे। 
  7. अपनी बारी के बिना मैदान में प्रवेश होने वाले रनर को आउट माना जाएगा।
  8. तीसरे रनर के आउट होने पर सक्रिय धावक नए रनर के प्रविष्ट होने पर उसका पीछा नहीं करेगा और उसे आउट नहीं करेगा बल्कि अपने साथी को खो देगा। 
  9. दोनों टीमें रनर भेजते वक्त खेल के मैदान के एक हिस्से का हि इस्तेमाल करेंगे। 
  10. चेज़र तथा प्रत्येक रनर समय से पहले भी अपनी पारी का अंत कर सकते हैं। 
  11. केवल चेजर या रनर टीम के कप्तान के आग्रह पर ही अंपायर खेल रोककर पारी समाप्त की घोषणा कर सकते हैं। 
  12. एक पारी के बाद 5 मिनट का ब्रेक तथा दो पारियों के बाद 9 मिनट का ब्रेक होता है। 
  13. धावक द्वारा प्रत्येक रनर को आउट करने पर 1 अंक प्राप्त होता है।
  14. सभी रनर के समय से पहले यानी 9 मिनट से पहले आउट हो जाने पर उनके विरुद्ध चेज़र टीम को 1 लोना प्राप्त होता है। 
  15. लोना प्राप्त करने पर कोई अतिरिक्त अंक प्राप्त नहीं होता है और इसके पश्चात वह टीम उसी क्रम से अपने रनर भेजेगी।
  16. पारी का समय समाप्त होने तक खेल इसी ढंग से जारी रहेगा तथा पारी के दौरान रनर टीम के खिलाड़ियों के क्रम में बदलाव नहीं किया जा सकता। 
  17. नॉकआउट पद्धति के अनुसार मैच के अंत में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। अंक बराबर होने की स्थिति में एक और पारी खेली जाएगी। 
  18. लीग प्रणाली के अंतर्गत विजेता टीम को 2 अंक प्राप्त होते हैं, पराजित टीम को 0 अंक तथा बराबर रहने वाली टीमों को 1-1 अंक प्रदान किया जाता है। 
  19. लीग प्रणाली में लीग अंक बराबर होने की स्थिति में खो खो के नियम अनुसार टीम अथवा टीमें पर्ची द्वारा पुनः मैच खेलती हैं और ऐसे मैच नॉकआउट प्रणाली के आधार पर खेले जाते हैं।
  20. किसी कारणवश मैच पूरा ना होने की स्थिति में मैच किसी और समय खेला जाएगा और पिछले अंक नहीं  गिने जाएंगे अर्थात मैच शुरू से खेला जाएगा। 
  21. जब किसी एक टीम के अंक दूसरी टीम से 12 या उससे अधिक हो जाते हैं तो पहली टीम दूसरी टीम को धावक के रूप में पीछा करने का आग्रह कर सकते हैं। दूसरी टीम द्वारा अधिक अंक हासिल करने पर भी उसका धावक बनने का अधिकार बना रहता है।

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खो खो नियम 

खो खो रूल्स विस्तार से नीचे दिए गए हैं ध्यान से पढ़िए।

  • खो खो मैदान का आकार वर्णित अनुसार चिन्हित होना चाहिए। 
  • दौड़ने अथवा चेज़र बनने का निर्णय टॉस द्वारा किया जाए। 
  • एक टीम में 9 खिलाड़ी मैदान पर खेल सकते हैं।
  • पकड़ने वाली टीम के 8 खिलाड़ी एक पंक्ति में बैठेंगे और नवा खिलाड़ी पीछा करने के लिए स्तंभ के पास खड़ा होगा।
  • चेज़र टीम का एक खिलाड़ी जो रनर टीम के पीछे पकड़ने के लिए भागता है उसे सक्रिय धावक कहते हैं और अन्य बैठे हुए खिलाड़ियों को निष्क्रिय धावक कहते हैं।
  • चेज़र टीम के बैठे हुए खिलाड़ियों का मुंह अपने बगल वाले खिलाड़ी के विपरीत दिशा में होना चाहिए।
  • खिलाड़ी पंजों तथा एड़ी पर बैठेंगे। 
  • सक्रिय धावक के शरीर का कोई भी भाग केंद्रीय गली से टच नहीं करना चाहिए। 
  • सक्रिय धावक (चेज़र) स्तंभों में अंदर से केंद्रीय रेखा पार नहीं कर सकता। 
  • चेज़र अपने साथी के पीछे से समीप जाकर ऊंची और स्पष्ट आवाज में “खो” बोलेगा तभी दूसरा धावक उठकर दौड़ेगा।
  • चेज़र अपने साथी को केवल उसकी पीठ की दिशा से ही खो दे सकता है। 
  • यदि चेजर अपने साथी को मुंह की दिशा से खो देगा तो फाउल माना जाएगा। 
  • बैठा हुआ खिलाड़ी अपनी भुजा या टांगे फैलाकर या किसी इशारे से खो नहीं मांग सकता। 
  • बैठा हुआ धावक खिलाड़ी बिना खो प्राप्त किए उठ नहीं सकता। 
  • सक्रिय धावक दौड़ते वक्त पलट कर वापस नहीं तोड़ सकता उसे खंभे तक पहुंचना ही होगा या फिर अपने किसी साथी को खो पास देना होता है।
  • सक्रिय धावक बैठे हुए निष्क्रिय धावक के क्षेत्र से आगे निकल जाता है तो वह उस धावक को खो नहीं दे सकता।
  • नियम 4 5 6 का उल्लंघन फाउल होता है 

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  • रनर चेज़र को चकमा देकर उसे विपरीत दिशा में दौड़ने पर मजबूर करेगा और विपरीत दिशा में अगर वह आउट भी हो जाता है तो उसे आउट नहीं माना जाएगा। 
  • सक्रिय धावक खो देने के तुरंत बाद खो लेने वाले धावक के स्थान पर बैठ जाएगा और खो लेना और देना दोनों एक साथ होना चाहिए। 
  • खो लेने के पश्चात सक्रिय धावक का पहला कदम सेंट सेंटर लेन को छूता होता है तो वह फाउल नहीं माना जाएगा लेकिन उसका पैर केंद्र लेन को क्रॉस करे तो वह फाउल है।
  • दिशा लेने के पश्चात चेजर उर्फ सक्रिय धावक पुनः क्रॉस लाइन में आक्रमण कर सकता है जिसे फाउल नहीं माना जाता है। 
  • रनर टीम के पीछे दौड़ते वक्त सक्रिय धावक वह दिशा धारण करेगा जिस ओर उसका मुंह मुड़ा हो और कंधे की रेखा को मोड़ा था।
  • चेजर किसी एक स्तंभ से दिशा ग्रहण करने के पश्चात उसी दिशा में जाएगा जब तक कि वह अपनी टीम के किसी और खिलाड़ी को खो नहीं पास करेगा। 
  • सक्रिय धावक स्तंभ छोड़ने के पश्चात दूसरी दिशा में लगे हुए स्तंभ की ओर दौड़ेगा। 
  • सक्रिय धावक उर्फ चेजर का मुंह हमेशा आगे की ओर रहेगा वह अपना मुंह नहीं मोड़ेगा ना ही पलट कर दौड़ेगा। हालांकि वह केंद्र लेन के समांतर कंधा मोड़ सकता है। 
  • बैठे हुए निष्क्रिय धावकों के बैठने के तरीके से यदी रनर्स के मार्ग में रुकावट आती है तो आउट होने के बावजूद भी रनर को आउट नहीं माना जाएगा। 
  • दिशा ग्रहण करने वाले तथा मुंह मोड़ने वाले नियम आयातकार क्षेत्र में लागू नहीं होंगे। 
  • सक्रिय चेजर पारी के दौरान दिशा लेने और मुंह मोड़ने के नियम का पालन करते हुए सीमा से बाहर भी जा सकता है।
  • कोई भी रनर बैठे हुए निष्क्रिय धावक को खो खो नियम अनुसार छू नहीं सकता है, ऐसा करने पर उसे चेतावनी दी जाएगी और दोबारा छूने पर उसे आउट करा दिया जाएगा। 
  • रनर के दोनों पैर सीमा से बाहर जाने पर उसे आउट माना जाएगा। 
  • जब सक्रिय चेजर बिना किसी नियम को तोड़े रनर को छू लेता है तो रनर आउट माना जाएगा। 
  • सक्रिय धावक के द्वारा नियम 8 से 14 का उल्लंघन करने पर अंपायर द्वारा तुरंत ही उचित दिशा लेने और कार्य करने हेतु बाध्य किए जाते हैं। 
  • सक्रिय धावक द्वारा नियम 4 से 14 तक उल्लंघन करने पर फाउल माना जाएगा और कोई रनर इस दौरान आउट होता है तो उसे आउट नहीं माना जाएगा।  

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मैच अधिकारी

2 अंपायर, 1 रेफ्री, 1 टाइम कीपर तथा 1 स्कोरर होता है। 

अंपायर – लॉबी से बाहर खड़ा होता है और केंद्रीय गली द्वारा विभाजित अपने स्थान से खेल का आकलन करेगा। वह अपने अर्धक में सारे निर्णय लेगा तथा दूसरे अर्धक केअंपायर की सहायता भी कर सकता है।

रेफ्री – अंपायरों की सहायता करेगा और दोनों अंपायरों में मतभेद होने पर अपना फैसला सुनाएगा। खेल में बाधा पहुंचाने वाले खिलाड़ियों, असभ्य व्यवहार करने वाले खिलाड़ियों स्थान नियम उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों को दंड देता है। जब कोई असंतुष्ट होता है और नियमों पर प्रश्न उठाता है तो नियमों की व्याख्या संबंधित प्रश्न पर अपना निर्णय देता है।

टाइम कीपर – सीटी बजा कर पारी के आरंभ अंत का संकेत देता है और इसका मुख्य काम टाइम का रिकॉर्ड रखना होता है।

स्कोरर की भूमिका – खिलाड़ियों की निश्चित क्रम से मैदान में उतरने पर पैनी निगाह बनाता है। आउट हुए रनरों का रिकॉर्ड रखता है, प्रत्येक पारी के अंत में स्कोर शीट पर अंक दर्ज करते हुए उसे तैयार करता है, धावकों का स्कोर तैयार करता है। मैच के अंत में परिणाम तैयार करता है तथा रेफ्रि को सुनाने के लिए देता है।

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