आज हम जानेंगे 5 बेहतरीन आल टाइम सचिन तेंदुलकर क्रिकेट टिप्स। क्रिकेटर रोहित शर्मा, विराट कोहली भी सचिन के बल्लेबाजी टिप्स इस्तेमाल कर चुके हैं।
इन्हें आप अपने क्रिकेट बैटिंग ड्रिल्स (cricket batting drills) के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हो। टेनिस बॉल का कवर उतार कर गीले फर्श पर खेलना, कटी हुई गोल्फ बॉल से क्रिकेट प्रैक्टिस, हल्की भारी टेनिस बॉल इस्तेमाल करो, छत पर क्रिकेट खेलना, हाफ पिच खेलें तथा रेगुलर से थोड़ा हैवी बैट इस्तेमाल करें।
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सचिन तेंदुलकर क्रिकेट टिप्स (Sachin Tendulkar cricket tips)
यह ज़रूरी नहीं की बैटिंग प्रैक्टिस बोलिंग मशीन (bowling machine) से ही हो या नेट पर ही हो। प्रैक्टिस करने के और भी कई सारे नायाब तरीके हैं किंतु महज़ जानकारी होने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता फर्क तो उस जानकारी को इम्प्लीमेंट करने से ही पड़ेगा। ध्यान रहे रणजी ट्रॉफी में सिलेक्शन आसान नहीं उसके लिए साल भर अलग-अलग तरीको से प्रैक्टिस करते रहना होगा अतः जो भी टिप्स आपको यहाँ मिलेगी उसे सिर्फ एक बार नहीं बल्कि रेगुलर पूरे साल आज़माएँ।
फास्ट बॉलर को कैसे खेलें आसानी से (How to play fast bowlers easily)
टेनिस बॉल का कवर उतारें या पुरानी हो जाने पर उससे गीले फर्श पर खेलें। यह एक बेहद कारगर तरीका है यही तरीका सचिन ने शोएब अख्तर के खिलाफ अपनाया था और टेनिस बॉल का उपयोग गीले फर्श पर किया था। जब आपको समझ नहीं आ रहा हो कि हाउ टू प्ले फास्ट बोलिंग (how to play fast bowling) तो इस ट्रिक को जरूर आजमाएं, निरंतर अभ्यास करने पर सुधार एक महीने में नजर आने लगेगा।
क्या आप जानते हैं बोलिंग स्पीड कैसे बढ़ाएं (how to increase bowling speed) यदि हां तो कमेंट बॉक्स में बताएं। बाउंस को खेलने के लिए सचिन ने लेदर बॉल नहीं यूज़ की क्योंकि टेनिस बॉल में बाउंस अधिक होता है। इंडिया और पाकिस्तान का मैच कहीं विदेश में होना था और वहां बाउंस और पेस अच्छा होता है तब सचिन ने यह ट्रिक आज़मायी थी। अपने प्रिय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर पर निबंध पढ़ें, उन्हें और नजदीक से जानें।
बोलिंग एन्ड को गीला न करे केवल बल्लेबाज़ के पास और थोड़ा पिच के मिडिल का हिस्सा बाउंसर के लिए गीला करें। एक बाल्टी भर के पानी साइड में रख लें क्योंकि पिच पर पड़ा पानी बॉल के टप्पा खाने के बाद जल्द ही सूख जाता है। प्रैक्टिस करते वक्त स्लिप पर एज निकले तो आउट ज़रूर रखें यदि पीछे दीवार है तो बल्ले पर लगकर बॉल दीवार पर डायरेक्ट लगे तो आउट रखें।
यह प्रेक्टिस क्रिकेट नेट प्रैक्टिस (cricket net practice) की तरह होगी, स्लिप पर कोई व्यक्ति खड़ा है तो कैच छूटने पर भी आउट रखें इससे आप का ऑफ़साइड काफी मज़बूत होगा। यदि आप प्रैक्टिस करते वक्त भी आउट नहीं होते तो मैच में लम्बा टिक सकते हैं अतः प्रैक्टिस को मज़ाक में न लें।
यकीन मानिये यदि आपके पास लेदर किट नहीं है तो यह ट्रिक ज़रूर आज़माए और आपको यकीनन टेनिस बॉल पर ही लैदर वाली फीलिंग ज़रूर आएगी। मैं इतने यकीन से इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं भी यह ट्रिक आज़मा चुका हूँ। यह प्रैक्टिस उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जिनके पास क्रिकेट प्रैक्टिस नेट (cricket practice nets) नहीं है।
हाफ पिच क्रिकेट प्रैक्टिस (Half pitch cricket practice)
जब हम क्रिकेट खेलने की शुरुआत करते हैं तो हाफ पिच से ही करते हैं कई खिलाडी क्लब ज्वाइन करते ही इसे छोड़ देते हैं यह काफी गलत है क्योंकि हाफ पिच पर खेलने से हमारी बल्लेबाजी तकनीक सुधरती है। महान बल्लेबाज़ सचिन और अब मॉडर्न मास्टर विराट कोहली हमेशा हाफ पिच पर प्रैक्टिस करते हैं यह एक अच्छा क्रिकेट बैटिंग टिप है।
1. इसमें पूरा हाथ घुमा कर गेंदबाज़ को बोलिंग नहीं करनी होती है एक छोटा सा फील्ड होता है, 1 टिप 1 हैंड आउट रखें अर्थात बल्ले से गेंद लगने पर 1 टिप खाने के बाद 1 हाथ से कैच पकड़ने पर आउट रखें ताकि आप हर गेंद पर बैट ना लगाएं जिससे आपकी बल्लेबाज़ी तकनीक में राहुल द्रविड़ जैसी बॉल जज कर उसे छोड़ने की कला डेवलप हो सके।
2. यदि आप दो भाई या दो दोस्त हैं यानि केवल दो खिलाडी हैं तो ऐसे में दीवार का सहारा लेने की कोशिश करे जिससे आपकी विकेटकीपर की समस्या खत्म हो जाए। एज आउट रखे यानी की बैट का किनारा लगने पर गेंद दीवार पर लगती है तो आउट जरूर रखें। जैसे क्रिकेट मैच में स्लिप और गली लगती है वैसे ही कोई हल्का निशान दीवार पे लगाए और स्लिप पर आउट ज़रूर रखें। दोस्तों यह भले ही काफी सरल लग रहा हो पर आप स्लिप आउट ज़रूर रखें और जल्द ही आपकी तकनीक में अच्छा सुधार होगा।
3. हाफ पिच पर सिक्स मारना आउट रखें और केवल सिंगल्स, डबल्स और चौका ही रखें। इससे आप की ग्राउंड शॉट खेलने की काबिलियत बढ़ेगी यदि मैच न चल रा हो तो फुल पिच पर भी आपस में ऐसे ही खेलें जिसमे सिक्स मारना आउट हो।
4. कोई भी नया शॉट मैच से पहले हाफ पिच पर प्रैक्टिस करें फिर फुल पिच पर और लास्ट में मैच में वह शॉट खेलें यह किसी भी नए शॉट पर मास्टरी करने का बेसिक तरीका है। सचिन ने शेन वार्न के खिलाफ यही रणनीति अपनायी थी। नीचे पैडल स्वीप शॉट खेलने का चित्र दिया गया है।

सचिन ने लेग स्टंप की लाइन पर पिच को फावड़े से खुदवा दिया था ताकि लोकल गेंदबाज़ की गेंद शेन वार्न की तरह सामान्य से ज़्यादा स्पिन हो सके और फिर पैडल स्वीप की जम कर प्रैक्टिस की थी और बाद में मैच में वो शॉट्स खेले थे। सचिन ने पहले कुछ देर तक हाफ पिच पर मुंबई के एक लोकल गेंदबाज़ से बोलिंग करवाई थी।
छत पर क्रिकेट प्रैक्टिस (Cricket practice at roof)
छत पर क्रिकेट खेलें यह सुनने में अजीब लगता है पर हम सबने कभी न कभी छत पर क्रिकेट ज़रूर खेला है। सबसे बड़ा फायदा आपकी तकनीक में आता है रूफ क्रिकेट से फ्रंट फुट की अच्छी प्रैक्टिस होती है आप गौर करेंगे तो पाएंगे की छत पे आते ही आपका फ्रंट फुट अच्छा निकलने लगता है।
ध्यान रहे यहाँ भी आप बल्ले का एज आउट रखें और कोशिश करे की वन टिप वन हैंड आउट रखें। सिक्स मारना तो डेफिनेटली आउट ही रखें। रूल्स को जितना बल्लेबाज़ के खिलाफ रखेंगे उतना ही बल्लेबाज़ की तकनीक में सुधार होगा। क्रिकेट का इतिहास बताता है कि सचिन तेंदुलकर से महान खिलाड़ी अब तक पैदा नहीं हुआ इसकी एक बड़ी वजह यह है कि वे कड़ा अभ्यास करते हुए नेट पर बल्लेबाजी करते वक्त रूल्स को सख्त रखते थे ताकि बल्लेबाजी मुश्किल हो सके।
प्रैक्टिस क्रिकेट बैट (Practice cricket bat)
प्रैक्टिस करते वक्त अपने रेगुलर बैट से थोड़ा हैवी बैट यूज़ करें इससे मैच में आपको फायदा मिलेगा क्योंकि मैच के वक्त वैसे ही सब कुछ भारी सा लगता है और ऐसे में आपका ज़्यादा वज़नदार बल्ला आपको थोड़ा परेशां कर सकता है इसलिए इस चीज़ की तैयारी पहले ही कर लें। यह एक प्रकार का असरदार सोलो क्रिकेट बैटिंग प्रैक्टिस (solo cricket batting practice) है।
आपने अक्सर खिलाडियों को मैच के दौरान या मैच से पहले 2-3 बैट एक साथ पकड़कर स्टान्स बनाते हुए और शॉट की प्रैक्टिस करते देखा होगा खास तौर पर रेलवेज क्रिकेट (Railway cricket) खेल चुके महेंद्र सिंह धोनी ऐसा करते कई बार देखे गए हैं। यह सब अपने ऊपर से एक्स्ट्रा मानसिक प्रेशर रिलीज़ करने की स्टेटर्जी होती है और इस स्टेटर्जी से खिलाडी का बल्ला दोगुनी तेज़ी से चलता है। शायद ही कोई धोनी से अच्छा हेलीकॉप्टर शॉट मार सकता है।
क्रिकेट प्रैक्टिस बाल (Cricket practice ball)
क्रिकेट प्रैक्टिस बाल (cricket practice ball) के रूप में गोल्फ बॉल एक अच्छा विकल्प है। गोल्फ बॉल या कोई अच्छी बाउंस खाने वाली बॉल को हल्का साइड से काटें और प्रैक्टिस करें। लैदर बॉल से खेलते वक्त पूरी क्रिकेट किट (complete cricket kit) पहननी चाहिए खासकर क्रिकेट हेलमेट (cricket helmet) और एल गार्ड बेहद ज़रूरी है। गोल्फ बॉल से प्रैक्टिस करते वक्त चेस्ट गार्ड और एल्बो गार्ड का भी खास ध्यान रखें। क्योंकि यह बॉल बेहद तेज़ और बाउंसी होती है।
कटी गोल्फ बॉल से मूवमेंट वाले बॉलर को खेलने की सही प्रैक्टिस मिलेगी अतः बाउंस विद मूवमेंट की प्रैक्टिस होगी। यह तरीका सचिन तेंदुलकर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, भले ही आपके लिए ये नया हो पर क्रिकेटर ऐसे न जाने कितने पैंतरे अपनाते हैं तब जाके रेस में सबसे आगे निकल पाते हैं।
वरना नेट्स पे तो सारी दुनिया के बल्लेबाज़ भी प्रैक्टिस करते हैं पर सचिन के ही 100 शतक कैसे बन गए उसके पीछे न केवल कड़ी मेहनत है (जो सब करते हैं) बल्कि अलग प्रकार से की गई मेहनत है जो आपको दूसरों से आगे और अलग करती है। नीचे स्ट्रेट ड्राइव खेलने का चित्र दिया गया है। क्रिकेट के सभी फॉर्मेट तथा आईपीएल में कंपटीशन काफी ज्यादा बढ़ गया है इसलिए आपको अलग तरह से प्रैक्टिस करनी चाहिए, आईपीएल में सिलेक्शन कैसे होता है जानिए।

टॉप 10 क्रिकेट बैटिंग टिप्स (Top 10 cricket batting tips)
1- गेंदबाज़ का हाथ अंत तक देखें और जैसे ही गेंदबाज़ क्रीज़ में आए अपना फोकस और बढ़ाएं और लास्ट मोमेंट पर ही कोई शॉट खेलें।
2- फील्डर को देखें और स्पेस को देखें फिर फील्डर पर ज़्यादा ध्यान न दें बल्कि खाली स्पेस पर फोकस करें तभी आपका शॉट गैप में जाएगा।
3- बीच-बीच में लॉन्ग हैंडल भी यूज़ करें ताकि आपको हाथ खोलने में आसानी हो और ऐसा करने पर ड्राइव्स लगाने में आसानी होती है। लॉन्ग हैंडल का ये मतलब नहीं की आप हवा में ज़ोर से शॉट मारें बल्कि टेक्निकल शॉट्स को ही खुल कर खेलें क्योंकि कई बार हम ज़्यादा ही टेक्निकल हो जाते हैं और ऐसे में अक्सर साधारण से शॉट खेलने में भी दिक्कत हो जाती है और साथ ही गैप ढूंढ़ने में भी परेशानी हो जाती है।
4- सेंचुरी बनाने के लिए हर एक बॉल पर एक्टिव रहना पड़ता है डायरेक्ट शतक के बारे में ना सोचें बल्कि अपने लिए छोटे-छोटे गोल सैट कर लें अपनी इन्निंग्स को मैनेज करें हर बॉल के लिए तैयार रहें कोई भी बॉल हलके में या बिना फोकस के ना खेलें।
5- स्ट्राइक लगातार रोटेट करें आपको पता होना चाहिए की आपके लिए क्या फील्ड सजाई गई है यदि आप स्ट्राइक रोटेट करने के लिए बड़े शॉट खेलने पर मजबूर हो जाते हैं तो यकीन मानिये आपकी प्रैक्टिस काफी हद तक कच्ची है इसलिए पुनः नेट्स में जाएं और स्ट्राइक रोटेट की प्रैक्टिस करें वो भी बिना जोखिम उठाए।
6- यदि किसी शॉट में आप लगातार आउट हो रहे हैं और प्रैक्टिस के बाद भी वह शॉट सुधर नहीं रहा तो कुछ समय के लिए उस शॉट को ही बंद कर दें हो सकता है की वह आपके फेवरट शॉट में से एक हो पर उसे बंद कर दें जो की आसान नहीं होगा यदि आप ऐसा कर पाए तो यह एक बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत होगी।
कभी कभी ऐसा होता है और इसे ख़राब पैच कहा जाता है जो सभी खिलाडियों के साथ होता है इसलिए इस दौर को शांति से गुजारें और रनो को बटोरने की कोशिश करें फिर एक समय ऐसा भी आएगा की आपके सभी शॉट कारगर साबित होंगे उस समय अपना विकेट लगातार बड़े शॉट खेलकर भेंट करने से पहले इस दौर को ज़रूर याद करें जब आप रनो के लिए मोहताज़ हो गए थे। विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर इसी कला के धनि हैं वरना टैलेंट तो बाकी खिलाडियों में भी कूट कूट कर भरा है।
7- तकनीक में आई खराबी आपका बैटिंग एवरेज बिगाड़ सकती है इसलिए फिर से बेसिक चीज़ें याद करें और फिर अपना बैटिंग स्टान्स ठीक करें, बैट स्विंग बेसिक के हिसाब से करें, ग्रिप चैक करें और नेट्स में अभ्यास करें साथ ही अपने बेस्ट शॉट्स को याद करें। शैडो बैटिंग प्रैक्टिस करें अपने बैट स्विंग की विशेष प्रैक्टिस करें इस बार अलग बैटिंग प्रैक्टिस की बजाए सिंपल बैटिंग प्रैक्टिस करें।
8- अपनी स्ट्रेंथ के हिसाब से खेलें यदि आप फ्रंट फुट बैटिंग अच्छा करते हैं तो फ्रंट फुट पर ज़्यादा खेलें और यदि आप बैक फुट अच्छा खेलते है तो बैकफुट पर खेलें किसी भी प्रकार के उकसावे में ना आएं बॉलर की स्लेजिंग यदि अभद्र या गाली हो तो अम्पायर से शिकायत करें खुद रिप्लाई ना करें और दिमाग को ठंडा रख कर बैटिंग पर पूरा ध्यान एकत्रित करें।
9- अपनी पूरी एनर्जी को क्रीज़ में महसूस करें और अपने दिमाग को शांत और एक्टिव रखें दिमाग को हमेशा बिज़ी रखें की किस गेंदबाज़ पर आपको प्रहार करना है और कब एक चुनिंदा स्थान से फील्डर हटे और आप वहीं बिना समय गवाते हुए शॉट खेलें।
10- कोशिश करें की ज़्यादातर शॉट पे आपके पैर का टो यानि पंजा इस्तेमाल हो इससे शॉट के ऊपर आने में आसानी होती है और शॉट में एनर्जी अच्छी लगती है वहीं हिल (ऐडि) पर शॉट खेलने से वह एनर्जी और टाइमिंग नहीं मिल पाती और शॉट लेट हो जाता है जिससे ऐल बी डब्ल्यू के चांस ज़्यादा बनते हैं।
यकीन मानिए यदि आप दिए गए बैटिंग टिप्स (batting tips) को सही तरीके से फॉलो करते हैं तो आप जल्द ही अपनी बल्लेबाज़ी में गज़ब का सुधार देखेंगे क्योंकि ये क्रिकेट टिप्स (cricket tips) मात्र 1 महीने में बैटिंग सुधारने वाले टिप्स हैं।
बेसिक फिटनेस टिप्स (Fitness tips)
सुबह जल्दी उठना और दौड़ लगाना, प्रैक्टिस से पहले नियमित वार्म अप करना, डेली अंकुरित चने सुबह उठ कर खाना ताकि अच्छा स्टेमिना बिल्ड हो सके। कोल्ड ड्रिंक्स को ना और दूध को हाँ बोलना।
विराट कोहली आज भी दूध पीता है कोल्ड ड्रिंक नहीं इसलिए सुपर V कहलाता है। विराट कोहली पानी की एक बोतल भी 500 से 1000 रूपए की खरीदने हैं। सोचिये जो खिलाडी पानी भी इतना सोच कर पीते हैं क्या वह सच में कभी कोल्ड ड्रिंक जैसी चीज़ को टच भी करते होंगे। इसलिए बॉलीवुड या क्रिकेट सितारों के विज्ञापनों को फॉलो करने के बजाय उनकी असल आदतों को फॉलो करें ऋतिक रोशन की बॉडी देख कर कोई भी अंदाजा लगा सकता है की ऋतिक ने जिम में 8 पैक एब्स बनाने में कितनी कड़ी मेहनत की होगी और उसे मैनटेन करने में वही कड़ी मेहनत रेगुलर करते होंगे।
दोस्तों ज़रूर बताना की आपको यह पोस्ट कैसा लगा यदि कोई भी प्रैक्टिस टिप आपके काम आए तो इससे बेहतर क्या होगा कभी फुरसत मिलने पर कमेंट बॉक्स में बता देना। कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर ज़रूर बताएं।
प्रश्न उत्तर
घर पर बैटिंग प्रैक्टिस कैसे करें?
रोप बॉल प्रैक्टिस – अकेले प्रैक्टिस (solo cricket practice) करने के लिए रोप बॉल सबसे सही उपाय है। बॉल हिट करते वक्त हमेशा सीधे बल्ले से खेलने की कोशिश करें सीधे बल्ले से यॉर्कर खेलना आसान हो जाता है।
शीशे के सामने प्रेक्टिस करें – सीधे बल्ले से खेलने की आदत सही है। कई बार बिना किसी बॉल के शीशे के सामने सीधे बल्ले से प्रैक्टिस ज़रूर करें यदि बल्ला न हो तो कोई लकड़ी या जस्ट इमेजिन कर के भी अपना स्टान्स चैक करें। ना खेलने वाले लोगों को यह पागलपन लगेगा और असल में यह पागलपन ही है जो की कुछ बनने के लिए ज़रूरी है पढ़े लिखे लोग पागलपन को ही पैशन कहते हैं।
क्रिकेट में बैटिंग प्रैक्टिस कैसे करें?
प्लास्टिक बॉल का वेट के हिसाब से चयन करें ज़्यादा भारी बॉल न ले क्योंकि प्लास्टिक बॉल से आपको स्विंग खेलने की प्रैक्टिस करनी है अतः मध्यम वज़न वाली गेंद ले जो हवा में लहरा सके। प्लास्टिक बॉल से फर्श पर ही खेलें इससे आपको पेस, बाउंस और स्विंग खेलने की प्रैक्टिस करनी चाहिए। बहुत से लोग ये कहते हैं की एक बार लैदर पर खेलने पर टेनिस व प्लास्टिक से नहीं खेलना चाहिए पर यह मिथ्य है कोई तकनीक ख़राब नहीं होती बल्कि मैच के दौरान खिलाडी की पिच में अपने आपको ढालने की क्षमता बढ़ती है।
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