भारत का सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट है और इस खेल को लोकप्रिय बनाने में बहुत सारे खिलाड़ियों ने अपना जबरदस्त योगदान दिया है। आज के लेख में हमने कोशिश की है कि भारत के पहले वर्ल्ड कप जीतने से लेकर अब तक की कहानी को आपके सामने प्रस्तुत कर सके इसमें हमने कुछ खिलाड़ियों का ही जिक्र किया है इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं कि अन्य खिलाड़ियों ने क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने में अपना योगदान नहीं दिया। उम्मीद है आपको हमारी आप कोशिश अच्छी लगेगी इस लेख को अंत तक पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
क्रिकेट लोकप्रिय खेल पर निबंध
एक समय ऐसा था जब बाहर बाजारों में टीवी पर क्रिकेट चलने पर लोगों की भीड़ वहां जमा हो जाती थी। जब सचिन 16 साल की उम्र में क्रिकेट में आए थे और अपने खेल से सबको प्रभावित कर रहे थे उस दौरान क्रिकेट की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही थी। नासिक और मुंबई की गलियां अक्सर जाम हो जाती थी जब सचिन की बल्लेबाजी बाहर किसी टीवी पर चल रही होती थी। 80 और 90 का दशक पूरी तरह से सचिन तेंदुलकर का रहा और उनकी बल्लेबाजी ना सिर्फ भारत के लोग देखते थे बल्कि विदेशों में भी उनकी बल्लेबाजी के लोग कायल थे। यदि बात की जाए क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता की तो उस समय भारत की बल्लेबाजी मुख्य तौर पर तीन बल्लेबाजों पर केंद्रित होती थी सचिन, सौरव गांगुली तथा राहुल द्रविड़।
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली सलामी बल्लेबाजी किया करते थे और भारत को तेज शुरुआत दिया करते थे। सचिन तेज गेंदबाजों पर अपने स्ट्रेट ड्राइव से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे तो सौरव गांगुली स्पिनर के आते हैं उन पर स्टेप आउट करके लंबे लंबे छक्के लगाते थे और लोगों का दिल जीत लेते थे। जब राहुल द्रविड़ मैदान में आते थे तो सबको पता होता था कि यह खिलाड़ी आसानी से आउट नहीं होगा, राहुल द्रविड़ का डिफेंस आकर्षक और तगड़ा था।
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राहुल द्रविड़ क्रिकेट की कॉपी बुक स्टाइल में बल्लेबाजी किया करते थे और कई बार शोएब अख्तर ने द्रविड़ को खतरनाक तेज गेंदबाजी की लेकिन उनका विकेट नहीं ले पाए और उनके डिफेंस पर ताली बजाई है। अगर आपको याद हो तो उस वक्त हमारे पास दुनिया के सबसे बेहतरीन विकेटकीपर में से एक नयन मोंगिया होते थे जिन की अपील और सटीक कलेक्शन से टीम इंडिया को काफी मदद मिलती थी। यदि गेंदबाजी की बात करें तो उन दिनों जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले पर गेंदबाजी का दारोमदार रहता था।
आइए चलते हैं एक दशक पीछे जब कपिल देव ने 1983 में भारत के लिए वर्ल्ड कप उठाकर सबसे पहली बार इस खेल के प्रति लोगों के भीतर दीवानगी भर दी थी। उस दौर में क्रिकेट का खेल काफी मुश्किल होता था क्योंकि अधिकांश मैच बिना हेलमेट के खेले गए हैं जिससे खिलाड़ियों में बाउंसर का काफी डर होता था। यह दौर मुख्य तौर पर गेंदबाजों का माना गया था उस समय कोर्टनी वॉल्श, एंब्रोस जैसे खतरनाक गेंदबाज होते थे।
इस दौर में वेस्टइंडीज की टीम सबसे खतरनाक मानी जाती थी और सुनील गावस्कर तथा मनोज प्रभाकर जैसे दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों ने इन गेंदबाजों का सामना बिना हेलमेट के ही किया है। सुनील गावस्कर और मनोज प्रभाकर पर भारत की बल्लेबाजी निर्भर रहती थी जबकि श्रीकांत का काम शुरू में आकर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करना होता था और कपिल देव लास्ट में मैच फिनिश के लिए मैदान में उतरते थे। किरण मोरे एक ऐसे विकेटकीपर थे जो शायद ही किसी गेंद को पीछे जाने देते थे।
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अब वापस चलते हैं उस दशक में जब सचिन तेंदुलकर के साथ विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ओपनिंग करने लगे थे और लोग उन्हें सचिन का क्लोन मानने लगे थे क्योंकि दोनों का बल्लेबाजी स्टाइल काफी मिलता जुलता था। इसी दौर में हमने कई सारी प्रतिभाएं देखि जिनमें से एक जबरदस्त खब्बू बल्लेबाज युवराज सिंह भी रहे। युवराज सिंह ने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की छह गेंदों पर छह छक्के लगाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया और उसी दिन से सिक्सर किंग कहलाने लगे।
अब एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी थी और यह दौर था आईसीसी के 3 सबसे बड़ी प्रतियोगिता जीतने वाले दुनिया के पहले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का। धोनी ने भारत को T20 वर्ल्ड कप, एक दिवसीय वर्ल्ड कप आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में विजेता बनाया और अपनी कप्तानी का लोहा पूरे विश्व को मनवाया। धोनी अपने साथ हेलीकॉप्टर शॉट भी लेकर आए और सारी दुनिया में इस शॉर्ट की बदौलत छा गए। तमाम क्रिकेट विशेषज्ञ जब भी अपनी ड्रीम टीम बनाते थे तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव को अपनी ड्रीम 11 का कप्तान रखते थे किंतु धोनी के आने के बाद से अब तक इन तमाम विशेषज्ञों की राय बदल चुकी है और यह अपनी विश्व dream11 में धोनी को कप्तान रखते हैं।
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महेंद्र सिंह धोनी ने बहुत तेजी से तरक्की की किंतु उनके बाद भारतीय क्रिकेट का एक दौर और आना बाकी था और वह दौर आज का दौर है जिस के बेताज बादशाह है विराट कोहली जिन्हें पूरी दुनिया किंग कोहली के नाम से भी जानती है। विराट ने चेज करते हुए न जाने भारत को कितने मैच अपने दम पर जिताए हैं और चेज करते वक्त उनकी बल्लेबाजी के आंकड़े सचिन तेंदुलकर से भी अच्छे नजर आए हैं।
आज के दौर में प्रतिभाओं की कमी नहीं और विराट के साथ रोहित शर्मा का भी नाम हमेशा टॉप पर लिया जाता है। रोहित शर्मा को डैडी100 के लिए जाना जाता है। डैडी100 का मतलब होता है दोहरा शतक और रोहित ने एकदिवसीय मैच में सबसे ज्यादा बार दोहरे शतक लगाए हैं। विराट से सारी दुनिया उम्मीद लगाए बैठी है कि सचिन के 100 शतकों का रिकॉर्ड अगर कोई खिलाड़ी तोड़ेगा तो वह विराट कोहली होगा।
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यदि गेंदबाजी की बात करें तो जसप्रीत बुमराह एक तूफानी यारकर गेंदबाज बनकर दुनिया की नजरों में छा चुके हैं।
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