इस लेख को पढ़ने के बाद आपके सारे डाउट्स दूर हो जाएंगे और आप जान पाएंगे कि असल में क्रिकेटर बनने में कितना टाइम लगता है, कौन सी उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू करना चाहिए तथा कौन से टूर्नामेंट खेल कर आप भारतीय टीम में अपनी जगह बना सकते हैं।
क्रिकेटर बनने में कितना समय लगता है 7 10 या 12 साल
क्रिकेटर बनने में लगने वाला समय लगभग 10 से 12 साल हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति 8 वर्ष की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू करता है तो ठीक 5 साल बाद यानी 14 साल की उम्र में वह अंडर 14 ट्रायल दे सकता है। उसके 2 साल बाद अंडर सिक्सटीन के ट्रायल दे सकता है इस तरह से 7 साल बाद वह भारतीय क्रिकेट टीम में भी जगह बना सकता है। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि कोई खिलाड़ी महज 16 साल की उम्र में किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन जाए। इसलिए अंडर सिक्सटीन को क्रिकेट में करियर बनाने का शुरुआती सफर माना जाता है। 16 वर्ष से 22 वर्ष तक यदि कोई खिलाड़ी डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसके भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने की संभावना बढ़ जाती है।
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यही वह उम्र का पड़ाव होता है जिसमें किसी भी युवा को भारतीय टीम में जगह मिलने के सबसे ज्यादा चांस मिलते हैं। किंतु इसके लिए जरूरी है कि खिलाड़ी 16 से 18 साल की उम्र तक डोमेस्टिक क्रिकेट में अपनी जगह बना ले। ताकि 16 से 22 वर्ष यानी 6 से 7 साल उसके पास हो जिसमें वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सके और अपने प्रदर्शन के आधार पर भारतीय टीम के दरवाजे खटखटा सके। इस तरह से स्पष्ट है की यदि कोई व्यक्ति 8 वर्ष की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू करता है तो वह 22 वर्ष की उम्र में जाकर भारतीय क्रिकेट या किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बना पाता है। इस कैलकुलेशन के हिसाब से एक व्यक्ति को क्रिकेटर बनने के लिए कुल 10 से 12 और कभी-कभी 14 वर्ष का समय भी लगता है क्योंकि कुछ खिलाड़ी 24 और 25 साल की उम्र में भी डेब्यू करते हैं।
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क्रिकेटर बनने की सही उम्र कौन सी है तथा जरूरी टूर्नामेंट्स
आइए अब समझते हैं कि यदि आप क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो कौन सी उम्र में कौन से टूर्नामेंट आपको खेलने चाहिए। इसके अलावा यह जानना भी जरूरी है कि क्रिकेट में करियर बनाने के लिए कौन सी उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू करना चाहिए और यदि आप एकेडमी ज्वाइन करने में समर्थ है तो कौन सी उम्र से क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करनी चाहिए।
सबसे पहले बात करते हैं एकेडमी किस उम्र से ज्वाइन कर लेनी चाहिए। यदि आप क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करना चाहते हैं तो बहुत अच्छी बात है इससे आपको अधिक प्रैक्टिस मिलती है और 8 वर्ष की उम्र में आप एकेडमी ज्वाइन कर सकते हैं। 8 वर्ष की उम्र में एकेडमी ज्वाइन करने से फायदा यह होता है कि आपके पास अधिक समय होता है और छोटी उम्र से ही लंबे अरसे तक प्रैक्टिस करने से स्किल अच्छे लेवल पर डिवेलप हो जाती है और उसके बाद तो मैच टेंपरामेंट का गेम होता है।

जो व्यक्ति क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहता है उसे 14 वर्ष की उम्र में अंडर 14 क्रिकेट ट्रायल देने चाहिए। उसे 14 वर्ष की उम्र में जिला क्रिकेट ट्रायल्स में पार्टिसिपेट करना चाहिए। जिला क्रिकेट ट्रायल प्रति वर्ष होते हैं जिसमें प्रतिभागी का सिलेक्शन होने के बाद उसे जिले की ओर से क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है।
खिलाड़ी को 15 या 16 वर्ष की उम्र में स्टेट क्रिकेट टीम में जगह बना लेनी चाहिए ताकि उसके पास डोमेस्टिक क्रिकेट में जगह बनाने के ज्यादा मौके हो, वह जल्दी से जल्दी अपनी जगह डोमेस्टिक क्रिकेट में बना सके। यूं तो डोमेस्टिक क्रिकेट में भी उम्र की कोई सीमा नहीं होती लेकिन जब खिलाड़ी मात्र 16 या 17 वर्ष की उम्र में डोमेस्टिक क्रिकेट में जगह बना लेता है तो उसके पास 6 से 8 साल होते हैं जिसमें वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सिलेक्टर्स को इंप्रेस कर के भारतीय टीम में अपनी जगह बना सकता है। डोमेस्टिक क्रिकेट को सबसे महत्वपूर्ण क्रिकेट माना जाता है क्योंकि यह खिलाड़ियों को भारतीय टीम तथा आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में जगह बनाने का मौका देता है। रणजी ट्रॉफी, देवधर ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, मुस्ताक अहमद ट्रॉफी आदि डोमेस्टिक क्रिकेट के अंतर्गत आते हैं और सिलेक्टर्स अक्सर इन टूर्नामेंट पर अपनी पैनी निगाहें बनाए रखते हैं तथा इनमें से खिलाड़ी चुने जाते हैं जिन्हें पहले भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम का हिस्सा बनाया जाता है उसके बाद भारतीय टीम में भी शामिल होने का मौका मिलता है।
यदि कोई खिलाड़ी 26-28 साल की उम्र में डोमेस्टिक क्रिकेट खेलता है तो उसके पास भारतीय टीम में जगह बनाने का काफी कम मौका होता है और खिलाड़ी के अति प्रतिभावान होने पर ही उसे किसी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।
ध्यान रहे किसी भी खेल में खिलाड़ी छोटी उम्र से सेलेक्ट होने शुरू हो जाते हैं और उनकी उम्र 32-35 हो जाने पर उनके रिटायरमेंट की घोषणा होनी शुरू हो जाती है। जबकि 32- 35 वर्ष में भी इंसान जवान रहता है लेकिन खेल के दृष्टिकोण से यह रिटायरमेंट का समय होता है इसलिए जरूरी है कि किसी भी खेल में करियर बनाने के लिए बच्चों के पेरेंट्स, गार्जियंस, बड़े भाई बहन या उनके गुरु को आगे बढ़कर उन्हें 8 वर्ष की उम्र से उस खेल में तालीम देनी शुरू कर देनी चाहिए। बच्चों को भी अपने बारे में सोचना चाहिए और यदि वे 12-13 वर्ष के भी हो चुके हैं तो भी घबराने की जरूरत नहीं है अगर उन्हें लगता है कि उनमें खास टैलेंट है और वो खेल के दौरान अच्छे रिजल्ट भी लाते हैं तो उन्हें सिर्फ अपने माता-पिता और गार्जियंस के भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि खुद भी क्रिकेट ट्रायल्स में पार्टिसिपेट करना चाहिए जो कि प्रतिवर्ष होते हैं।
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