क्रिकेट एक आउटडोर खेल है जिसे मैदान पर खेला जाता है। क्रिकेट खेलने के लिए मुख्य तौर पर बैट और बोल की आवश्यकता होती है। प्रोफेशनल क्रिकेट में खिलाड़ी को कंप्लीट किट पहनकर खेलना होता है। इस ब्लॉग में क्रिकेट पर निबंध विस्तार से दिया गया है जो कि लगभग 1500 हजार शब्द का है।
इस निबंध के द्वारा आप जानोगे की क्रिकेट कैसे खेला जाता है, खेल का प्रारूप, मानक, बल्लेबाज, गेंदबाज तथा अंपायर की भूमिका बताई गई है। इसकेअलावा घर के आस-पास लिमिटेड सामान के साथ क्रिकेट कैसे खेले तथा भारत के लिए क्रिकेट कैसे खेले यह भी बताया गया है।
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मेरा प्रिय खेल क्रिकेट पर निबंध 1500 शब्द
इस निबंध को पढ़ने के बाद आप निश्चित रूप से क्रिकेट खेलने का तरीका जान व समझ पाएंगे।
क्रिकेट मैदान पर खेला जाने वाला आउटडोर खेल है। क्रिकेट में खिलाड़ियों की संख्या प्रति टीम 11 होती है जो मैदान पर खेलते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 16 खिलाड़ियों का एक टीम में चयन होता है जिसमें से 11 खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं और अन्य खिलाड़ी रिजर्व में होते हैं जिन्हें जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
टॉस – मैदान में पिच के ऊपर दोनों टीमों के कप्तानों तथा अंपायरों की उपस्थितिमें टॉस होता है। टॉस करवाने की जिम्मेदारी अंपायर की होती है, अंपायर द्वारा सिक्का हवा में उछाला जाता है और दोनों कप्तानों में से कोई एक कप्तान हेड या टेल की कॉल करता है। यह पहले ही तय हो जाता है कि सिक्का उछलने के बाद कौन सा कप्तान हेड या टेल मांगेगा ताकि टॉस बिना बाधा के पूरा हो सके।
टॉस जीतने वाला कप्तान अपनी इच्छा अनुसार बल्लेबाजी या गेंदबाजी चुनता है। जो टीम गेंदबाजी करती है उसके सभी 11 खिलाड़ी मैदान में फील्डिंग करने उतरते हैं जबकि बल्लेबाजी टीम से केवल दो खिलाड़ी कंप्लीट क्रिकेट किट पहनकर मैदान में उतरते हैं। फील्डिंग करने उतरे खिलाड़ि लोवर-टीशर्ट, टोपी और जूते पहने हुए होते हैं जबकि दोनों बल्लेबाज हाथ में अपना पर्सनल बैट लिए सर पर हेलमेट, चेस्ट गार्ड, एल गार्ड, एल्बो गार्ड, थाई गार्ड, पैरों पर पैड्स व जूते पहने हुए होते हैं।
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फील्ड पोजीशन – क्षेत्ररक्षण कर रही टीम में एक विकेटकीपर होता है जो विकेट के पीछे खड़ा रहता है। स्टंप से विकेटकीपर की दूरी गेंद की गति पर निर्भर करती है। स्लो या स्पिन गेंदबाज पर वह विकेट के नजदीक खड़ा होता है जबकि तेज गेंदबाजी पर वह विकेट से 12-15 कम की दूरी पर खड़ा होता है। गेंदबाज दूसरे छोर के स्टंप के पीछे की ओर अपने रनअप एंड पर खड़ा होता है। कप्तान समेत बाकी 9 खिलाड़ी पूरे मैदान में फैले होते हैं, पहले पावर प्ले में पांच खिलाड़ी 30 गज के सर्कल के अंदर खड़े होते हैं।
कप्तान अपनी मर्जी से खिलाड़ियों को अलग-अलग पोजीशन में खड़ा करता है जैसे स्लिप, प्वाइंट्स, कवर्स, लॉन्ग ऑन, लौंग ऑफ, मिड विकेट, स्क्वायर लेग, शॉट मिड विकेट, एक्स्ट्रा कवर्स, फाइन लेग तथा थर्ड मैन इत्यादि।
बल्लेबाजों के मैदान में आने से पहले फील्डिंग टीम का कप्तान पूरे मैदान में फीलिंग सेट कर चुका होता है यदि वह देरी करता है तो टीम को जुर्माने के रूप में ओवर कटौती का सामना करना पड़ सकता है। बल्लेबाजों के मैदान में आने का समय भी निर्धारित होता है यदि एक बल्लेबाज के आउट होने पर दूसरा बल्लेबाज 3 मिनट के अंदर क्रिकेट पिच पर नहीं पहुंचता है तो उसे आउट माना जाता है।
अंपायर – क्रिकेट मैच दो अंपायरों के द्वारा संचालित किया जाता है और यह दोनों बारी-बारी मुख्य अंपायर तथा लेग अंपायर की भूमिका निभाते हैं और आपस में अपनी पोजीशन एक दूसरे से बदलते रहते हैं। मुख्य अंपायर गेंदबाजी छोर पर विकेट से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ा होता है जबकि लेग अंपायर बल्लेबाज के पीठ की दिशा में कुछ कदमों की दूरी पर खड़ा होता है। यदि लेफ्ट और राइट हैंड बैट्समैन एक साथ खेल रहे हैं तो लेग अंपायर हर बार बैट्समैन की पीठ की दिशा में खड़ा होने के लिए अपनी पोजीशन चेंज करता रहता है।
क्रिकेट प्रारूप – क्रिकेट के 3 प्रारूप होते हैं एकदिवसीय, टेस्ट मैच तथा टी20 और प्रत्येक प्रारूप के एक ओवर में गेंदबाज को 6 गेंद फेंकनी होती है। टेस्ट मैच अधिकतम 5 दिनों का होता है, जिसमें दो परियां होती हैं। दोनों टीमों को दो बार बल्लेबाजी एवं दो बार गेंदबाजी करने का मौका मिलता है। एक दिन में 90 ओवर फेके जा सकते हैं।
एक दिवसीय क्रिकेट 50-50 ओवर का होता है और जो एक दिन में खत्म हो जाता है जबकि टी20 क्रिकेट 20-20 ओवर का होता है और यह भी एक ही दिन में समाप्त हो जाता है।
खिलाड़ियों की संख्या – आमतौर पर एक टीम में 5 से 6 बल्लेबाज तथा चार से पांच गेंदबाज होते हैं इनकी संख्या उलट भी हो सकती है और यह निर्भर करता है की पिच गेंदबाजी के अनुकूल है या बल्लेबाजी के। कप्तान पिच को पढ़ने के बाद फैसला करता है कि वह कितने बल्लेबाज और कितने गेंदबाज खिलाएगा।
50 ओवर के मैच में एक गेंदबाज अधिकतम 10 ओवर डाल सकता है इसलिए कप्तान अक्सर 4 से 5 गेंदबाज अपनी टीम में रखता है। कप्तान की सहमति से गेंदबाज के अलावा अन्य खिलाड़ी भी मैच के दौरान गेंदबाजी कर सकते हैं। यहां तक की विकेटकीपर को बीच मैच में विकेट कीपिंग से हटाकर गेंदबाजी करने का मौका भी दिया जा सकता है।
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बल्लेबाजी तथा रन – रन बनाने के लिए बल्लेबाज को बल्ले से गेंद को टच करना होता है। बल्लेबाज बल्ले से गेंद को कनेक्ट कर 1 रन, 2 रन तथा 3 रन या उससे अधिक रन के लिए भी दौड़ सकता है। जब बल्लेबाज गेंद को अच्छे से कनेक्ट करता है और सीमा रेखा के बाहर पहुंचा देता है तो उसे 4 या 6 रनमिलते हैं। बल्ले से लगने के बाद मैदान पर टप्पा खाकर गेंद बहार जाने पर 4 रन तथा बिना मैदान को छुए गेंद सीधा सीमा रेखा के बाहर जाती है तो 6 रन मिलते हैं।
जब भी बल्लेबाज के बल्ले से छूकर गेंद दूर जाती है और रन बनाया जाता है तो यह रन बल्लेबाज तथा टीम दोनों के खाते में जुड़ता है जबकि बिना बल्ले को छुए शरीर पर गेंद लगने के बाद दौड़ने पर रन केवल टीम के हिस्से में जुड़ता है। व्हाइड गेंद, नो बॉल के अतिरिक्त एक रन टीम के हिस्से में जुड़ते हैं और यह गंदे गेंदबाज को दोबारा डालनी होती है। ओवर थ्रो होने पर टीम के हिस्से में रन जुड़ते हैं, यदि बल्लेबाज सिंगल के लिए दौड़ रहा था किंतु ओवरथ्रो हो गया और सीमा रेखा के बाहर गेंद चली गई तो बल्लेबाज तथा टीम दोनों के हिस्से में पांच रन जुड़ते हैं।
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गेंदबाजी तथा विकेट – एक गेंदबाज अपने एक ओवर में 6 गेंद डालता है और वह बल्लेबाज को अलग-अलग प्रकार से आउट करने की कोशिश करता है। गेंदबाज द्वारा डाली गई गेंद बल्लेबाज को चकमा देते हुए सीधा विकेट पर लगती है तो इसे क्लीन बोल्ड आउट माना जाता है। जब गेंद बल्लेबाज के बल्ले को बिना छुए ऑस्टिन की लाइन पर पिच खाते हुए सीधे विकेट पर लग रही होती है किंतु बीच में बल्लेबाज के पैड, या शरीर के किसी भी हिस्से पर लगती है तो ऐसे में गेंदबाज हाउ इस देट (एलबीडब्ल्यू) की अपील करता है और अंपायर की सहमति के बादबल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू आउट माना जाता है। एलबीडब्ल्यू का अर्थ लेग बिफोर विकेट होता है। जब बल्लेबाज गेंद हवा में उछलता है और वह किसी भी खिलाड़ी द्वारा कैच कर लिया जाता है तो उसे कैच आउट माना जाता है जबकि गेंदबाज द्वारा अपनी ही गेंद पर बल्लेबाज का कैच करने पर कॉट एंड बोल्ड आउट माना जाता है।
जीत हार का फैसला – पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम निर्धारित ओवरों में अधिकतम रन बनाकर दूसरी टीम को टारगेट देती है जिसे बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम द्वारा निर्धारित ओवरों में हासिल करना होता है। यदि पहले बल्लेबाजी करने वाले टीम ने 50 ओवर में 300 रन बनाए हैं और बाद में बल्लेबाजी करने वाले टीम ने उतना ही ओवर में 301 रन बनाए हैं तो बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम विजेता मानी जाएगी। यदि बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम के सारे खिलाड़ी मात्र 250 रन बनाकर आउट हो जाते हैं तो वह हारे हुए माने जाएंगे।
डोमेस्टिक क्रिकेट कैसे खेले
डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने के लिए सबसे पहले आपको जिला क्रिकेट ट्रायल देने होते हैं। यह ट्रायल प्रतिवर्ष होते हैं और उनकी डेट्स की जानकारी दैनिक जागरण तथा अमर उजाला जैसे विश्वसनीय अखबारों में छपते है। ट्रायल की डेट का पता चलने के बाद आपको अपने जिले के जिला क्रिकेट एसोसिएशन जाना होगा और वहां से फार्म प्राप्त कर उसे भरने के बाद दोबारा वही जमा करना होगा।
पूरे साल जिला क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद खिलाड़ियों का चयन स्टेट लेवल में होता है और स्टेट लेवल में निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट, जोन क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है। डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने के दौरान खिलाड़ी को भारत के लिए क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है। दुलीप ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, देवधर ट्रॉफी कुछ महत्वपूर्ण डोमेस्टिक क्रिकेट टूर्नामेंट है जिसमें अच्छा प्रदर्शन कर खिलाड़ियों को भारतीय टीम, अंडर-19 टीम तथा आईपीएल में खेलने का मौका मिलता है।
गली क्रिकेट कैसे खेले
घर पर, घर के पास तथा दोस्तों के साथ गली क्रिकेट खेलने के लिए अधिक सामान की आवश्यकता नहीं होती यहां तक की बैट खरीदने की आवश्यकता भी नहीं होती। बस आपको एक टेनिस गेंद खरीदनी होती है। किसी लंबे फट्टे को बल्ले के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, विकेट के रूप में चेयर या तीन लड़कियां लगाई जा सकती हैं।
यह क्रिकेट की शुरुआत होती है और सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली ने इस तरह से गली क्रिकेट कभी ना कभी अपनी जिंदगी में जरूर खेला होगा। गली क्रिकेट खेलने से कंसंट्रेशन बढ़ता है और फील्डिंग स्किल में भी सुधार होता है। सबसे बड़ी बात इसमें अधिक सामान की आवश्यकता नहीं होती आप अपने आसपास की चीजों को क्रिकेट किट किट के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं।
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